SpaDex: डॉकिंग के लिये तैयार दोनों सैटेलाइट, ISRO ने साझा की तस्वीर
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SpaDex: डॉकिंग के लिये तैयार दोनों सैटेलाइट, ISRO ने साझा की तस्वीर

SpaDex Mission: स्पैडेक्स मिशन के तहत लांच दोनों सैटेलाइट अब डॉकिंग के बेहद करीब है। इसरो का कहना है कि पहले 15 मीटर और अब तीन मीटर की दूरी पर दोनों सैटेलाइट हैं.


SpaDex Mission: इसरो के खाते में कामयाबियों की कमी नहीं। स्पैडेक्स मिशन की लांचिंग के बाद अब दोनों सैटेलाइट्स की डॉकिंग की तैयारी की जा रही है, रविवार की सुबह दोनों सैटेलाइट को पहले 15 मीटर और फिर 3 मीटर की दूरी पर लाने की प्रयास किया गया। यानी कि दोनों सैटेलाइट हैंडशेक (Satellite Handshake) के बेहद करीब हैं। इसरो का कहना है कि अब जो डेटा मिला है उसके विश्लेषण के बाद डॉकिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। इससे पहले इसरो ने 10 जनवरी को बताया था कि दोनों सैटेलाइट के बीच की दूरी करीब 230 मीटर थी।

30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से PSLV C 60 रॉकेट (ISRO Space Docking) की मदद से 2 छोटे सैटेलाइट्स जिनका वजन 220 किलोग्राम है स्पेस में भेजा गया। करीब 475 किमी की ऊंचाई पर राउंड आर्बिट में स्थापित किया गया। स्पैडेक्स मिशन में पहला सैटेलाइट चेसर और दूसरा टारगेट है. चेसर सैटेलाइट टारगेट को पकड़ने के साथ डॉकिंग करेंगा। सैटेलाइट में रोबोटिक भुजाएं हैं जो हुक के जरिए टारगेट को अपनी तकरफ खींचेगा। इसका फायदा कुछ इस तरह है। मान लीजिए कि कोई सैटेलाइट अपनी कक्षा से दूर जा रहा हो तो उसे वापस खींचकर उसकी कक्षा में लाया जा सकेगा।


इसरो ने साझा की तस्वीर


क्या होता है डॉकिंग
स्पेस डॉकिंग (Space Docking) में दो सैटेलाइट एक दूसरे के करीब आकर एक साथ जुड़ जाते हैं। यह बेहद जटिल प्रक्रिया होती है। डॉकिंग के जरिए दो सैटेलाइट को जोड़कर डेटा शेयर करने के साथ साथ स्पेशल मिशन को अंजाम दिया जाता है। डॉकिंग के दौरान धीरे धीरे दोनों सैटेलाइट को लाकर जोड़ने की प्रक्रिया अपनाई जाती है ताकि किसी तरह का नुकसान ना हो। इसका सबसे बड़ा फायदा स्पेस स्टेशन बनाने, चांद या मंगल पर किसी मिशन अंजाम दिया जाता है।

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