लालू और चिराग पासवान के MY में क्या है फर्क, हाजीपुर में किसका जोर
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लालू और चिराग पासवान के MY में क्या है फर्क, हाजीपुर में किसका जोर

बिहार में चिराग पासवान एनडीए गठबंधन के अहम सहयोगी हैं. हाजीपुर से किस्मत आजमा रहे चिराग ने कहा कि उनके और आरजेडी के माई का मतलब अलग है.


Chirag Paswan News: सियासत में कब किसका सितारा चमकेगा किसका सितारा अस्त होगा. शायद किसी को पता नहीं होता. आप को वो साल याद होगा जब राम विलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी पर कब्जे के लिए जंग छिड़ गई. उस लड़ाई में राम विलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस भारी पड़े. पिता की विरासत को सहेजने का काम बेटे चिराग पासवान से चाचा ने छीन लिया था. पशुपति पारस ना सिर्फ मोदी सरकार में मंत्री बने बल्कि पार्टी पर भी कब्जा कर लिया. एक तरह से चिराग सियासी सड़क से फिसल चुके थे. लेकिन अब पासा पलट चुका है और वो बिहार में एनडीए के गठबंधन के सक्रिय सहयोगी हैं और खुद हाजीपुर संसदीय सीट से किस्मत आजमा रहे हैं.

पासवान परिवार की परंपरागत सीट है हाजीपुर

हाजीपुर संसदीय सीट पर उनके सामने राष्ट्रीय जनता दल ने शिव चंद्र राम को उतारा है. ये वहीं शख्स हैं जिन्हें 2019 में चिराग के चाचा ने मात दी थी. अगर हाजीपुर संसदीय सीट की बात करें तो इस सीट पर आरजेडी कभी कब्जा नहीं कर सकी. 1977 में पहली बार राम विलास पासवान को जीत हासिल हुई और आठ दफा यहां से सांसद रहे. इस सीट पर चिराग पासवान की राह कितनी मुश्किल या आसान रहने वाली है उससे पहले यहां मतदाताओं की ताकत समझिए. हाजीपुर संसदीय सीट में कुल 6 विधानसभाएं हाजीपुर, लालगंज, महनार, महुआ, राजापाकर, और राघोपुर है. मतदाताओं की कुल संख्या करीब 19 लाख है जिसमें 10 लाख पुरुष और 9 लाख महिलाएं हैं.

इतिहास से वर्तमान की झलक

अगर 2019 के नतीजों को देखें तो पशुपति पारस को करीब 53 फीसद और शिवचंद्र राम को 33 फीसद मत मिले. उससे पहले 2014 में राम विलास पासवान को 50 फीसद और विरोधी संजीव प्रसाद टोनी को 25 फीसद मत मिले. इस तरह के आंकड़े से आप अनुमान लगा सकते हैं कि इस सीट पर पासवान परिवार का दबदबा रहा है. आंकड़ों के हिसाब से चिराग पासवान की लड़ाई आसान मानी जा सकती है. इन सबके बीच चिराग पासवान ने भी माई का जिक्र करते हुए कहा कि उनके लिए यह शब्द लालू यादव से क्यों अलग है.

मेरे लिए माई का मतलब अलग

एक इंटरव्यू में चिराग पासवान कहते हैं कि लालू जी ने भी माई शब्द का इस्तेमाल किया. लेकिन उनके लिए जाति और धर्म था यानी एम से मुस्लिम और वाई से यादव. माई को जिक्र वो भी करते हैं, उनके लिए एम का अर्थ महिला और वाई का अर्थ यूथ है. उनका मानना है कि बिहार का विकास तभी संभव है जब महिलाएं सशक्त और युवाओं को रोजगार मिले. आरजेडी की सरकार ने समाज के इन दोनों वर्गों से सिर्फ धोखा किया है.

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