कम मतदान का मतलब क्या सत्ता पक्ष को फायदा, इतिहास है गवाह
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कम मतदान का मतलब क्या सत्ता पक्ष को फायदा, इतिहास है गवाह

आम चुनाव 2024 के दो चरणों के वोटिंग प्रतिशत पर सियासी पंडित विश्लेषण में जुट चुके हैं कि इसका अर्थ क्या है. यहां हम वोटिंग प्रतिशत पर खास जानकारी देंगे.


LokSabha Elections News: आम चुनाव 2024 के नतीजे किसके पक्ष में जाएंगे. हर एक शख्स की नजर टिकी है. इन सबके बीच पांच चरणों के मतदान प्रतिशत अब सामने हैं, 2019 की तुलना में इन सभी चरणों में मतदान का प्रतिशत कम रहा है. मतदाता सभी पांच चरणों में पहली श्रेणी में पास होने में कामयाब रहे हैं. लेकिन पांचवें चरण में वोटिंग का प्रतिशत महज 60.3 फीसद है. अगर बात मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन की करें तो मतदाताओं में उत्साह कम दिखा. लेकिन पश्चिम बंगाल और जम्मू -कश्मीर के बारामूला में लोग कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए. लेकिन यहां कम और अधिक मतदान प्रतिशत को लेकर सियासी पंडितों के आकल की बात करेंगे. कुछ जानकार कहते हैं कि अधिक मतदान का मतलब सत्ता के खिलाफ आक्रोश होता है. हालांकि 2019 नतीजे इस तरह के विश्लेषण को खारिज कर चुके हैं. अधिक मतदान का मतलब सरकार की वापसी भी होती है. लेकिन बात यहां कम मतदान प्रतिशत की होगी.

वोट प्रतिशत की उलझी गणित

यहां पर हम कुछ आंकड़ों को पेश करेंगे. जैसे 1962 में 55.4 फीसद मत, 1971 में 55.3, 1977 में 60.44 फीसद, 2014 में 66.4 फीसद,2019 में 67.4. इन आंकड़ों से साफ है कि 1971 में सबसे कम 55.3 फीसद मतदान हुआ था तो जाहिर सी बात आपके दिमाग में सवाल उठ रहे होंगे कि किस पार्टी को फायदा मिला होगा. 1971 में इंदिरा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार थी. चुनाव में मतदान का प्रतिशत कम होने के बाद इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि शायद इंदिरा गांधी सत्ता में वापसी ना कर सकें. लेकिन नतीजों ने हैरान कर दिया. कांग्रेस को 518 में से 352 सीटों पर जीत मिली. यही नहीं कुल 55.3 वोट शेयर में 48 फीसद पर कांग्रेस की हिस्सेदारी थी. भारतीय जनसंघ को सात फीसद मतों के साथ 22 सीट और कांग्रेस ओ 10 फीसद मतों के साथ 16 सीटें जीतने में कामयाब रही. इंदिरा गांधी को ना सिर्फ वोट प्रतिशत में तीन फीसद की बढ़त बल्कि 16 सीटों का इजाफा भी हुआ था.

  • 1971 में सबसे कम मतदान 55.3 फीसद हुआ था.
  • 1962 में दूसरी बार सबसे कम मतदान 55.4 फीसद रहा था
  • 1977 में 60.5 फीसद मतदान रहा
  • 1962 और 1961 में कांग्रेस ने वापसी की.
  • 1977 में कांग्रेस हार गई(एंटी इंकंबेंसी फैक्टर)
  • 2019 में बंपर मतदान हुआ
  • 2014 के बाद 2019 में मोदी सरकार ने वापसी की.


जब वोटों के आंकड़े भी गलत साबित हुए

अब थोड़ा और पीछे चलते हैं साल 1962 में तीसरा आम चुनाव हुआ था. इसमें मतदान का प्रतिशत 55.4 था. यह दूसरा सबसे कम मतदान प्रतिशत वाला चुनाव था. लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल हुई. लेकिन इसका अपवाद 1977 में नजर आया. उस आम चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. बता दें कि 1977 में इमरजेंसी हटाया गया था. 1997 में जनता पार्टी को 295 सीट (वोट प्रतिशत 41)हासिल हुई जबकि कांग्रेस के खाते में महज 154 सीट (वोट प्रतिशत 35)आई. अब इन आंकड़ों से साफ है कि अधिक वोट प्रतिशत का मतलब यह नहीं कि मौजूदा सरकार की विदाई हो जाए. इसी तरह कम वोट प्रतिशत का अर्थ यह नहीं कि मौजूदा सरकार वापसी ना कर सके.

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