नतीजों का असर या रूटीन प्रक्रिया,  BJP संगठन में हो सकते हैं बड़े बदलाव
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नतीजों का असर या रूटीन प्रक्रिया, BJP संगठन में हो सकते हैं बड़े बदलाव

नरेंद्र मोदी एक बार फिर सरकार बनाने जा रहे हैं. लेकिन सच यह भी है कि बीजेपी की सीट संख्या में कमी आई है. क्या इसका असर बीजेपी के संगठनात्मक ढांचे पर पड़ेगा.


BJP Organizational Change News: लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के बाद भाजपा को अपने संगठनात्मक ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन करना पड़ सकता है. इस दिशा में पहला कदम पार्टी का नया अध्यक्ष और राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम बनाना होगा, क्योंकि मौजूदा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा नई सरकार में शामिल हो सकते हैं. नड्डा का कार्यकाल इस साल जनवरी में खत्म हो गया था, लेकिन उन्हें लोकसभा चुनाव पूरा होने तक सेवा विस्तार दिया गया था. भाजपा अध्यक्ष के लिए केंद्रीय मंत्री की भूमिका नई नहीं है क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं.

'संगठन में बदलाव की जरूरत'

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह नए चेहरे आने की उम्मीद पर द फेडरल से कहा, "भाजपा के लिए अभी प्राथमिकता सरकार गठन है और उसके बाद ही पार्टी संगठन में कोई बदलाव किया जाएगा। कोई जल्दबाजी नहीं है. भाजपा कोई सरकारी संगठन नहीं है, जिसका कार्यकाल बढ़ाया न जा सके. नड्डा के केंद्रीय मंत्रिपरिषद का हिस्सा बनने की संभावना के साथ, भाजपा 2024 के आम चुनावों में झटके के बाद अपनी चुनाव मशीनरी को दुरुस्त करने के लिए अपनी राष्ट्रीय टीम,राज्य इकाइयों और जिला इकाइयों में बदलाव शुरू करेगी. संगठनात्मक बदलाव की भी जरूरत है.

मोदी कैबिनेट में ये चेहरे हो सकते हैं शामिल

क्योंकि भाजपा नेतृत्व को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करना है.राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को भी केंद्र में जगह मिल सकती है.

ये चेहरे संगठन में बना सकते हैं जगह
पूर्व मंत्रियों को नई भूमिका 15 से अधिक केंद्रीय मंत्रियों के लोकसभा चुनाव हारने के बाद, संभावना है कि उनमें से कुछ को पार्टी संगठन में भूमिका मिल सकती है. लोकसभा चुनाव हारने वाले कुछ प्रमुख मंत्रियों में स्मृति ईरानी, ​​अजय मिश्रा टेनी, अर्जुन मुंडा, राजीव चंद्रशेखर, कैलाश चौधरी, महेंद्र नाथ पांडे, कौशल किशोर, साध्वी निरंजन ज्योति, संजीव बालियान, राव साहब दानवे, आरके सिंह, वी मुरलीधरन, एल मुरुगन, सुभाष सरकार और निशीथ प्रमाणिक शामिल हैं। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने कहा कि संगठन में कुछ वरिष्ठ नेताओं को शामिल करने के अलावा, पार्टी की नई राष्ट्रीय इकाई ओडिशा, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में भाजपा की बढ़ती उपस्थिति को भी दर्शाएगी, जहां पार्टी ने अपनी पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की है.

सहयोगियों को शामिल करना

पिछले दो कार्यकालों के विपरीत, जब भाजपा ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया था और सहयोगियों पर निर्भर नहीं थी. इस बार जादुई आंकड़े से चूकने वाली पार्टी को अपने सहयोगियों को कैबिनेट में जगह देनी होगी.वरिष्ठ भाजपा नेताओं का अनुमान है कि 2009 और 2014 की तुलना में इस बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में उनके सहयोगियों का अधिकतम प्रतिनिधित्व देखने को मिलेगा.वरिष्ठ जदयू नेता रामनाथ ठाकुर ने द फेडरल से कहा कि हम एनडीए के साथ हैं और हमारी कोई मांग नहीं है. ये चर्चाएं बाद में होंगी. हमारे नेता नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से भाजपा नेतृत्व से दो बार बात कर चुके हैं.

इस बीच भाजपा नेता इस बात से खुश हैं कि पार्टी दो और राज्यों में सत्ता में आई है. इन चुनावों के नतीजे महत्वपूर्ण हैं. भाजपा अब एक अखिल भारतीय पार्टी है क्योंकि अब लगभग हर राज्य में हमारी उपस्थिति है.भाजपा के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने द फेडरल से कहा कि पार्टी ने ओडिशा में सत्ता संभाली है.जबकि लोगों ने आंध्र प्रदेश में एनडीए सरकार के लिए वोट दिया है.हमने कर्नाटक में अपना दबदबा बनाए रखा है और केरल और तेलंगाना में भी अच्छा प्रदर्शन किया है.

सिरोया ने आश्चर्य जताया कि विपक्षी दल लोकसभा के नतीजों का जश्न क्यों मना रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा 240 सांसदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है और एनडीए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपनी सरकार बना रही है.कांग्रेस के पास केवल 99 सीटें हैं.वो नहीं समझ पा रहे हैं कि वे जश्न क्यों मना रहे हैं.भाजपा को सभी विपक्षी दलों से अधिक सीटें मिली हैं.

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