अमेरिका-चीन में क्यों नहीं होते पेपर लीक, क्या भारत सीखेगा ?
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अमेरिका-चीन में क्यों नहीं होते पेपर लीक, क्या भारत सीखेगा ?

नीट-य़ूजी एग्जाम में धांधली की खबरों के बीच लोगों के जेहन में कई तरह के सवाल है. यहां पर हम बताएंगे कि चीन और अमेरिका के कुछ सिस्टम को लागू कर पारदर्शिता बनी रह सकती है.


NEET-UG Exam Result 2024: फर्ज करिए कि आपका बच्चा पढ़ने में होशियार है, डॉक्टर बनने का सपना है. अब उसे अपने सपने को हकीकत में तब्दील करने के लिए नीट यूजी की परीक्षा ना सिर्फ पास करना होगा. बल्कि रैंकिंग भी बेहतर लानी होगी.अब आपके बच्चे की रैंकिंग में अच्छी है लेकिन उसे मनपसंद कॉलेज नहीं मिल पाता है. ऐसी सूरत में आप सोचेंगे कि भला ऐसा कैसे हुआ. लेकिन नीट-यूजी 2024 की परीक्षा में ऐसा हुआ है. एक साथ 67 बच्चे टॉप कर गए. लेकिन उन 67 बच्चों में से 11 बच्चे ऐसे हैं जो टॉप करने के बावजूद एम्स दिल्ली में दाखिला नहीं पा सकते हैं. आरोप नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर है उसकी तरफ से गलती पर गलती हुई है. एनटीए ने एग्जाम कराने में पारदर्शिता नहीं बरती है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है, छात्रों का आरोप है कि पेपर लीक हुआ था हालांकि केंद्र सरकार फिलहाल किसी तरह के पेपरलीक से इनकार कर रही है. ऐसे में क्या भारत में परीक्षा धांधलीमुक्त हो सकती है. इसके बारे में विस्तार से बताएंगे.

ना यह पहला ना आखिरी केस
नीट-यूजी एग्जाम को लेकर जो आरोप लग रहे हैं. दुख की बात ना तो यह पहली और ना आखिरी घटना होगी. इस साल देश भर के 4500 केंद्रों पर 13 भाषाओं में नीट प्रवेश परीक्षा कराई गई. इसमें कुल 23 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए. इसी तरह से संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा, जेईई एग्जाम में लाखों की संख्या में स्टूडेंट हिस्सा लेते हैं.लेकिन अब छात्रों को डर लगने लगा है कि जिस एग्जाम को वो दे रहे हैं क्या उसमें पारदर्शिता बनी रहेगी. इस समय भारत में उच्च शिक्षा में ग्रास एनरोलमेंट रेशियो 26 फीसद है जिसे कुछ दशकों में 50 फीसद तक ले जाने की योजना है. इसका अर्थ यह होगा कि उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षाओं में छात्रों की संख्या डबल हो जाएगी. ऐसे में दो अहम सवाल उठते हैं. पहला, क्या सिंगल एग्जाम कराने की जरूरत है. अब इतनी बड़ी संख्या में एग्जाम कराएंगे तो उसका संचालन करना आसान नहीं है.अगर एग्जाम कराना इतना ही जरूरी है तो क्या हम चीन और अमेरिका से कुछ सीख सकते हैं. इन दोनों देशों ने इस तरह की चुनौतियों का सामना सफलता के लिए साथ दिया है.

भारत में सिंगल टेस्ट के जरिए एडमिशन
भारत में अभी तक उच्च शिक्षा के लिए सिंगल टेस्ट के जरिए एडमिशन दिया जाता है. इससे बच्चे के पूरा पर्सनैलिटी और ज्ञान के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती हैं. समान राष्ट्रीय बोर्ड या आम प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से स्कूली शिक्षा को मानकीकृत करने का एक महत्वपूर्ण नुकसान उच्च शिक्षा में प्रवेश की समरूपता है, जो रचनात्मकता और विचारों की विविधता को दबा सकता है। इसके अतिरिक्त इस तरह की व्यवस्था से अनजाने में कोचिंग उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है. लिहाजा इस तरह की परीक्षाओं के डिजाइन में लचीलापन, पारदर्शिता, विविधता, मापनीयता, स्टडी मैटेरियल तक पहुंच और भाषा विकल्पों की उपलब्धता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है.

