हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रचा इतिहास, वोटरों के मन को नहीं पढ़ पायी कांग्रेस
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रचा इतिहास, वोटरों के मन को नहीं पढ़ पायी कांग्रेस

हरियाणा विधानसभा चुनाव ने जाट बहुल मानी जाने वाली विधानसभा सीटों में 9 सीटों पर जीत हासिल की, पिछले चुनाव में जीती 67 प्रतिशत सीटों को बचाए रखने का काम किया. नॉन जाट वोटों ओबीसी और दलितों को बाँधा.


Haryana Elections Result 2024: हरियाणा चुनाव में बीजेपी इतिहास रचने के करीब है. प्रदेश में तीसरी आर भाजपा सरकार बनने जा रही है. शाम के 4 बज चुके हैं और रुझानों में भाजपा को 49 सीटों पर आगे चल रही है. यानी इस बार भाजपा पिछले दो चुनावों 2014 और 2019 के मुकाबले ज्यादा सीट आने वाली हैं. भाजपा के इस जीत के पीछे अलग अलग कारण बताये जा रहे हैं, इसमें सबसे ज्यादा इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि भाजपा ने नॉन जाट वोट को एकजुट किया, जबकि जाट वोट कांग्रेस की तरफ रहे. लेकिन आंकड़ों को देखें तो भाजपा को जाटों ने पूरी तरह से नाकारा नहीं है, कई जाट बहुल क्षेत्र में भाजपा को 9 सीटों पर जीत मिली है.


27 सीटों पर भाजपा फिर से जीती
भाजपा की बात करें तो 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में 40 सीटें जीतीं थीं. इस बार 2024 में भाजपा ने 27 सीटें ऐसी जीतीं हैं, जो पिछले चुनाव में भी जीती थी.

22 नयी सीटें भी आई झोली में - अभी के जो रुझान चल रहे हैं उनमें भाजपा 49 सीटों पर आगे चल रही है, यानी भाजपा 22 नयी सीटों पर भी जीत दर्ज करने जा रही है. इसके मायने ये हुए कि भाजपा को जनता ने पहले के मुकाबले ज्यादा स्वीकारा है. हालाँकि भाजपा ने पिछली बार जीतीं सीटों में से 13 सीटों को गंवाया भी है.

अब बात करते हैं कांग्रेस की तो कांग्रेस को भी इस बार पहले के मुकाबले ज्यादा सीट तो मिली हैं लेकिन बहुमत के आंकड़े से काफी कम रहा. कांग्रेस ने इस बार 19 नई सीटें तो जीतीं है लेकिन 2019 में आयीं सीटों में से 50% पुरानी सीटें यानी 15 सीटें गवां दी है. यही वजह भी रही कि कांग्रेस को नयी सीटें जीतने का कोई फायदा नहीं मिल पाया.

BJP ने हरियाणा के 7 में से 5 जोन में बीजेपी को सीटों में बढ़त मिली है. जानते हैं क्षेत्र वार हरियाणा का हाल.
हरियाणा को 7 पारंपरिक और राजनितिक क्षेत्रों में बांटा जाता है. इनमें जीटी रोड बेल्ट, जो दिल्ली से चंडीगढ़ को जाने वाली रोड को कहा जाट है. इस बेल्ट में 6 जिले आते हैं. पंचकूला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, यमुनानगर, करनाल और अंबाला. कुल 23 विधानसभा सीटें इस बेल्ट में आती हैं. इस बेल्ट की बात करें तो यहाँ नॉन जाट वोटरों की संख्या अच्छी खासी है. यहाँ आबादी का एक बड़ा हिस्सा 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए हुए पंजाबी हैं. 2014 में इस क्षेत्र से BJP ने 21 तो 2019 में 12 सीटें जीती थीं. वहीं इस बार 2024 में बीजेपी ने यहाँ से 14 सीटें जीती हैं.

