इस बार ढह रहा है ओवैसी का किला ! पतंग पर चली कांग्रेस की कैंची
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इस बार ढह रहा है ओवैसी का किला ! 'पतंग' पर चली कांग्रेस की कैंची

देश के कुछ खास लोकसभा सीटों में हैदराबाद सीट की गिनती होती है. AIMIM मुखिया असदुद्दीन ओवैसी चुनाव मैदान में है. हालांकि इस दफा चुनाव कांटे का बताया जा रहा है.


Asaduddin Owaisi News: देश में लोकसभा की एक ऐसी सीट है जिस पर एक ही परिवार का पिछले 40 साल से कब्जा है. उस परिवार का नाम है ओवैसी परिवार. असदुद्दीन ओवैसी जोकि एआईएमआईएम के मुखिया हैं लगातार 2004 से इस सीट की नुमांइदगी कर रहे हैं. उससे पहले उनके पिता सलाहुद्दीन ओवैसी 1984 से इस सीट से सांसद है. असदुद्दीन ओवैसी को अगर इस दफा जीत हासिल होती है तो वो पांचवीं बार संसद में पहुंचने में कामयाब होंगे. लेकिन क्या इस बार राह आसान है यह बड़ा सवाल है. यहां हम इस संसदीय सीट पर मतदाताओं की संख्या के बारे में बताएंगे इसके साथ ही हिंदू मुस्लिम मतदाता की भी जानकारी देंगे. साथ में यह भी बताएंगे कि ओवैसी की राह इतनी आसान क्यों नहीं है.

2014-19 में थी यह तस्वीर

हैदराबाद लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या करीब 19 लाख है, इसमें पुरुष मतदाता 9 लाख और महिला मतदाता भी 9 लाख है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 60 फीसद और हिंदू मतदाताओं की संख्या 35 फीसद है. आमतौर पर ऐसा कहा जाता है कि मुस्लिम मतदाता दिल खोलकर ओवैसी के समर्थन में मतदान करते थे. अगर आप 2014 और 2019 दोनों आम चुनाव के आंकड़ों को देखें तो ओवैसी को 52 फीसद और 58 फीसद मत मिले थे. 2014 में उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी के डॉ भगवत राव तो 26.8 फीसद मत मिले थे. अगर 2019 के नतीजों को देखें तो ओवैसी को 58 फीसद और डॉ. भगवत राव को 26 फीसद मिले थे. अगर आप 2019 के नतीजों की तुलना 2014 से करें तो ओवैसी और उनके प्रतिद्वंदी दोनों के मतों में इजाफा हुआ है. लेकिन 2024 का चुनाव क्यों अलग है.

माधवी लता, वलीउल्लाह बिगाड़ सकते हैं खेल

2024 के चुनाव में बीजेपी ने जहां अपने उम्मीदवार को बदला है वहीं कांग्रेस वलीउल्लाह समीर को चुनाव मैदान में उतारा है. माधवी लता के बारे में कहा जाता है कि वो पसमांदा मुस्लिमों में लोकप्रिय हैं. इसकी वजह से कयास लगाए जा रहे हैं कि वो मुस्लिम मतों में सेंधमारी कर सकती हैं, वहीं कांग्रेस के वलीउल्लाह समीर का भी अपना आधार है. लिहाजा वो भी मुस्लिम मतों में बिखराव ला सकते हैं. ऐसी सूरत में ओवैसी की राह उतनी आसान नहीं रहने वाली जितना 2014 और 2019 में थी. अगर विधान सभा की बात करें तो हैदराबाद लोकसभा में कुल सात विधानसभा हैं. 6 विधानसभा मलकपेट, कारवां, चारमीनार, चंद्रयानगुट्टा, याकूतपुरा, बहादुरपुरा पर एआईएमआईएम का कब्जा है जबकि गोशामहल की सीट बीजेपी के खाते में है.

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