
PARAKH Report: मूल्यांकन के नाम पर रटंत शिक्षा, बच्चों की समझ से समझौता
PARAKH रिपोर्ट 2024 में सामने आया कि 3 से 9वीं तक के छात्र गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में कमजोर हैं, केवल भाषा में लड़कियां कुछ बेहतर रहीं।
PARAKH (पूर्व में NAS) राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत के ग्रेड 3 (कक्षा 3) के 64% छात्र भाषा संबंधी प्रश्नों का सही उत्तर देने में सक्षम थे, जबकि गणित में यह आंकड़ा 60% रहा। परंतु बच्चों को सबसे अधिक कठिनाई ज्योमेट्रिक आकृतियों को पहचानने, बनाने और उनके गुणों को वर्गीकृत करने में हुई।
मुख्य चुनौतियां
100 रुपये तक के लेन-देन संबंधी प्रश्नों में भी कठिनाई। आकृतियों और वस्तुओं के स्थानिक संबंधों को समझने में समस्या। हालांकि, 69% छात्र सरल पैटर्न पहचानने और आगे बढ़ाने में सक्षम रहे
शीर्ष राज्य: पंजाब, केरल, हिमाचल प्रदेश
सबसे कमजोर राज्य: लक्षद्वीप, झारखंड, पुडुचेरी, गोवा, त्रिपुरा
छठी कक्षा: अंशों में उलझे छात्र, भाषा में लड़कियों की बढ़त
ग्रेड 6 (कक्षा 6) में 71% छात्र रोजमर्रा की स्थितियों में आम अंशों (जैसे 1/2, 1/4) को पहचानने और तुलना करने में असमर्थ पाए गए। औसतन गणित स्कोर 50% था, जबकि भाषा में यह 57% रहा।
विशेष बातें
“The World Around Us” (TWAU) विषय में औसतन 49% अंक। लड़कियों ने भाषा और सामाजिक विज्ञान में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया। शहरी छात्रों ने ग्रामीण छात्रों की तुलना में भाषा में 4% अधिक अंक प्राप्त किए
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन: केरल, दादरा-नगर हवेली, चंडीगढ़
सबसे कमजोर राज्य: मेघालय, मिजोरम, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी
सर्वश्रेष्ठ स्कूल: केंद्रीय सरकार के स्कूल (सभी विषयों में टॉप पर)
निम्नतम प्रदर्शन: अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के छात्र
नौवीं कक्षा: सीखने में ठहराव, गणित में सबसे खराब प्रदर्शन
ग्रेड 9 (कक्षा 9) में छात्रों की सीखने की गति थमती दिखी। गणित में औसत स्कोर सिर्फ 37% रहा, जो कि सभी कक्षाओं में सबसे कम था। विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में यह आंकड़ा 40% रहा, जबकि भाषा में छात्रों ने 54% का औसत स्कोर किया।
महत्वपूर्ण आंकड़े
केवल 29% छात्र प्रतिशत की अवधारणा समझ सके और उसका प्रयोग कर सके
54% छात्र लेख, रिपोर्ट आदि पढ़कर मुख्य बिंदु समझने में सक्षम
शहरी छात्रों ने सभी विषयों में ग्रामीण छात्रों से बेहतर प्रदर्शन किया
केंद्रीय स्कूलों ने भाषाओं में 69% के साथ टॉप किया
राज्य सरकार और सहायता प्राप्त स्कूल सबसे नीचे
शीर्ष राज्य: पंजाब, केरल, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली
सबसे कमजोर राज्य: मेघालय, मिजोरम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर
शिक्षण का परिवेश और तकनीकी संसाधन: मिश्रित तस्वीर
रिपोर्ट में शिक्षण विधियों, तकनीकी संसाधनों और विद्यालय संरचना की भी समीक्षा की गई:
शिक्षकों की भागीदारी
95% ने आत्म-मूल्यांकन, 92% ने प्रोजेक्ट कार्य और 91% ने सहयोगी मूल्यांकन को अपनाया।केवल 81% शिक्षकों ने पोर्टफोलियो का प्रयोग किया
87% शिक्षकों ने मैथ्स/भाषा/विज्ञान की किट का उपयोग किया।76% स्कूलों में ऑडियो-विजुअल संसाधन उपलब्ध थे
अनुभवात्मक शिक्षा
97% स्कूलों में खेल गतिविधियां, 96% में सांस्कृतिक कार्यक्रम। खिलौना-आधारित शिक्षण सबसे कम अपनाया गया
डिजिटल एक्सेस
स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुंच 60% छात्रों तक। लैपटॉप/टैबलेट की पहुंच केवल 33%। 9वीं कक्षा के लिए फंक्शनल साइंस लैब्स सिर्फ दो-तिहाई स्कूलों में
भावनात्मक सुरक्षा और अनुशासन: चिंता की बात
70% स्कूलों में एंटी-बुलींग नीति लागू है। 79% छात्र खुद को स्कूल में सुरक्षित महसूस करते हैं। हालांकि, आधे से भी कम छात्र तनाव में किसी से बात करने में सहज महसूस करते हैं
विशेषज्ञों की चेतावनी
शिक्षाविद अनीता रामपाल ने रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, यह मूल्यांकन प्रणाली केंद्रीयकृत है, जबकि इसे स्थानीय और निरंतर होना चाहिए। इससे बच्चों में स्मृति आधारित शिक्षा बढ़ती है, समझ आधारित नहीं।उन्होंने यह भी जोड़ा कि शिक्षक अक्सर इन परीक्षाओं में बच्चों की मदद करते हैं ताकि स्कूल या बच्चे फेल न हों, जो पूरे मूल्यांकन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है।
PARAKH सर्वेक्षण 2024 से स्पष्ट है कि भारत की शिक्षा प्रणाली में शुरुआती कक्षाओं में ही गंभीर खामियां हैं। गणित और विज्ञान जैसे विषयों में बच्चों की समझ कमज़ोर है, और सामाजिक-भावनात्मक समर्थन की ज़रूरत भी साफ़ दिख रही है। ज़रूरत है स्थानीय, बच्चों की ज़रूरतों पर आधारित और समग्र मूल्यांकन प्रणाली अपनाने की।