Haryana Assembly Elections 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने सोमवार ( 9 सितम्बर ) को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, जिसके बाद ये संकेत गया है कि अब हरियाणा में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन नहीं होगा. लेकिन सूत्रों का कहना है कि गुंजाइश अभी भी है और आम आदमी पार्टी की ये सूची हाथी के दांत की तरह है जो दिखाने मात्र के लिए है. इसके पीछे का तर्क ये है कि जिन 20 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गयी है, उनमें से अधिकतर को पार्टी की तरफ से ये कहा गया है कि वो न तो कोई प्रतिक्रिया दें और न ही टिकट मिलने का जश्न मनाएं. सवाल ये है कि 12 सितम्बर नामांकन के लिए आखिरी तारीख है और पार्टी ने सिर्फ 20 उम्मीदवारों के नाम ही घोषित किये हैं. उन्हें भी ये हिदायत दे दी गयी है कि न तो प्रतिक्रिया दें और न ही कोई जश्न मनाएं, आखिर क्यों?
क्या प्रेशर टैक्टिस के लिए जारी की गयी 20 उम्मीदवारों की सूची
आप सूत्रों की मानें तो पार्टी ने ये सूची कहीं न कहीं कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए जारी की है, ताकि ये सन्देश जाए कि आम आदमी पार्टी सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. दरअसल आम आदमी पार्टी ये दम जरुर भर रही है कि वो अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है और प्रदेश में पार्टी का जनाधार है लेकिन हरियाणा प्रदेश की राजनीति की समझ रखने वाले लोगों का कहना है कि जमीन पर आम आदमी पार्टी का प्रभाव ऐसा नहीं है कि वो जीत हासिल कर सके. आप ने हरियाणा में प्रेसर टैक्टिस का इस्तेमाल किया है. कांग्रेस आप को 5 से ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं है. जबकि आप कम से कम 6 सीटों की मांग कर रही है. आप भी 6 सीटों के लिए सहमति जता सकती है. एक सीट के लिए पेच फंसा है. सूची जारी होने के बाद भी बातचीत अभी जारी है. सूत्रों का कहना है कि 20 उम्मीदवारों का नाम इसलिए जारी किया गया ताकि कांग्रेस की तरफ से फाइनल डील के लिए बात की जाए. सूत्रों का ये भी कहना है कि आप ने जिन 20 प्रत्याशियों की सूची जारी की है, उनमें से सिर्फ 3 सीटों को छोड़ दे तो बाकी सभी नाम सिर्फ दिखावा है.
कांग्रेस के कंधे पर चढ़ कर विधानसभा पहुँचने की जुगत में है आप
सूत्रों का कहना है कि आप को भी बखूबी मालूम है कि वो अपने बलबूते एक भी सीट पर चुनाव जीतने में सक्षम नहीं है. लेकिन उसकी हसरत विधानसभा में पहुँचने की है. कांग्रेस की जो स्थिति है, उससे स्पष्ट है कि इस चुनाव में वो पहले से काफी मजबूत स्थिति में है. अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन हो जाता है तो बेशक कम सीटों पर ही सही लेकिन आम आदमी पार्टी को विधानसभा पहुँचने का रास्ता मिल जाएगा.
दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा ये है कि जिन 6 सीटों की मांग आप कर रही है, उनमें से 3 सीटों पर आप ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण ये है ये वो सीटें हैं, जहाँ कांग्रेस कभी नहीं जीती है और न ही लड़ाई में ही कहीं रही है.
कांग्रेस और बीजेपी में है मुकाबला
इसमे कोई दो राय नहीं कि इस बार हरियाणा में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है. आप की बात करे तो वो बहती गंगा में हाथ धोने की जुगत में है. कांग्रेस के पक्ष में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है तो वहीँ वोट कटवा पार्टियों का डर भी. बीजेपी की बात करें तो प्रदेश में पिछले 10 साल से सरकार है. जनता में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को लेकर जो गुस्सा था, उसे भापते हुए बीजेपी ने मुख्यमंत्री को बदल दिया लेकिन जानकार मानते हैं कि ये कदम उठाने में बीजेपी ने देरी की. हालाँकि उनका कहना है कि जनता के मन में जो गुस्सा था वो कुछ कम जरुर हुआ है लेकिन इससे बीजेपी को ज्यादा लाभ मिल पायेगा ये कहा नहीं जा सकता.
कांग्रेस के सामने जेजेपी और इनेलो वोट कटवा पार्टी की तरह हैं, ऐसे में कांग्रेस नहीं चाहती कि आप भी मैदान में उतरे, जिससे और ज्यादा वोट काटें और कहीं ऐसा न हो कि इसका लाभ बीजेपी को मिल जाए. इसलिए कांग्रेस आप को 5 सीटें देने को तैयार हुई थी, परन्तु आप की ज्यादा मांग ने कांग्रेस को शांत कर दिया है. हालाँकि जानकारों का कहना है की अगले 24 घंटे महत्वपूर्ण है, जो हर प्रकार की शंका और आशंका को स्पष्ट कर देंगे.