Maharashtra Assembly Elections 2024 : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले महायुती में एक नाम ऐसा है जो हर दिन कुछ न कुछ प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इस ओर इशारा करता है कि या तो वो असमंजस में है या फिर महायुती में खुश नहीं है. बात हो रही है एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार की, जो कभी अपनी विधानसभा क्षेत्र के लोगों को कुछ इस तरह धमकी देते हैं कि कोई और विधायक आएगा तो पता चलेगा जनता की सेवा कौन करता है? तो कभी कहते हैं कि परिवार तोड़ने वाले को समाज पसंद नहीं करता है. अजित पवार किस रुख से जहाँ महायुती में काफी असहजता है तो वहीँ दूसरी ओर जनता भी ये समझ नहीं पा रही है कि क्या अजित पवार अपने चाचा के साथ वापस जाना चाहते हैं? ज्ञात रहे कि शिवसेना कोटे से मंत्री तानाजी सांवत से अजित पवार पर निजी टिप्पणी की थी, इसके बाद महायुति के अन्य विधायकों ने कहा था कि गणपति विसर्जन पर अजित पवार भी महायुति से अलग हो जाएंगे?
जन सम्मान यात्रा में अजित पवार ने कहा
एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार महाराष्ट्र में चुनाव के एलान से पहले ही तैयारियों में जुट चुके हैं. वो इन दिनों प्रदेश में जन सम्मान यात्रा निकाल रहे हैं. अजित पवार ने इसी यात्रा के दौरान जनता के सामने ये कहा कि परिवार तोड़ने वाले को समाज माफ़ नहीं करता है.
बयान से विपक्ष के निशाने पर आये अजित पवार
अजित पवार के इस बयान पर विपक्ष की प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है, ये प्रतिक्रिया कटाक्ष के तौर पर आई है. अजित पवार के बयां पर शिवसेना (UBT) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने तंज कसते हुए कहा कि अब पछताने से क्या लाभ जब चिड़िया चुग गई खेत? अजित पवार को ये बात तब समझ आई जब जनता ने उन्हें ठुकरा दिया.
अजित का ये बयान घर वापसी की तैयारी या जनता की नाराज़गी कम करने की कोशिश
वहीँ राजनितिक विश्लेषकों का अजित पवार के इस बयान पर दो तरह से सोचना है. उनका कहना है कि अजित पवार जिस तरह से जगह जगह पहुँच कर जनता के सामने अपनी गलती का एहसास कर रहे हैं उसके दो मायने हो सकते हैं, एक तो ये कि वो घर वापसी करने की फिराक में हो सकते हैं और दूसरी ये कि वो जनता के सामने ऐसा कह कर अपने प्रति जो जनता के मन में गुस्सा है, उसे कम करने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या महायुती और अजित पवार एक दूसरे से अलग होने का तलाश रहे हैं मौका
वहीँ कुछ राजनितिक विश्लेषकों का ये भी कहना है कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव के परिणाम आये, उसके बाद से महायुती की बात करें तो अजित पवार की एनसीपी सबसे ज्यादा कमजोर साबित हुई है. ऐसे में महायुती के दो अन्य दल बीजेपी और शिवसेना अन्दर ही अन्दर ये चाह रहे हैं कि अजित पवार खुद ब खुद अलग हो जाएँ, जिससे किसी पर ये आरोप न आये कि ख़राब प्रदर्शन की वजह से अजित पवार को बाहर कर दिया गया.
वहीँ अजित पवार को ये महसूस हो चुका है कि अपने चाचा का साथ छोड़ने पर जनता ने उनके प्रति नाराज़गी जाहिर की है. इसी का नतीजा है कि लोगों की सहानुभूति वोट के तौर पर शरद पवार को मिली और अजित पवार की एनसीपी को सिर्फ गुस्सा ही झेलने को मिला. कहीं न कहीं अजित पवार भी महायुती से अलग होने की सोच रहे हैं, जिसके लिए वे उचित मौके की तलाश कर रहे हैं.