मुद्दा दो दिन में एग्जाम या नॉर्मलाइजेशन, UPPSC के खिलाफ गुस्सा क्यों
उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के खिलाफ छात्रों का विरोध जारी है। सवाल यहां ये है कि विरोध की वजह दो दिन में एग्जाम है या सिर्फ नॉर्मलाइजेशन स्कीम की मुखालफत है।
UPPSC Exam 2024: उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के खिलाफ लाखों की संख्या में छात्र सड़कों पर हैं। वो दो मुख्य मुद्दों पर विरोध कर रहे हैं। पहला दो शिफ्ट में एग्जाम ना कराया जाए और दूसरा की नॉर्मलाइजेशन को हटाया जाए। यहां पर हम दोनों सवालों को समझने की कोशिश करेंगे। दरअसल दो शिफ्ट में एग्जाम की व्यवस्था तब सामने आई जब यूपी में आरओ-एआरओ की परीक्षा पेपर लीक की वजह से कैंसिल हुई। परीक्षा की शुचिता बनाये रखने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) ने निर्देश दिया कि आयोग और प्रदेश की दूसरी परीक्षा एजेंसी इस तरह से व्यवस्था बनाएं ताकि किसी भी छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो। ऐसे में शासन और आयोग ने तय किया कि अगर परीक्षार्थियों की संख्या पांच लाख से अधिक होगी तो एग्जाम दो दिन में कराया जाएगा। अब यूपी पीसीएस 2024 की परीक्षा में परीक्षार्थियों की संख्या पांच लाख से अधिक है।
दो दिन नहीं एक दिन में ही एग्जाम की मांग
दो दिन में एग्जाम कराए जाने के पीछे आयोग का तर्क है कि इतनी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों (UPPSC Student Reason)की वजह से मानक के मुताबिक एग्जाम सेंटर नहीं मिले। आयोग को कुल 1700 से अधिक सेंटर की जरूरत थी। लेकिन 900 के करीब सेंटर मिल सके जो शासन के मानकों को पूरा कर रहे थे। ऐसे में उनके सामने दो दिन में एग्जाम कराने के अलावा और कोई चारा नहीं था। यहां पर सवाल यह है कि अगर परीक्षा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए आयोग दो दिन में परीक्षा करा रहा है तो छात्रों को ऐतराज क्यों होना चाहिए। जानकार कहते हैं कि छात्रों के विरोध के पीछे दो दिन में एग्जाम सिर्फ सांकेतिक है। असली वजह आयोग जिस नॉर्मलाइजेशन की पद्धति को लेकर आया है उसे लेकर है।
क्या है नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया
नॉर्मलाइजेशन की जटिल प्रक्रिया को आप ऐसे समझिए। पहले एक दिन में दो शिफ्ट में एग्जाम होता था। प्रश्न पत्र एक होता था। लिहाजा सबके लिए बराबरी का मौका। लेकिन 2024 में परीक्षा दो दिन में कराई जा रही है। छात्रों को चिंता प्रश्न पत्र को लेकर है। विरोध करने वालों का कहना है कि मान लीजिए पहले दिन की परीक्षा में प्रश्नपत्र का स्तर आसान रहता है और दूसरे दिन प्रश्न पत्र का स्तर कठिन होता है वैसी सूरत में उन छात्रों केके साथ आयोग न्याय कहां कर रहा है। जब आप नार्मलाइजेशन(Normalization Process) की प्रक्रिया से गुजरेंगे जिसमें आप पहले ही कोई मिनिमम कट ऑफ निर्धारित करेंगे वैसी सूरत में कठिन प्रश्नपत्र का सामना करने वाले छात्र पहले ही बाहर हो जाएंगे।
इस प्रक्रिया में उम्मीदवारों की रैंकिंग परसेंटाइल के आधार पर की जाती है। उम्मीदवारों द्वारा हासिल किए अंको के बराबर या उससे कम अंक हासिल करने वाले सभी उम्मीदवारों की संख्या और उस शिफ्ट में मौजूद कुल उम्मीदवारों की संख्या के भागफल को 100 से गुणा किया जाता है। आसान तरीके से आप इसे ऐसे समझ सकते हैं. आयोग द्वारा पीसीएस 2024 की प्रस्तावित परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को प्रस्तावित है। मान लीजिए कि सात दिसंबर को परीक्षा देने वाले छात्रों का औसत नंबर 115 आता है और दूसरे दिन की परीक्षा में औसत नंबर 105 आता है।
ऐसे में नार्मलाइजेशन की प्रक्रिया में कट ऑफ 105 और 115 के बीच बनेगा। मान लीजिए वो संख्या 110 होती है तो इसका अर्थ ये हुआ कि एक छात्र 115 नंबर पाने के बाद उसका प्रभावी नंबर 110 होगा यानी उसे नुकसान होने जा रहा है और जिसका नंबर 105 है उसे फायदा मिलेगा। ऐसे में कोई भी अभ्यर्थी बाहर हो सकता है। इसका दूसरा अर्थ यह भी है किसी भी छात्र को प्रिलिम्स में जगह पक्की करने के लिए आयोग द्वारा तय औसत नंबर से अधिक हासिल करना होगा कि यानी कि छात्र को अपनी तैयारी का स्तर बढ़ाना होगा।