Suraj Tiwari ट्रेन हादसे में गंवा बैठे थे हाथ-पैर, फिर भी UPSC में 917वीं रैंक की थी
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Suraj Tiwari ट्रेन हादसे में गंवा बैठे थे हाथ-पैर, फिर भी UPSC में 917वीं रैंक की थी

हासिल सूरज तिवारी की कहानी हिम्मत और हौसले की मिसाल है,.


उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के कस्बा कुरावली के रहने वाले सूरज तिवारी ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर 917वीं रैंक हासिल की है. ये सफलता सिर्फ शैक्षणिक नहीं है, बल्कि उनके अटूट हौसले और संघर्ष की कहानी है. एक दर्दनाक हादसे के बाद भी सूरज ने हार नहीं मानी और जिंदगी को नए सिरे से गढ़ा.

एक हादसे ने बदल दी जिंदगी

जनवरी 2017 में गाजियाबाद के दादरी में हुए एक ट्रेन हादसे ने सूरज की जिंदगी पूरी तरह बदल दी. इस दुर्घटना में दोनों पैर घुटनों के ऊपर से, दायां हाथ कोहनी से नीचे से और बाएं हाथ की दो उंगलियां कट गईं. सूरज को 4 महीने अस्पताल में और फिर 3 महीने बेड रेस्ट में रहना पड़ा. शारीरिक और मानसिक दर्द के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।

दृढ़ संकल्प से मिली नई राह

अपनी विकलांगता को कमजोरी मानने की बजाय सूरज ने खुद को फिर से खड़ा करने का फैसला लिया. उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से रूसी भाषा में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की. यहीं से उन्होंने देश की सेवा का सपना दोबारा देखा और UPSC की तैयारी शुरू की.

UPSC की कठिन राह

UPSC की तैयारी किसी के लिए भी आसान नहीं होती और सूरज के लिए ये चुनौती और भी बड़ी थी. खासतौर पर कोविड-19 महामारी के बीच. मगर उन्होंने अपनी मानसिक ताकत और मेहनत से ये साबित कर दिया कि असली शक्ति शरीर में नहीं सोच में होती है. पहले प्रयास में वो इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे लेकिन चयन नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने अपनी कमियों को पहचाना और दूसरे प्रयास में पूरे समर्पण के साथ मेहनत की. इस बार उनका सपना सच हुआ.

पूरा कस्बा हुआ गर्व से गौरवान्वित

सूरज की सफलता से उनका परिवार और पूरा गांव गर्व से झूम उठा. उनकी कहानी आज उन सभी के लिए प्रेरणा बन चुकी है जो किसी न किसी संघर्ष से जूझ रहे हैं. सूरज तिवारी की कहानी हमें ये सिखाती है कि असली जीत बाधाओं से नहीं, बल्कि उन्हें पार करने की जिद से मिलती है.

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