कुमारी सैलजा की चुप्पी और ऑफर की कहानी, हरियाणा में किसे मिल सकता है फायदा
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कुमारी सैलजा की चुप्पी और ऑफर की कहानी, हरियाणा में किसे मिल सकता है फायदा

हरियाणा कांग्रेस में तीन बड़े नामों में से कुमारी सैलजा का है। विधानसभा चुनाव में उन्होंने दूरी बना रखी है जिसे लेकर कयासों का बाजार गरम है।


Kumari Selja News: हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों के लिए पांच अक्टूबर को मत डाले जाएंगे। क्या बीजेपी को तीसरी दफा सरकार का मौका मिलेगा। क्या कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता में वापसी करेगी। क्या इनेलो-बीएसपी का गठबंधन कुछ कमाल करेगा। इन सभी सवालों का जवाब 8 अक्टूबर को मिलेगा जब औपचारिक तौर पर नतीजे जारी किए जाएंगे। अब सभी दलों के उम्मीदवार चुनावी प्रचार में जुट गए हैं। लेकिन बगावत, नाराजगी,मानने और मनाने का काम भी जोरों पर है। यहां हम कांग्रेस की एक कद्दावर नेता कुमारी सैलजा की बात करेंगे जो अनुसूचित जाति समाज से आती हैं। इस समय वो प्रचार से दूरी बनाए हुई हैं।

सैलजा ने प्रचार से बना ली दूरी
प्रचार से उनकी दूरी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा-दीपेंद्र हुड्डा की चुप्पी कई तरह के सवालों को जन्म दे रही है। क्या पिता-पुत्र नहीं चाहते कि उनसे इतर कांग्रेस का कोई और नेता चुनावी समर का हिस्सा बने। अब जब कुमारी सैलजा ने चुप्पी साध रखी है तो विपक्ष के नेताओं को मौका मिला। बीजेपी के बड़े नेता, पूर्व सीएम और केंद्र सरकार में मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तो बीजेपी में आने का ऑफर तक दे दिया। वहीं दूसरे पू्र्व डिप्टी सीएम रहे और पंचकुला से उम्मीदवार चंद्र मोहन बिश्वोई ने तो कहा कि सैलजा का अपमान अनुसूचित जाति समाज का अपमान है। इसके साथ बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने भी साथ आने का ऑफर दिया है। अब सवाल यह है कि इस ऑफर का मतलब क्या है। इसे समझने के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्य में अनुसूचित जाति के मतों को देखना होगा।

हरियाणा कांग्रेस में तीन धड़े
हरियाणा की राजनीति पर नजर रखने वाले कहते हैं कि कांग्रेस में यहां शुरू से तीन धड़े भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला का खेमा काम करता है। ये तीनों गुट दबदबे की राजनीति के तहत कभी एक मंच पर दिल से खड़े नहीं दिखे। अब कुमारी सेलजा को हमेशा से शिकायत रही है कि कांग्रेस पार्टी ने उनका वाजिब हक नहीं दिया। वैसे बता दें कि सिरसा से इस समय वो सांसद हैं। विधानसभा चुनाव के लिए जब टिकटों का बंटवार हुआ तो उनकी डिमांड थी कि उनके लोगों को उम्मीदवारों की सूची में जगह दी जाए। लेकिन जब लिस्ट सार्वजनिक हुई तो पहली लड़ाई हुड्डा ने जीत ली। कुमारी सेलजा गुट को टिकट मिले तो वो संख्या दहाई को भी पार ना कर सकी। ऐसे में जाहिर सी बात है कि उनको नाराजगी हुई। सोशल मीडिया के युग में कोई कद्दावर नेता वो भी चुनाव के समय एक्टिव ना हो तो सब कुछ ठीक नहीं के कयास लगने लगते हैं। अगर कुमारी सैलजा की बात करें तो उनका आखिरी ट्वीट 13 सितंबर का है।


क्या है हरियाणा की अनुसूचित जाति की गणित

हरियाणा में दूसरे राजनीतिक दल क्यों डोरे डाल रहे हैं। यह भी बेहद दिलचस्प है। लेकिन इससे पहले यह समझिए कि सैलजा नाराज क्यों हुईं। दरअसल नारनौंद से कांग्रेस उम्मीदवार जस्सी पेटवाड़ अपना नामांकन दाखिल कर रहे थे। उसी दौरान उनके एक समर्थक ने सैलजा पर जातिगत टिप्पणी की। चूंकि जस्सी को टिकट हुड्डा के कोटे से मिली है. लिहाजा विपक्ष ने आरोप लगाया कि पहले तो हुड्डा कैंप ने उकसाया और उसके बाद चुप्पी साध ली।

ऐसी सूरत में विपक्षी दल क्यों कुमारी सैलजा में खुद के लिए उम्मीद देख रहे हैं। दरअसल आम चुनाव 2024 में कांग्रेस को 68 फीसद मत दलित समाज का मिला था जबकि बीजेपी के खाते में महज 24 फीसद। यानी कि सीधे सीधे दलित समाज का वोट किसी भी दल की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाने में अहम है। यह बात सच है कि हरियाणा की राजनीति में मायावती और चंद्रशेखर अपने को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन दलित समाज के मतों पर कुमारी सैलजा का प्रभाव ज्यादा है। हरियाणा की राजनीति को समझने वाले कहते हैं कि अगर सैलजा इसी तरह रूठी रहीं तो कांग्रेस को नुकसान हो सकता है और 10 साल बाद सत्ता में वापसी के सपने पर पानी फिर सकता है।

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