हरियाणा चुनाव में नहीं बन पा रही कांग्रेस और आप में बात, क्या आप अकेले लड़ेगी चुनाव
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हरियाणा चुनाव में नहीं बन पा रही कांग्रेस और आप में बात, क्या आप अकेले लड़ेगी चुनाव

कांग्रेस हरियाणा में बेहतर स्थिति में होने के बाद भी आप से गठबंधन इसलिए चाहती है कि अगर आप अकेले लड़ती है तो वोट कटवा का काम कर सकती है, जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता है. वहीँ आप कांग्रेस के कंधे पर सवार होकर विधानसभा में प्रवेश चाहती है.


Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की उम्मीद अब कम होती नज़र आ रही हैं. वजह है कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर एक मत न हो पाना. हालाँकि अभी कुछ संभावना जरुर बची है लेकिन न के बराबर क्योंकि आम आदमी पार्टी कांग्रेस द्वारा दी जा रही सीटों की संख्या से संतुष्ट नहीं है. इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी की नजर शहरी सीटों पर ज्यादा है, जिसे लेकर कांग्रेस तैयार नहीं है.

संभावनाओं के प्रबल दौर में अचानक आया ठहराव

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच हरियाणा चुनाव में गठबंधन को लेकर प्रबल संभावनाएं बन चुकी थीं लेकिन शुक्रवार को ये संभानाएं एक दम से कम होती दिखीं. इस बीच कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी, जिसके बाद आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात भी धीमी पड़ गयी है. कांग्रेस ने 31 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. अभी 59 सीटें बचीं हैं, ऐसे में अभी भी गठबंधन की गुंजाइश बची है लेकिन दोनों ही पार्टियों से सूत्रों का कहना है कि जितनी देर हो रही है गठबंधन की उम्मीदें उतनी ही कम होती जा रही हैं. दोनों ही दलों के बीच सीटों की संख्या को लेकर तो एक मत है ही नहीं, इसके अलावा आप की मांग है कि उसे शहरी सीटों पर मौका दिया जाए, जिसे लेकर कांग्रेस पूरी तरह से तैयार नहीं हैं.

कांग्रेस नहीं चाहती की आप वोट कटवा बन करे नुक्सान

दरअसल कांग्रेस की बात करें तो हरियाणा में वो काफी बेहतर स्थिति में है, लेकिन उसे डर है तो बस वोट कटवा पार्टियों से, जो कहीं न कहीं कांग्रेस की जीती हुई बाजी को हार की तरफ मोड़ने का खतरा बन सकतीं हैं. इनेलो और जेजेपी फिलहाल हरियाणा में उसी स्थिति में हैं. दोनों ही दलों ने दलित वोट साधने के लिए बसपा और चन्द्र शेखर आज़ाद की पार्टी से गठबंधन भी किया है. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आप भी हरियाणा में ऐसी ही पार्टी है, इसलिए दिल्ली में आलाकमान हरियाणा में आप से गठबंधन चाहता है. अब बात न बनने कारण है आप की जरुरत से ज्यादा सीटों की मांग, जिसके लिए प्रदेश कांग्रेस तैयार नहीं है.

कांग्रेस आलाकमान ये भी चाहता है कि आप को कुछ सीटें देकर इंडिया गठबंधन को विधानसभा चुनाव में भी जारी रखा जा सके. इससे इंडिया गठबंधन को भी मजबूती मिलेगा और कांगेस के लिए अन्य प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन के रस्ते भी खुलेंगे. दिल्ली विधानसभा में भी कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की उम्मीद बनेंगी.

आप कांग्रेस के कंधे के सहारे हरियाणा विधानसभा में प्रवेश के जुगाड़ में

वहीँ आम आदमी पार्टी की बात करें तो वो कांग्रेस के साथ गठबंधन इसलिए चाहती है कि कांग्रेस के सहारे उसका विधानसभा में पहुंचना आसान हो जायेगा. आप को भी पता है कि अगर वो अकेले चुनाव लड़ती है तो पार्टी के लिए खाता खोलना भी बड़ी चुनौती है. इसलिए आप के तमाम नेता यही चाहते हैं कि कांग्रेस के साथ किसी तरह से गठबंधन हो जाए. सूत्रों का कहना है कि आप ये भी चाहती है कि जितनी ज्यादा से ज्यादा सीटें हो उतनी कांग्रेस से मांगी जा सके, इसलिए आप लगातार ज्यादा सीटों की मांग कर रही है. इसके पीछे की वजह है ज्यादा सीटों पर लड़ने से पार्टी का प्रदेश में जनता के सामने कद बढेगा और उम्मीदवार जीतते हैं तो ऐसे में विधयाकों की संख्या भी. सूत्रों का कहना है कि आप के वरिष्ठ नेता सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से ऐसा माहौल बनाने में जुटे हैं, जिससे कांग्रेस कहीं न कहीं दबाव में आकर किसी तरह से गठबंधन के लिए तैयार हो जाएँ.

आप कांग्रेस और बीजेपी के बागियों पर जमाये है नज़र

आप सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से गठबंधन की आस अब कम होती नज़र आ रही है तो ऐसे में पार्टी ने एक और रणनिति पर विचार किया है. इस रणनिति के तहत पार्टी कांग्रेस और बीजेपी के उन बागियों को टिकट दे सकती है, जो टिकट कटने से नाराज़ होकर अपनी अपनी पार्टी छोड़ चुके हैं. अगर आप हरियाणा में अकेली लड़ती है तो पार्टी ऐसे बागियों को बड़ी संख्या में टिकट दे सकती है.

दोनों ही पार्टियों से बड़ी संख्या में नेता इस्तीफा दे रहे हैं, जैसा की हर चुनाव के समय पर होता आया है.

आप मांग रही 10 सीटें कांगेस 5 से ज्यादा देने को तैयार नहीं

सूत्रों का कहना है कि आप हरियाणा चुनाव में 10 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है, तो वहीँ कांग्रेस 5 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है. इसलिए दोनों पार्टियों के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है.

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