2019 से अलग होगा 2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, जो कभी अपने थे अब हैं पराए
x

2019 से अलग होगा 2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, जो कभी अपने थे अब हैं पराए

महाराष्ट्र विधानसभा के लिये चुनावी तारीखों का ऐलान आज हो जाएगा। बता दें कि इस दफा दो बड़े गठबंधन महा विकास अघाड़ी और महायुति एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोकेंगे।


Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र के लिए आज चुनावी तारीखों का ऐलान होने जा रहा है। 288 सीटों की जंग में जादुई आंकड़े 145 को कौन हासिल करेगा। यह अहम सवाल है,इस सवाल का जवाब तो आने वाले समय में मिल ही जाएगा। लेकिन बात इतिहास की होगी। बात 2019 की होगी। 2019 में विधानसभा चुनाव के समय महाराष्ट्र की सियासत में चार बड़े दल हुआ करते थे। बीजेपी, शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी। सियासी मैदान में ये दल एक दूसरे को पटखनी देने की तैयारी में जुटे हुए थे। नतीजा जब सामने आया तो कोई एक दल सरकार बनाने के लिए आवश्यक आंकड़ा हासिल नहीं कर सका था। लेकिन गठबंधन के तौर पर बीजेपी-शिवसेना आगे थी। लेकिन यहां पेंच सीएम पद को लेकर फंसा। सीएम, शिवसेना का होगा या बीजेपी इसे लेकर दोनों दल में सहमति नहीं बनी और उसी बीच टीवी की स्क्रीन पर सुबह सुबह एक तस्वीर हैरान करने वाली आई। बीजेपी के देवेंद्र फड़नवीस ने सीएम पद की शपथ ली और उनके ठीक बाद अजित पवार डिप्टी सीएम की पद शपथ ले रहे थे और यह प्रयोग असामान्य था।

देवेंद्र फड़नवीस के शपथ लेने की बात तो समझ में आई। चूंकि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी लिहाजा संवैधानिक तौर पर सरकार बनाने के लिए राज्यपाल उन्हें न्यौता दे सकते थे। लेकिन अजित पवार का साथ आना बड़े बड़े सियासी पंडितों को हैरान कर दिया। फड़नवीस सीएम तो बन चुके थे। लेकिन विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौर से गुजरना था और वो किसी मुश्किल की घड़ी से कम नहीं था। अजित पवार ने जब खेमा बदला तो इसका मतलब साफ था कि एनसीपी टूटने जा रही है। लेकिन बड़े पवार यानी शरद पवार सक्रिय हुए और अपनी पार्टी को टूटने से बचा लिया। अजित पवार भी एनसीपी को अपना लिये यानी बगावती सुर नरम पड़ गए। शरद पवार खेमे की तरफ से कहा गया कि सुबह का भूला शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते।

लेकिन सवाल यही था कि महाराष्ट्र की राजनीति कौन सी आकार लेने वाली है। सियासत ठहरे हुए पानी की तरह नहीं है। लिहाजा बदलाव के तौर पर देश के सामने एक गठबंधन सामने आया जिसे नाम मिला महा विकास अघाड़ी। इस गठबंधन में तीन बड़े दल शामिल हुए वैचारिक तौर पर मेल नहीं खाते थे। लेकिन राजनीति जरूरतों की वजह से एक दूसरे के करीब आए। यानी कि महाराष्ट्र में सरकार शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की मिलकर बनी। वैसे तो इस गठबंझन की मियाद बहुत लंबी नहीं रही। लेकिन इस के दो घटकों में टूट हुई जिसे हम आगे समझेंगे।

आज से करीब दो साल पहले शिवसेना में टूट हुई। बगावत का झंडा उद्धव ठाकरे के सबसे विश्वस्त एकनाथ शिंदे ने उठाया। 56 में से करीब 20० विधायकों को लेकर वो गुजरात और गुवाहाटी पहुंचे। हाईवोल्टेज राजनीतिक ड्रामे में वो विजेता के तौर पर उभरे। विजेता इस वजह से कि 105 विधायकों वाली पार्टी बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को सीएम बना दिया। शिवसेना में हुई टूट की लड़ाई में चुनाव आयोग ने असली शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट को माना। यानी कि उद्धव ठाकरे तो सत्ता से रुखसत हुए पार्टी से भी हाथ धो बैठे। हालांकि यहां बता दें कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसके साथ ही एक और बड़ी घटना लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हुई जब शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने खुलेआम बगावत करते हुए अलग धड़ा बना लिया और शिंदे सरकार का हिस्सा बन गए। यानी कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के दोनों गुट और एनसीपी के दोनों गुट अलग अलग गठबंधनों के साथ किस्मत आजमाएंगे।

Read More
Next Story