
एनटीए पर फिर उठे सवाल, क्या विफल हो रहा है ‘एक देश, एक परीक्षा’ मॉडल?
समिति के कुछ सुझावों को अपनाने के बावजूद, एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षाएं अभी भी समस्याओं से क्यों भरी हुई हैं?
जब 2017 में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की स्थापना की गई थी, तब इसका मकसद भारत में प्रवेश परीक्षाओं की प्रणाली में अव्यवस्था की जगह पारदर्शिता और निष्पक्षता को स्थापित करना था। एक केंद्रीयकृत संस्था के रूप में एनटीए को इस सोच के साथ लाया गया था कि यह परीक्षाओं के संचालन को सुसंगत, वैज्ञानिक और भरोसेमंद बनाएगी। लेकिन आठ साल बाद, खुद एनटीए ही उन खामियों के लिए कठघरे में खड़ी है जिन्हें खत्म करने के लिए इसे बनाया गया था। लेकिन पारदर्शिता की कमी, जवाबदेही का अभाव और लगातार गलतियों को लेकर सवाल खड़े होते गए।
पेपर लीक से लेकर तकनीकी गड़बड़ियों तक
एनटीए द्वारा संचालित परीक्षाओं में समय-समय पर पेपर लीक, केंद्र व तिथि में आखिरी वक्त पर बदलाव, गलत उत्तर कुंजी, और तकनीकी समस्याएं देखी गई हैं। 2024 में बिहार में नीट-यूजी पेपर लीक के बड़े मामले ने पूरे देश को हिला दिया, हालांकि एनटीए ने इस लीक से इनकार किया। इसके बाद पूर्व ISRO प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्रालय ने एक सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई।
इस समिति की कुछ सिफारिशें लागू की गईं, लेकिन प्रवेश परीक्षा की व्यवस्था आज भी गंभीर प्रणालीगत त्रुटियों से जूझ रही है। इससे यह सवाल उठता है, क्या वन नेशन, वन एग्ज़ाम मॉडल भारत के लिए सही है?
बढ़ता दबाव, बढ़ती परेशानी
एनटीए को वैज्ञानिक, निष्पक्ष और अंतरराष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं कराने के उद्देश्य से बनाया गया था। 2018 में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने घोषणा की थी कि एनटीए साल में दो बार JEE Main और NEET-UG के साथ-साथ NET, CMAT और GPAT की भी परीक्षाएं आयोजित करेगी।
2019 में एनटीए ने 23 परीक्षाएं आयोजित कीं जिनमें 68.8 लाख विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया था। 2023 तक यह आंकड़ा 66 परीक्षाएं और 1.33 करोड़ पंजीकरण तक पहुंचा। लेकिन साल दर साल तकनीकी और प्रक्रियागत समस्याएं भी बढ़ती गईं।
जेएनयू प्रवेश परीक्षा और NTA की असफलता
2019 में एनटीए ने पहली बार जेएनयू प्रवेश परीक्षा (JNUEE) का आयोजन किया। पहले यह परीक्षा वर्णनात्मक और ऑफलाइन होती थी, जिसे बदलकर ऑनलाइन एमसीक्यू फॉर्मेट में किया गया। नतीजतन, पेपर लीक और गलत उत्तर कुंजी जैसे आरोप लगे, जिन्हें एनटीए ने खारिज कर दिया।
जेएनयू की प्रोफेसर आयशा किदवई कहती हैं कि इस बदलाव से जेएनयू का शैक्षणिक कैलेंडर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पहले परिणाम घोषित होने के तीन हफ्तों में प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जाती थी, अब यह 12 हफ्तों से पहले नहीं हो पाती। उन्होंने यह भी कहा कि एमसीक्यू आधारित परीक्षा सिर्फ किस्मत पर निर्भर करती है जबकि जेएनयू की पुरानी परीक्षा शैली छात्रों की तार्किकता, कल्पना, पृष्ठभूमि ज्ञान और विश्लेषणात्मक क्षमता की परीक्षा लेती थी।
अकादमिक स्वतंत्रता पर भी असर
किदवई के अनुसार, सिर्फ परीक्षा की गुणवत्ता ही नहीं, बल्कि विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और शिक्षकों की अकादमिक स्वतंत्रता भी प्रभावित हुई है। एनटीए की परीक्षा प्रणाली में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ उच्च स्तरीय शोध और विषयगत ज्ञान का परीक्षण हो सके — विशेषकर पीएचडी उम्मीदवारों के लिए।
NEET-UG में गंभीर लापरवाही
एनटीए की दो सबसे बड़ी परीक्षाएं NEET और CUET हैं। इन्हीं में सबसे बड़ी गड़बड़ियां भी सामने आई हैं। नीट-यूजी 2019 में राजस्थान के कोटा में पेपर लीक की खबरें आईं, जिससे छात्रों के रैंक पर असर पड़ा। रितु अंतिल बताती हैं कि अगर पेपर लीक नहीं होता, तो 6000 रैंक तक के छात्रों को दाखिला मिल सकता था। लेकिन कटऑफ 2000 रैंक तक सीमित हो गया।
उनकी बहन रिंकू को अपनी OMR शीट में 550 अंक मिले, लेकिन आधिकारिक परिणाम में उसे केवल 125 अंक दिखाए गए। मामला आज भी चंडीगढ़ हाईकोर्ट में लंबित है।
परीक्षा में घोर अव्यवस्था
2024 में समस्तीपुर (बिहार) में नीट परीक्षा देने गए छात्र फैजान अहमद बताते हैं कि इस बार प्रवेश सत्यापन प्रक्रिया में दो घंटे लग गए, जबकि 2023 में यही प्रक्रिया 8–9 मिनट में पूरी हो गई थी। इस वर्ष के नीट-यूजी घोटाले में 13 लोगों की गिरफ्तारी, पेपर लीक के लिए 30–50 लाख रुपये की रिश्वत, और गुजरात के गोधरा में एक डिप्टी सुपरिटेंडेंट द्वारा छात्रों के लिए उत्तर भरने का मामला सामने आया। परिणामों में 67 छात्रों को पूर्णांक (720/720) मिले, जिनमें से 44 को एक गलत प्रश्न के चलते ग्रेस मार्क्स दिए गए थे।
सुधारों की सिफारिशें और एनटीए का पुनर्गठन
इन गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए के. राधाकृष्णन समिति ने सुधारों की सिफारिश की।
टेस्ट ऑडिट, पारदर्शिता और नैतिकता,कर्मचारी चयन व नामांकन, हितधारकों से समन्वय के लिए तीन उपसमितियों के साथ एक सशक्त और उत्तरदायी गवर्निंग बॉडी का सुझाव दिया गया।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिसंबर 2024 में घोषणा की कि 2025 से एनटीए कोई भर्ती परीक्षा नहीं लेगा और केवल उच्च शिक्षा प्रवेश परीक्षाओं पर केंद्रित रहेगा। इसके लिए पुनर्गठन और नई भर्तियों की योजना बनाई गई है।
एनटीए की आठ वर्षों की यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि केंद्रीकरण मात्र से समस्याएं नहीं सुलझतीं। विशेषज्ञ मानते हैं कि एक देश, एक परीक्षा का मॉडल भारत जैसे विविधतापूर्ण और विशाल शैक्षणिक परिदृश्य के लिए व्यावहारिक नहीं है। परीक्षाओं की गुणवत्ता, निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय आधारित मॉडल या क्षेत्रीय विकेंद्रीकरण पर नए सिरे से विचार करने की ज़रूरत है।