46 सीट की लड़ाई में 20 फीसद मतों पर नजर, हरियाणा का चुनाव हुआ दिलचस्प
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46 सीट की लड़ाई में 20 फीसद मतों पर नजर, हरियाणा का चुनाव हुआ दिलचस्प

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने कमर कस ली है। दलित समाज के मुद्दे पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने निशाना साधा है। सवाल यह है कि उनके सक्रिय होने से किस पर असर होगा।


Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों के लिए पांच अक्टूबर को चुनाव होना है। नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे। यह चुनाव कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए अहम है लेकिन इनेलो और बीएसपी के लिए वजूद की बात है। बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस बेवजह सपना देख रही है। इसके साथ ही मायावती लगातार कांग्रेस पर निशाना साध रही है। अब उनके इस तरह के हमले से किस राजनीतिक दल पर असर पड़ सकता है। उसे समझने से पहले मायावती ने एक बार फिर निशाना क्यों साधा।

मायावती का क्या कहना है
हरियाणा में हो रहे विधानसभा आमचुनाव के दौरान भी कांग्रेस द्वारा दलितों की लगातार की जा रही उपेक्षा व तिरस्कार से यह साबित है कि पार्टी में जब अभी सब कुछ ठीक नहीं है, गलत है तो आगे क्या होगा? ऐसे में दलित समाज के लोग कांग्रेस व बीजेपी आदि को अपना वोट देकर इसे खराब न करें।वैसे भी हमेशा आरक्षण विरोधी रही कांग्रेस के नेता अब आरक्षण को समय आने पर खत्म करने की बात करते हैं। अतः दलित अपना वोट एकतरफा तौर पर बीएसपी को ही दें क्योंकि यही पार्टी उनके हित व कल्याण की सुरक्षा तथा संवैधानिक हक दिलाकर उन्हें शासक वर्ग बनाने के लिए लगातार संघर्षरत है।साथ ही, जम्मू-कश्मीर में दलित वर्ग के लोगों को भी वहाँ कांग्रेस, भाजपा व अन्य किसी भी गठबंधन आदि के मिथ्या वादे व अन्य बहकावे आदि में नहीं आना है बल्कि इनके दलित विरोधी इतिहास को ध्यान में रखते हुए अपना कीमती वोट एकतरफा तौर पर बीएसपी को ही दें, यही सभी से पुरज़ोर अपील।

हरियाणा की जातिगत संरचना

  • ओबीसी- 35 फीसद
  • जाट 27 फीसद
  • दलित 20 फीसद
  • अनुसूचित जाति के लिए 17 सीट आरक्षित
  • 35 सीटों पर दलित और ओबीसी समाज निर्णायक भूमिका में
  • 2019 में बीजेपी को कुल 40 सीटों पर जीत मिली थी जिनमें 21 सीट ओबीसी दलित प्रभाव वाले
  • कांग्रेस के खाते में दलित- ओबीसी प्रभाव वाले 15 सीट
  • 30 सीटों पर जाट मतदाता निर्णायक

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

सोनीपत के रहने वाली ईशान कहते हैं कि इस दफा लड़ाई बीजेपी के लिए आसान नहीं है। लोग सरकार की नीतियों से नाराज है। समाज का हर वर्ग खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। जहां तक कांग्रेस की बात है तो सीटों के बंटवारे से पहले जनता का पूरा समर्थन था। लेकिन सीट बंटवारों के बाद स्थिति थोड़ी बदली है। इसके साथ ही अगर इनेलो-बीएसपी गठबंधन की बात करें तो जाट समाज में इनेलो को लेकर वो क्रेज नजर नहीं दिख रहा है। हालांकि दलित समाज के लोगों का झुकाव बीएसपी की तरफ है ऐसी सूरत में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए परेशानी की बात है।

सोनीपत के साथ ही गोहाना और जुलाना में भी लोगों की राय कुछ ऐसी ही है। अगर बात जुलाना की करें तो विनेश फोगाट को लेकर समाज के हर वर्ग के लोगों का समर्थन हासिल है। हर समाज के लोगों का कहना है हमारी बेटी बहू ने देश का नाम रोशन किया है लिहाजा उन लोगों का भी कुछ फर्ज बनता है। हालांकि दलित समाज का नजरिया कांग्रेस को लेकर तीखा था। दलित समाज से जुड़े लोग कहते हैं कि हुड्डा सरकार के समय दलित समाज के खिलाफ जो अपराध हुए उसे कैसे भूला जा सकता है। यानी कि अतीत की कुछ घटनाएं कांग्रेस को परेशान कर रही है।

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