हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठबंधन आखिर क्यों ? दिल्ली में चल रही है बैठक
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हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठबंधन आखिर क्यों ? दिल्ली में चल रही है बैठक

दिल्ली में हरियाणा चुनावों को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर बैठक चल रही है. लेकिन कांग्रेस जब हरियाणा में मजबूत स्थिति में होने का दावा कर रही है तो फिर क्यों आप के साथ गठबंधन कर रही है.


Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर एकाएक कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की चर्चाएँ तेज हो गयी हैं. जहाँ हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के सीनियर नेता अकेले चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं तो वहीँ हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बबरिया के एक बयान ने गठबंधन की अटकलों को तेज कर दिया है. गठबंधन की इस बात को सुनकर सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि जब कांग्रेस सर्वे में खुद को मजबूत बता रही है तो ऐसे में उसे गठबंधन की जरुरत क्यों है?


पहले जानते हैं कि आखिर दीपक बाबरिया ने किया कहा
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने मंगलवार को पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है लेकिन अभी कुछ निश्चित नहीं हुआ है. इसी बीच ये भी खबर आई कि राहुल गाँधी गठबंधन को लेकर इक्छुक हैं.

गठबंधन को लेकर दिल्ली में चल रही है बैठक
हरियाणा चुनाव को लेकर आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो या न हो इसके लिए दिल्ली में कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल के आवास पर बैठक चल रही है. सूत्रों का कहना है कि आप ने 10 विधानसभा सीटों की मांग की है जबकि कांग्रेस 7 सीट देने को तैयार है. आप का तर्क है कि लोकसभा चुनाव में हुए गठबंधन में आप को 1 लोकसभा सीट दी गयी थी. ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव की बात करें तो 10 सीट मिलनी चाहिए क्योंकि एक लोकसभा सीट में 9 विधानसभा सीट आती हैं. कांग्रेस 7 सीट इसलिए दे रही है क्यूंकि समाजवादी पार्टी भी हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सीट मांग रही है.

क्या हरियाणा की स्थानीय इकाई के मना करने पर भी होगा गठबन्धन?
सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या हरियाणा कांग्रेस के सीनियर नेताओं के मना करने के बाद भी केंद्रीय नेतृत्व आप के साथ गठबंधन करेगा तो इसका जवाब ये है कि गठबंधन किया जा सकता है. इसकी आशंका इसलिए भी है क्यूंकि इस विषय पर दिल्ली में बैठक चल रही है. बताया ये भी जा रहा है कि इस विषय पर दोनों पार्टियों के बीच पिछले दो दिनों से चर्चा चल रही है. आप की तरफ से राघव चड्ढा बातचीत कर रहे थे.
वहीँ आप के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को कहा कि हम इस गठबंधन का स्वागत करते हैं. हमारा मकसद है बीजेपी को हराना. हालाँकि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रिय संयोजक और दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी साल के शुरुआत में हरियाणा में अपने बलबूते पर राज्य की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी.

कांग्रेस क्यों करना चाहती है गठबंधन
जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं उससे तो यही इशारा मिलता है कि कांग्रेस खासतौर से दिल्ली आलाकमान इस गठबंधन को करने के लिए इक्छुक है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों? जब हरियाणा कांग्रेस इस गठबंधन को लेकर खुश नहीं है तो फिर आलाकमान क्यूँ? इस सवाल पर कुछ वरिष्ठ पत्रकारों और राजनितिक विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान बड़ी तस्वीर को देख रहे हैं. कांग्रेस के विरष्ठ नेता इंडिया गठबंधन को मजबूत करने का सन्देश देना चाहते हैं. इसके पीछे की एक वजह ये भी है कि इंडिया गठबंधन को जिस तरह से लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में सफलता मिली है, उसे कांग्रेस बरकरार रखना चाहती है.

दिल्ली में कांग्रेस भी मांगेगी सीट
दूसरा पहलु ये भी है कि जब कांग्रेस हरियाणा में मजबूत स्थिती में होने के बावजूद आप के साथ गठबंधन करके सीट दे सकती है तो बदले में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में भी आप से सीट मांग सकती है. उस समय आप पर भी ये नैतिक ज़िम्मेदारी बनेगी कि वो कांग्रेस को सीट दे.

कांग्रेस चाहती है मैदान में हो कम पार्टियों से मुकाबला
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के सामने हरियाणा में सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि इनेलो और जेजेपी भी हैं. इनेलो ने बसपा से और जेजेपी ने चन्द्रशेखर की पार्टी के साथ गठबंधन किया है. मकसद दलित वोटों को साधना है. यही वजह भी है कि कांग्रेस नहीं चाहती कि कि राज्य में एक और पार्टी मैदान में उतरे और वोट काटे. कांग्रेस को ऐसा लग रहा है कि जितनी ज्यादा पार्टी मैदान में होंगी उन्टने वोट बढ़ेंगे और ऐसे में कहीं बीजेपी को फायदा न मिल जाए. इसलिए भी कांग्रेस आप के साथ गठबंधन के लिए तैयार है.


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