महाराष्ट्र में क्या अपनी ही गणित में उलझी BJP, आगे की राह में रोड़ा अधिक ?
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महाराष्ट्र में क्या अपनी ही गणित में उलझी BJP, आगे की राह में रोड़ा अधिक ?

आम चुनाव 2024 में बीजेपी ने महाराष्ट्र में बेहद खराब प्रदर्शन किया है. सवाल यही है कि क्या वो खुद अपनी ही गणित में फंस गई.


Maharashtra Politics News: शपथ लेने के बाद ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कामकाज संभाल लिया. लेकिन 2024 के नतीजों का चीरफाड़ जारी है. अगर आप बीजेपी की सीट संख्या को देखें तो एक बात स्पष्ट है कि अगर यूपी और महाराष्ट्र ने बीजेपी को संभाल लिया होता तो शायद उन्हें जेडीयू या टीडीपी के सहयोग की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन यह सरकार अब दो बैशाखियों पर टिकी हुई है. देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में हार के पीछे की वजह गैर यादव ओबीसी और बीएसपी के वोटबैंक के कुछ हिस्से का इंडिया गठबंधन की तरफ जाना बताया जा रहा है. लेकिन महाराष्ट्र में इतनी खराब हालत क्यों हुई. क्या बीजेपी अपनी ही गणित में उलझ गई. क्या बीजेपी ने जिस तरह से कुछ प्रयोग किए वो फुस्स हो गए. इसे हम समझने और समझाने की कोशिश करेंगे.

महाराष्ट्र में महायुति की महापराजय
महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से बीजेपी गठबंधन को सिर्फ 17 सीटों पर जीत मिली है. बीजेपी को 9 सीट, शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट को सात सीट और एनसीपी अजित पवार गुट को एक सीट मिली है. बता दें कि बीजेपी, शिवसेना एकनाथ शिंदे, एनसीपी अजित पवार और कुछ छोटे दलों को महायुति कहते हैं,वहीं महाविकास अखाड़ी को 30 सीटों पर जीत मिली. इनमें कांग्रेस 13, एनसीपी शरद पवार खेमा को 8, शिवसेना उद्धव ठाकरे खेमे को 9 सीट मिली. 2019 के आम चुनाव की बात करें तो बीजेपी को 23 सीटों पर विजय मिली थी. बीजेपी के कुछ नेताओं का कहना है कि उनके वोट तो शिंदे गुट और अजित पवार को ट्रांसफर हुए लेकिन उन लोगों के मत नहीं मिल सके. अब इसका अर्थ क्या है.

वोट ट्रांसफर ना होने की दलील

अगर बीजेपी के नेता इस तरह की दलील देते हैं तो उसके पीछे ठोस वजह नजर आती है. इससे एक बात तो स्पष्ट है कि जिस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार रहे हैं वहां शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजित पवार से जुड़े वोटर्स ने शिवसेना उद्धव ठाकरे और एनसीपी शरद पवार गुट को वोट किया है. इसका अर्थ यह है कि जमीनी स्तर पर इन धड़ों से जुड़े वोटर्स का लगाव इनके साथ तो है लेकिन वो बीजेपी को वोट करने में कंजूसी कर गए. यदि यह पूरी तरह सच है तो जाहिर सी बात है कि विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है. उदाहरण के लिए कल्याण, उत्तर पश्चिम मुंबई, बुलढाणा, शंभाजीनगर और मावल की जीत यही कुछ कहती है. इन सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. इन सीटों पर महाविकास अघाड़ी के दल एक दूसरे को वोट ट्रांसफर कराने में कामयाब रहे. लेकिन महायुति को लाभ नहीं हुआ. महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि महायुति का सबसे अधिक फायदा शिवसेना उद्धव गुट को मिला.

बीजेपी के कोर वोटर ने भी छोड़ा साथ

इसके साथ ही बीजेपी अपने परंपरागत वोट बैंक माली, धनगर और वंजारी को भी सहेज नहीं सकी.धनगर समाज की नाराजगी का असर यह हुआ कि मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में 12 सीटों पर नुकसान हुआ. इन आंकड़ों से साफ है कि बीजेपी के हार के पीछे उसका खुद का वोट बैंक साथ नहीं होना था. दूसरी तरफ महायुति के दूसरे घटक दलों से भी फायदा नहीं हुआ.ऐसे में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती विधानसभा चुनाव में रहेगी जो अगले कुछ महीनों में होने हैं.

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