बाबा को बाहर आना है क्या वोट जुटाना है ! गुरमीत राम रहीम ने मांगी 20 दिन की परोल
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को इसी साल फ़रवरी और अगस्त में परोल और फरलो पर 71 दिन के लिए छोड़ा गया है. अब उसने 20 दिन की परोल मांगी है. विपक्षी दल ये आरोप लगते रहे हैं कि चुनाव से पहले गुरमीत राम रहीम को वोट प्रभावित करने के उद्देश्य से जेल से बाहर निकाला जाता है.
Haryana Elections Gurmeet Ram Rahim : हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 5 अक्टूबर को होना है. राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू है. ऐसे में बलात्कार के दोष में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने 20 दिन की परोल की मांग की है. मतदान से ठीक पहले मांगी गयी इस परोल को लेकर राजनितिक गलियारों में दबी जुबान से यही कहा जा रहा है कि क्या बाबा को वोट प्रभावित करने के लिए जेल से बाहर बुलाने की तैयारी की जा रही है. ये आरोप इसलिए भी लगाया जा रहा है क्यूंकि गुरमीत राम रहीम का प्रभाव हरियाणा की 30 विधानसभा सीटों पर माना जाता है. 2010 से लेकर अगस्त 2024 तक राम रहीम को 10 बार परोल/फरलो मिल चुकी है.
20 दिन की मांगी है परोल
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह ने 20 दिन की पैरोल मांगी है. यह अनुरोध 5 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले किया गया है. आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण डेरा प्रमुख का पैरोल का आवेदन चुनाव विभाग को भेज दिया गया है, जिसने जेल विभाग से अनुरोध के पीछे "आकस्मिक और बाध्यकारी" कारण बताने को कहा है, जो चुनावों के दौरान दोषियों को पैरोल पर रिहा करने को उचित ठहराते हैं.
बागपत में रहने की कही है बात
यदि परोल मिल जाती है तो डेरा प्रमुख ने पैरोल अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश के बागपत में रहने की मांग की है.
2020 से 2024 तक 10 बार मिल चुकी है परोल/फरलो
- 24 अक्टूबर 2020 - मान की तबियत ख़राब होने पर उनसे अस्पताल में मिलने के लिए गुरमीत राम रहीम को 1 दिन की पैरोल दी गयी.
- 21 मई 2021 - 12 घंटे की परोल दी गई, माँ से मिलने के लिए.
- 7 फरवरी 2022 - परिवार से मिलने के लिए डेरा प्रमुख को 21 दिन की फरलो मिली.
- जून 2022 - गुरमीत राम रहीम को 30 दिन की परोल मिली. इस दौरान यूपी के बागपत आश्रम भेजा गया.
- 14 अक्टूबर 2022 - राम रहीम को 40 दिन की लिए पैरोल दी गई. वो बागपत आश्रम में रहा. इस बार राम रहीम ने म्यूजिक वीडियो भी जारी किए.
- 21 जनवरी 2023 - अपने गुरु शाह सतनाम सिंह की जयंती के समारोह में शामिल होने के लिए राम रहीम को छठीं बार 40 दिन की परोल मिली.
- 20 जुलाई 2023 - सातवीं बार 30 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया.
- 21 नवंबर 2023 - 21 दिन की फरलो पर राम रहीम बागपत आश्रम गया.
- जनवरी 2024 - रोहतक की सुनारिया जेल में बंद गुरमीत राम रहीम को 50 दिन की परोल पर छोड़ा गया.
- 13 अगस्त 2024 - रोहतक की सुनारिया जेल में बंद राम रहीम को 21 दिन की फरलो पर छोड़ा गया.
परोल और फरलो का एसजीपीसी कर चुका है विरोध
गुरमीत राम रहीम को बार बार मिल रही फरलो या परोल के विरोध में एसजीपीसी की ओर से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल की गयी थी. लेकिन हाई कोर्ट ने इस याचिका का ये कहते हुए निपटारा कर दिया कि हरियाणा सरकार के सक्षम प्राधिकारी को नियुक्त करे, जो ये तय करे कि फरलो या परोल दिए जाने में नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया जा रहा है.
एसजीपीसी द्वारा दायर याचिका के जवाब में हरियाणा सरकार की तरफ से ये तर्क दिया गया कि गुरमीत राम रहीम फरलो या परोल पाने वाला अकेला कैदी नहीं है. बल्कि हत्या/रेप जैसे मामलों में सजा काट रहे 80 से ज्यादा कैदियों को भी नियमों के तहत इसी तरह से परोल या फरलो के तहत छोड़ दिया जाता है.
बीजेपी सरकार पर लगते रहें हैं चुनाव में लाभ लेने के आरोप
जब जब राम रहीम को परोल या फरलो मिलती है तब तब हरियाणा राज्य की सत्ता से बाहर पार्टियाँ सत्ताधारी बीजेपी पर ये आरोप लगाते हैं कि ये सब चुनाव में लाभ लेने के लिए किया जा रहा है. दरअसल राम रहीम के अनुयायी हरियाणा और पंजाब में बहु-संख्या में हैं. इसलिए ऐसा भी माना जाता है कि राम रहीम का प्रभाव हरियाणा की 30 विधानसभा सीटों पर काफी प्रभाव है. इसलिए हरियाणा की सत्ता से दूर पार्टियाँ अपरोक्ष तौर पर बीजेपी पर ये आरोप लगाती हैं कि राम रहीम को जेल से बाहर निकालने का मकसद सिर्फ और सिर्फ चुनाव में लाभ लेने का है.
क्या होती है परोल और फरलो
फरलो - इसे सीधे शब्दों में सजा याफ्ता कैदी को दी जाने वाली छुट्टी बोल सकते हैं. फरलो उसी को मिलती है, जिसे पांच साल से अधिक की सजा दी जाती है और कैदी 3 साल की सजा पूरी कर चूका हो. कैदी के अच्छे आचरण और अनुशासन को देखते हुए उसे फरलो की सुविधा दी जाती है.
परोल - ये एक कैदी को सजा के निलंबन के साथ रिहा करने की व्यवस्था है. इसमें कैदी को सशर्त छोड़ा जाता है, जो आमतौर पर कैदी के व्यवहार पर निर्भर करती है, जिसमें समय-समय पर अधिकारियों को रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है.
पैरोल एक अधिकार नहीं है, इसे एक विशिष्ट कारण के लिये कैदी को दिया जाता है. जैसे- परिवार में किसी अपने की मृत्यु या करीबी रिश्तेदार की शादी आदि.
इसमें एक कैदी को पैरोल देने से मना भी किया जा सकता है, यदि सक्षम प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि दोषी को रिहा करना समाज के हित में नहीं है.
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