
वो IAS अधिकारी, जिसने बेची थी चाय, ऐसी है Himanshu Gupta की सफलता की कहानी!
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा ये देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. गरीबी और कम संसाधनों के बावजूद आईएएस बनने वाले हिमांशु गुप्ता की इस प्रेरक सफलता की कहानी को पढ़कर खुद को प्रेरित रखें.
IAS अधिकारी हिमांशु गुप्ता की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में भी बड़े सपने देखने की हिम्मत रखते हैं. हिमांशु का बचपन संघर्षों से भरा था. उत्तराखंड के सितारगंज जिले में जन्मे हिमांशु के पिता दिहाड़ी मजदूर थे, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. जब मजदूरी से घर चलाना मुश्किल हुआ, तो उनके पिता ने चाय की दुकान खोली. हिमांशु स्कूल के बाद दुकान पर अपने पिता की मदद करते थे. बाद में उनका परिवार उत्तराखंड के शिवपुरी में बसने की कोशिश करता रहा, लेकिन स्थिरता नहीं मिल पाई. साल 2006 में जब वो सिरौली पहुंचे, तो हिमांशु को 70 किमी दूर इंग्लिश मीडियम स्कूल जाना पड़ता था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी.
आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद हिमांशु ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया. पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, ब्लॉग लिखकर पैसे कमाए. उन्होंने पर्यावरण विज्ञान में मास्टर डिग्री पूरी की और टॉप किया. उनके पास विदेश में पीएचडी करने का मौका था, लेकिन उन्होंने भारत में रहकर UPSC की तैयारी करने का फैसला किया. अपने पहले प्रयास में वो IRTS सेवा के लिए चुने गए. उन्होंने तैयारी जारी रखी और 2019 में दूसरी बार परीक्षा देकर IPS अधिकारी बने. तीसरे प्रयास में आखिरकार उन्होंने अपने IAS बनने के सपने को साकार कर लिया.
हिमांशु गुप्ता ने ये साबित कर दिया कि यदि आपके सपने बड़े हैं और आप उनके लिए पूरी मेहनत करते हैं, तो कोई भी कठिनाई आपकी राह नहीं रोक सकती. उनकी लगन और न हार मानने वाला जज्बा हर UPSC अभ्यर्थी के लिए प्रेरणा है.