
पान की दुकान से न्याय की कुर्सी तक, Nishi Gupta की प्रेरणादायक सफलता की कहानी
गांव और छोटे शहरों में बेटियों की पढ़ाई को लेकर अब भी बहुत से सवाल उठते हैं. लेकिन निशी के परिवार ने समाज की बातों की परवाह किए बिना.
जहां चाह होती है, वहां राह भी बनती है. इस कहावत को सच साबित किया है कानपुर की निशी गुप्ता ने. एक छोटी सी पान की दुकान से शुरू हुई उनकी यात्रा अब न्याय के मंच तक पहुंच चुकी है. UPPSC PCS 2022 की परीक्षा में टॉप कर उन्होंने न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि हजारों युवाओं को प्रेरणा भी दी है. निशी का जीवन संघर्षों की कहानी है, लेकिन हर कठिनाई को उन्होंने एक चुनौती के रूप में लिया. गांव और छोटे शहरों में बेटियों की पढ़ाई को लेकर अब भी बहुत से सवाल उठते हैं. लेकिन निशी के परिवार ने समाज की बातों की परवाह किए बिना. उन्हें पढ़ने का पूरा अवसर दिया.
जब कई लोगों ने कहा कि लड़कियों को बस घर चलाना चाहिए, निशी के पिता ने पढ़ाई में उनका साथ दिया. उन्होंने हमेशा अपनी बेटी को जज बनने का सपना देखने और उस पर काम करने के लिए प्रेरित किया. शिक्षा की बुनियाद पर खड़ा आत्मविश्वास और निशी की पढ़ाई का सफर एक मिसाल है. 10वीं (77%) – एक सामान्य शुरुआत, लेकिन संकल्प मजबूत. 12वीं (92%) – मेहनत और लगन का पहला बड़ा परिणाम. LLB और LLM (2020) – कानूनी शिक्षा की गहराई में उतरना और फिर शुरू हुई UPSC और PCS परीक्षा की तैयारी.
पहली बार में असफलता, दूसरी बार में बस 1 अंक की दूरी, लेकिन हार नहीं मानी. एक अंक से हारने के बाद मैंने खुद से वादा किया अब रुकना नहीं है. निशी गुप्ता एक साधारण परिवार, असाधारण सोच से है. निशी के पिता निरंकार गुप्ता एक साधारण पान विक्रेता हैं, लेकिन उनकी सोच बेहद प्रगतिशील रही. मां रेखा गुप्ता हमेशा निशी के साथ थीं भावनात्मक और मानसिक समर्थन देती रहीं. वही निशी के भाई-बहन भी प्रेरणा के स्रोत हैं—दोनों IIT से इंजीनियर हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि ये परिवार शिक्षा को सबसे ऊपर मानता है.
अब नजरें हैं सेवा पर, शोहरत नहीं
निशी के लिए IAS या PCS सिर्फ एक सरकारी नौकरी नहीं है एक जिम्मेदारी है वो कहती हैं. अब जब ये पद मिला है, तो मैं इसका इस्तेमाल उन लोगों की मदद करने में करूंगी, जिनकी आवाज अक्सर दबा दी जाती है. उनका सपना है कि वो ईमानदारी से न्याय दें और एक सुलभ और संवेदनशील न्याय व्यवस्था का हिस्सा बनें.
निशी से क्या सीख सकते हैं युवा?
सपनों को बड़ा रखो, भले ही साधन छोटे हों.
असफलता को अंत मत समझो, वो सीखने का मौका है.
परिवार और आत्मबल – सफलता के दो मजबूत स्तंभ हैं.
पढ़ाई में निरंतरता और धैर्य सबसे बड़ी पूंजी है.