बदले समीकरण के बीच पंजाब के हाई प्रोफाइल परिवारों की इन दो महिलाओं के सामने संसद भवन पहुंचना बन चुका है चुनौती
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बदले समीकरण के बीच पंजाब के हाई प्रोफाइल परिवारों की इन दो महिलाओं के सामने संसद भवन पहुंचना बन चुका है चुनौती

पंजाब के पॉवर कॉरिडोर से आने वाली ये दो महिलाये न केवल सांसद बल्कि केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं, जिन दो महिलाओं की बात हो रही है, उनमें एक सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर, तो दूसरी हैं कैप्टेन अमरिंदर सिंह की पत्नी परिणित कौर.


Punjab Loksabha Election update:


पंजाब में दो परिवार सालों से सत्ता पर काबिज रहे हैं. एक बादल परिवार और एक कैप्टेन अमरिंदर सिंह. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में इन दोनों ही परिवारों के सामने अपने सियासी मैदान को फिर से पाना एक बड़ी चुनौती है. इसके पीछे की वजह है जहाँ पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी की सरकार है तो वहीँ लोकसभा चुनाव 2024 में चौतरफा मुकाबला इनकी परेशानी को बढ़ा रहा है. सबसे अहम बात ये रही है कि चाहे सुखबीर सिंह बादल हों या फिर कैप्टेन अमरिंदर सिंह इन दोनों की ही पत्नियाँ लोकसभा चुनाव जीतती हुई आई हैं और केंद्र सरकार में मंत्री भी बनती रही हैं. इस बार इनकी पत्नियों के लिए मंत्री बनने से बड़ा चैलेंज सांसद बनना है . समीकरण की बात करें तो इस बार शिरोमणि अकाली दल बीजेपी का घटक नहीं है. 23 साल तक दोनों दल एक दूसरे के घटक रहे हैं. वहीँ दूसरी ओर परिणित कौर कांग्रेस की बजाये बीजेपी की उम्मीदवार हैं.

पटियाला के राजपरिवार से हैं परिणित कौर, क्या पांचवी बार बचा पाएंगी अपना किला

परिणित कौर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं. वो पटियाला, जो उनकी रियासत भी है, से सांसद हैं. इस बार वो पांचवी बार लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं. वैसे तो ये सीट उनकी और उनके पति कैप्टेन अमरिंदर सिंह की सेफ सीट मानी जाती है लेकिन इस बार मुकाबला चौतरफा है और उनकी पार्टी भी अब कांग्रेस की जगह बीजेपी है तो देखना ये है कि क्या वो अपनी सीट बचाने के साथ बीजेपी के लिए भी सीट निकाल पाएंगी या नहीं. सितंबर 2021 में कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से हटाए जाने के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी और विधानसभा चुनावों में नयी पार्टी का गठन कर चुनाव लड़ा था. लेकिन सफलता न मिलने अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में कर दिया था.

परिणित कौर के सामने कांग्रेस ने डॉ. धर्मवीर गांधी को अपना उम्मीदवार बनाया है. गांधी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर पटियाला से परिणित कौर को हराया था. कांग्रेस के लिए पटियाला सीट काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ सिर्फ चुनावी जंग नहीं बल्कि कैप्टेन अमरिंदर सिंह के साथ अहम की जंग भी है, क्योंकि एक समय में अमरिंदर सिंह को ही पंजाब में कांग्रेस का पर्याय माना जाता था. यही वजह भी है कि इस लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों ही अपने उम्मीदवार के प्रचार के लिए पटियाला आये. इन दोनों के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू आदि भी यहाँ प्रचार के लिए आये. वहीं आम आदमी पार्टी की तरफ से यहाँ डॉ बलबीर सिंह उम्मीदवार हैं तो अकाली दल की तरफ से एनके शर्मा.

बादल परिवार और अकाली दल के अस्तित्व के लिए जरुरी है हरिसिमरत कौर की जीत

सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बठिंडा से तीन बार सांसद रह चुकी हैं. इस बार वो चौथी बार मैदान में उतरीं हैं. लेकिन इस बार सभी समीकरण बदले हुए हैं. सबसे बड़ी बात कि इस बार उमके ससुर और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष रहे प्रकाश सिंह बादल इस दुनिया में नहीं है. सुखबीर सिंह बादल के कन्धों पर न केवल पार्टी बल्कि अपनी पत्नी हरसिमरत कौर को जिताने की बजी ज़िम्मेदारी है. यही वजह भी है कि सुखबीर सिंह बादल खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की सरकार 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के कारण पंजाब की सत्ता के बाहर गयी थी. यही वजह है कि इस चुनाव में पार्टी पंथिक मुद्दों पर खुलकर खेलने के मूड में है. शायद इसलिए ऑपरेशन ब्लू स्टार की 40वें वर्ष पर अकाली दल ने पंजाब की जनता को कांग्रेस से सावधान रहने की बात कही है. इस बार प्रकाश सिंह बादल भी जीवित नहीं हैं, इसलिए ये चुनाव उनकी छात्रछाया के बगैर ही शिरोमणि अकाली दल को लड़ना पड़ रहा है. हरसिमरत अपने हर भाषण में जनता के बीच अपने ससुर प्रकाश सिंह बादल को पंजाब और सिखों के लिए किए गए काम को याद कराती हैं. इस बार उनके सामने सिर्फ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि बीजेपी भी है. कई मुद्दे ऐसे हैं, जिन्हें हरसिमरत कौर अपनी उपलब्धि बताती हैं तो उन्हीं पर बीजेपी भी अपना दावा ठोक रही है. बीजेपी ने यहाँ से परमपाल कौर को अपना उम्मीदवार बनाया है. परमपाल कौर के ससुर सिकंदर सिंह मलूका, जो वर्षों से अकाली दल के जिलाध्यक्ष रहे हैं. वहीं इस सीट पर सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी की ओर से है. यहाँ हरसिमरत कौर के सामने गुरमीत सिंह खुड्डियां मैदान में हैं, जो राज्य की आप सरकार में मंत्री भी हैं. उन्होंने बादल को चुनाव में हराया था. हालाँकि अभी यहाँ की बात करें तो पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की रैली के दौरान जनता ने बहुत ज्यादा गर्मजोशी नहीं दिखाई थी.

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