देवरिया में दलित मतदाताओं पर टिकी नजर, जिसके पक्ष में पलटे उसका पलड़ा भारी
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देवरिया में दलित मतदाताओं पर टिकी नजर, जिसके पक्ष में पलटे उसका पलड़ा भारी

पूर्वी यूपी की देवरिया लोकसभा सीट पर बीजेपी ने युवा चेहरे शशांक मणि त्रिपाठी को उतारा है. इनका मुकाबला इंडिया गठबंधन के अखिलेश प्रताप सिंह से है,


Deoria LokSabha Election 2024 News: पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया लोकसभा सीट पर 1 जून को मतदान होना है. आम चुनाव 2019 की तरह क्या एक बार फिर भगवा रंग में यह सीट रंग जाएगी या लोगों का भरोसा कांग्रेस के हाथ में होगा. बीजेपी ने इस दफा उम्मीदवार को बदल दिया है. 2019 में रमापति राम त्रिपाठी ने जीत दर्ज की थी. इस दफा कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह बीजेपी के युवा चेहरे शशांक मणि त्रिपाठी को चुनौती दे रहे हैं. मतदाताओं की राय अलग अलग है. जहां कुछ लोग बीजेपी के पक्ष में मोदी-योगी लहर की बात कर रहे हैं तो कुछ की नजर में इंडी गठबंधन के अखिलेश प्रताप सिंह कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं. यहां पर भी जातियों की गोलबंदी है लेकिन जानकार कहते हैं कि दलित समाज से जुड़े मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं.

2014-2019 के नतीजों पर नजर

देवरिया में कुल वोटर्स की संख्या करीब 18 लाख 73 हजार है.इसमें पुरुष मतदाता 10 लाख और महिला मतदाता 9 लाख के करीब हैं. अगर 2014 की बात करें तो बीजेपी के कलराज मिश्र ने जीत दर्ज की थी. उन्हें करीब 51 फीसद मत मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी नियाज अहमद(बसपा ) को 23 फीसद. 2019 में रमापति राम त्रिपाठी देवरिया से उम्मीदवार बने और 57 फीसद मत हासिल करने में कामयाब हुए, बसपा के बिनोद जायसवाल को महज 32 फीसद मत हासिल हुए. अगर इन आंकड़ों की बात करें तो बीजेपी के सामने कोई विशेष चुनौती नहीं है. लेकिन चुनावी गणित में सिर्फ अंकगणित की भूमिका नहीं होती.

अब दलित बन चुके हैं बड़ी ताकत

अगर विधानसभा में पार्टियों के प्रदर्शन की बात करें तो इस लोकसभा की देवरिया सदर, रामपुर कारखाना, पथरदेवा, फाजिलनगर, तमकुहीराज पर बीजेपी का कब्जा है. यानी कि बीजेपी मजबूत स्थिति में है. लेकिन सवाल यह है कि क्या बीजेपी का बेहतर प्रदर्शन शशांक मणि त्रिपाठी को मदद पहुंचा पाएगा. देवरिया को आमतौर पर ब्राह्मण बहुल सीट माना जाता है. लेकिन यहां पर दलित समाज के वोटर्स निर्णायक हैं. करीब 15 फीसद की इस आबादी का किसी भी उम्मीदवार की जीत और हार में अहम योगदान होता है. सियासी पर गहरी पकड़ रखने वाले पत्रकार प्रशांत जोशी कहते हैं कि देवरिया में आमतौर पर अगड़ी समाज के सांसद जीत दर्ज करने में कामयाब होते रहे हैं. लेकिन 1990 के बाद से हालात बदले.पिछड़ी जातियां या दलित समाज से जुड़े लोग पहले झंडा उठाया करते थे अब वो खुद कभी समाजवादी पार्टी तो कभी बहुजन समाज पार्टी के जरिए आवाज उठाते हैं. अब आप सिर्फ उन्हें हांक कर अपने पक्ष में नहीं कर सकते हैं. लिहाजा 2024 में जीत किसकी होगी यह देखना दिलचस्प होगा.

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