सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग को बड़ी राहत, वोटिंग के आंकड़ों पर लगाई गई थी अर्जी
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की टाइमिंग पर खड़े किये सवाल, याचिकाकर्ता से कहा अभी ये याचिका सुनने का समय नहीं, गर्मियों की छुट्टियों के बाद नियमित बेंच ले याचिका पर निर्णय
लोकसभा चुनाव के 5 चरण बीत चुके हैं और अब महज 2 चरण शेष हैं. इस बीच चुनाव योग को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. एक एनजीओ की तरफ से दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सुनने से इंकार कर दिया है. ये मामला वोटिंग के आंकड़ों की जानकारी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का है. दरअसल एनजीओ ने ये मांग की थी कि चुनाव आयोग मतदान के बाद मत प्रतिशत के आंकड़ों को अपनी वेबसाईट पर अपलोड करने के साथ साथ फॉर्म 17सी भी अपलोड करें ताकि मतदाताओं की संख्या भी साफ़ हो सके.
क्या विषय था याचिका का
दरअसल इस लोक सभा चुनाव के दौरान विपक्षी दलों की तरफ से चुनाव आयोग पर मतप्रतिशत को देरी से जारी करने को लेकर न केवल सवाल खड़े किये बल्कि आरोप भी लगाये. तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि प्रत्येक चरण के दिन शाम को चुनाव आयोग ने जो जारी किये, उसके कुछ दिन बाद चुनाव आयोग फाइनल आंकड़े जारी कर रहा है और इन आंकड़ों में 4 से 5 प्रतिशत का अंतर पैदा हो रहा है. ऐसे में तमाम विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर शक जाहिर करते हुए फॉर्म 17सी की स्कैन कॉपी को वेबसाईट पर अपलोड करनी की बात कही. एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स(एडीआर) ने इस सन्दर्भ में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि चुनाव आयोग फॉर्म 17सी की कॉपी वेबसाईट पर डाले और मततिशत का फाइनल डाटा मतदान के 48 घंटे के भीतर वेब साईट पर अपलोड किया जाए. देरी की वजह भी बताए कि आखिर कैसे 4 से 5 दिन बाद जो आंकडें जारी किये जा रहे हैं, उनमे मत प्रतिशत में 4 से 5 प्रतिशत का इजाफा कैसे हो रहा है?
चुनाव आयोग ने किया विरोध कहा छवि धूमिल करने की कोशिश
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फॉर्म 17 सी (प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों के आंकड़े) को वेबसाइट पर अपलोड करना उचित नहीं होगा. फॉर्म 17 सी स्ट्रोंग रूम में ईवीएम मशीन और वीवीपैट के साथ रखे जाते हैं, ऐसे में ये कहना कि कुछ गड़बड़ी की जा सकती है, ये चुनाव आयोग की छवि धूमिल करने की कोशिश है. चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की कि इस तरह के याचिकाकर्ता के खिलाफ भारी जुर्माना लगाया जाये, जो सिर्फ संशय के आधार पर मनगढ़ंत आरोप लगा कर चुनाव आयोग जैसे संस्थान की छवि को ख़राब करने का प्रयास कर रहे हैं. वरिष्ठ वकील ने सुप्रीम कोर्ट से ये भी कहा कि एडीआर की मंशा मतदाताओं को भ्रमित करना है. इस एनजीओ द्वारा दायर की गयी एक और याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को भी ख़ारिज किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा अभी ये याचिका सुनने का सही समय नहीं चुनाव बाद की जाए सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एस.सी. शर्मा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की. न्यायपीठ ने कहा कि चुनाव के 5 चरण बीत चुके हैं और महज 2 चरण शेष बचे हैं. चुनाव आयोग की मशीनरी चुनाव संपन्न कराने में जुटी है, ऐसे में अगर कोई दिशा निर्देश दिए जाते हैं, तो नयी प्रक्रिया के चलते चुनाव आयोग का काम प्रभावित होगा, इसलिए फिलहाल इस याचिका को लंबित रखा जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की टाइमिंग पर भी सवाल उठाये और याचिका करता के वकील से सवाल किया कि आखिर चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद ये याचिका क्यों लगायी गयी? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये याचिका सही समय और उचित मांग के लिए दायर नहीं की गयी है. इसलिए इस याचिका पर सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद नियमित पीठ के समक्ष की जाए.