अमेरिका- चीन हैं उदाहरण

अमेरिका में कई शीर्ष रैंकिंग संस्थान हैं. इनमें अलग अलग प्रवेश मॉडल को अमल में लाया जाता है. SAT और ACT कॉलेज में दाखिले के लिए स्टैंडर्ड एग्जाम हैं. इन परीक्षाओं में हर साल लगभग 20 लाख शामिल होते हैं. इसी तरह चीन में ‘गाओकाओ’ विश्व स्तर पर सबसे बड़े एग्जाम में से एक है.इसमें 13.4 मिलियन छात्र शामिल होते हैं. अलग अलग राज्यों में दो से तीन दिनों में लगभग नौ घंटे तक चलती है. इसमें शिक्षकों की भूमिका नगण्य होती है. परीक्षा के प्रश्नपत्र ले जाने वाली गाड़ियों में हथियारबंद गार्ड होते हैं.यूएस मॉडल को संभावित रूप से भारत के लिए अधिक उपयुक्त माना जा सकता है. क्योंकि यह पूरे वर्ष में कई परीक्षा तिथियों के साथ संपन्न होता है. यह पेपर लीक जैसी घटना को कम करता है. भारत में प्राइवेट प्लेयर एक समय में दो लाख से अधिक उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित ऑनलाइन कंप्यूटर-आधारित परीक्षण आयोजित करने के लिए आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर देने में सक्षम हैं. विभिन्न कठिनाई स्तरों के प्रश्नों के एक बड़े प्रश्न बैंक के साथ साथ रियल टाइम असेसमेंट, टेंटेटिव नंबर की व्यवस्था चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं. अगर इसे साथ यूएस मॉडल से जोड़ दिया जाए तो एग्जाम की पारदर्शिता बनी रह सकती है.

एनटीए को मिले संवैधानिक दर्जा

पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यूपीएससी की तरह राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को संवैधानिक दर्जा देना जरूरी है. यूपीएससी संरचना को अपनाना, जिसमें प्रमुख शिक्षाविद परीक्षा प्रक्रिया का प्रबंधन करते हैं और परीक्षाओं के संचालन में शीर्ष संस्थानों को शामिल करते हैं. इससे एग्जाम की विश्वसनीयता बढ़ा सकती है. जेईई एडवांस्ड और गेट परीक्षाओं के हर साल सुचारू रूप से आयोजित होने का मुख्य कारण परीक्षा के हर चरण में आईआईटी संकाय की महत्वपूर्ण भागीदारी है. चाहे वह NEET हो, JEE Mains हो या CUET, NTA के साथ मिलकर इन परीक्षाओं के संचालन में हमारे शीर्ष संस्थानों के एक समूह को शामिल करना महत्वपूर्ण है.

समग्र प्रवेश नीति

भारत में कुछ निजी संस्थानों और विदेशों में कई प्रमुख संस्थानों में समावेशी और समग्र प्रवेश नीतियां अच्छी तरह से काम करती हैं, सरकारी संस्थानों में प्रवेश के लिए ऐसे मेट्रिक्स को लागू करने में चुनौतिया हैं. हालांकि,राज्य और केंद्रीय बोर्ड के टॉपर्स, ओलंपियाड विजेताओं आदि को सीटें देकर प्रवेश में विविधता का प्रबंधन किया जा सकता है. हमारे महत्वाकांक्षी छात्रों के लिए एक लचीला, समावेशी और प्रभावी मार्ग बनाने के लिए प्रवेश प्रक्रिया में बड़े सुधार आवश्यक हैं.जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली प्रतिभा का पोषण करती है और भविष्य के लिए सर्वश्रेष्ठ पेशेवरों का उत्पादन करती है। IIT द्वारा आयोजित GATE और JEE एडवांस्ड जैसी परीक्षाएं अपने प्रश्नपत्रों की गुणवत्ता और विविधता के लिए विश्व स्तर पर अद्वितीय हैं.आईटी कंपनियों और स्टार्टअप्स का लाभ उठाकर और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करके, भारत इन परीक्षाओं का अंतर्राष्ट्रीयकरण कर सकता है.

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