बांगर बेल्ट - ये वो इलाका है जो पंजाब से लगा हुआ है. इस क्षेत्र में हरियाणा के 2 जिले आते हैं जींद और कैथल. विधानसभा की कुल 9 सीटें आती हैं. बीजेपी को 2014 में इस बेल्ट से 2 सीटें मिली थीं तो 2019 में सिर्फ 3. इस बार की बात करें तो पिछली दोनों बार की सीटों को जोड़ लिया जाए तो इस बार बीजेपी को बांगर बेल्ट में 5 सीटें मिल रही हैं. इस इलाके का प्रमुख पेशा किसानी है. यानी 9 में से 5 सीटों पर भाजपा जीत रही है, को इस बात को सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वाकई किसान आन्दोलन का असर इस चुनाव पर देखने को मिला, जिसे लेकर कांग्रेस काफी उत्साहित दिख रही थी.

दूसरा जो सबसे बड़ा माहौल भाजपा के खिलाफ बनाया गया था कि जाट पूरी तरह से भाजपा के खिलाफ हैं, लेकिन ये दावा भी पूरी तरह से सच नहीं निकला. हरियाणा में 3 जिले ऐसे हैं, जहाँ की 14 सीटें ऐसी हैं, जिसे देशवाल बेल्ट कहते हैं. यहाँ जाटों के देशवाल गोत्र के गाँव ज्यादा हैं. ये जिले हैं रोहतक, झज्जर और सोनीपत. इस बात भाजपा को इन 14 में से 5 सीटों पर जीत मिल रही है, जबकि 2019 में 2 सीटों पर और 2014 में 4 सीटों पर जीत मिली थी. ये नतीजा दर्शाता है कि 100 फीसदी जाट भाजपा के खिलाफ नहीं था.

बागड़ बेल्टः अगर इस बेल्ट की बात करें तो ये राजस्थान और पंजाब से लगे हरियाणा का इलाका है. इस बेल्ट में हरियाणा के 5 जिले आते हैं 5 जिले हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी और चरखी दादरी आते हैं. विधानसभी की 21 सीट आती हैं. इस क्षेत्र में भी जाट मतदाताओं की संख्या ज्यादा है लें पंजाबी और बागड़ी बोलने वालों की संख्या भी कम नहीं है. इस बार इस बेल्ट से भाजपा को 10 सीटें मिलने जा रही हैं, जबकि 2014 में 6 और 2019 में 8 सीटें ही मिली थीं.

अहीरवाल बेल्ट - इस बेल्ट में यादव वोटरों की संख्या ज्यादा है या कहें ये यादव बहुल क्षेत्र को अहीरवाल बेल्ट कहते हैं. इस बेल्ट में 3 जिले रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम जिले आते हैं. इस बेल्ट में 11 विधानसभा सीटें आती हैं. इस बार बीजेपी को 9 सीटें मिलें जा रही हैं, जबकि 2019 में 8 सीटें ही मिली थीं लेकिन 2014 के मुकाबले ये आंकड़ा अब भी कम है क्योंकि BJP 2014 में यहाँ 11 की 11 सीटें जीती थीं.

दक्षिणी हरियाणा
- फरीदाबाद और पलवल जिले को दक्षिण हरियाणा बोला जाता है, जो उत्तर प्रदेश से लगता है. यहाँ की भाषा में ब्रज की बोली का असर दीखता है. इस इलाके की 9 विधानसभा सीटों पर गुर्जर मतदाता का प्रभाव है. 2014 में भाजपा को यहाँ से सिर्फ 3 सीट मिली थीं और 2019 में 7 सीट, जबकि इस बात 6 सीटों पर बीजेपी को जीत मिल रही है.

मेवात बना हुआ है कांग्रेस का गढ़
मेवात इलाका हरियाणा का वो इलाका है, जहाँ पर मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे अधिक है. इस इलाके में 'मेव' मुसलमानों के गाँव बहुत हैं. इस क्षेत्र में 3 सीटें आती है और तीनों पर ही कांग्रेस ने जीत हासिल की है.


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