पांच दशक पुराना रिश्ता टूटा, हरियाणा में बिन देवी लाल परिवार BJP तैयार
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पांच दशक पुराना रिश्ता टूटा, हरियाणा में बिन देवी लाल परिवार BJP तैयार

हरियाणा में पिछले 52 साल से किसी ना किसी रूप में चौधरी देवी लाल परिवार का नाता बीजेपी से रहा है। लेकिन इस दफा वो नाता पूरी तरह से टूट चुका है।


Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों के लिए नामांकन के लिए आज आखिरी दिन है। बीजेपी ने सभी 90 उम्मीदवारों तो कांग्रेस ने 81 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। इनेलो-बीएसपी, जेजेपी-आजाद समाज पार्टी पहले ही उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी की तरफ से भी 61 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। इन सबके बीच आपको एक दिलचस्प जानकारी देंगे। 52 साल तक चौधरी देवीलाल परिवार का नाता बीजेपी से टूट चुका है। इस दफा बीजेपी अकेले कमल खिलाने की तैयारी में है।

पांच दशक पुराना था रिश्ता
हरियाणा में एक शख्स हुआ करते थे डॉ मंगल सेन। मंगल सेन और चौधरी देवी लाल के रिश्ते की दुहाई दी जाती थी। वो रिश्ता फेविकोल की जोड़ की तरह था। अगर आप यहां की राजनीति को देखें तो 2014 से पहले बीजेपी अपने आपको स्थापित करने के लिए संघर्ष करती रही है। 2019 में देवी लाल की चौथी पीढ़ी ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। दुष्यंत चौटाला ने उस रिश्ते को नया रूप दिया। लेकिन मौजूदा समय में ना तो वो बीजेपी के साथ हैं और ना ही रणजीत चौटाला और आदित्य चौटाला। चौटाल परिवार या यूं कहें कि देवीलाल का कुनबा खुद को बीजेपी से दूर कर चुका है।

इस दफा देवी लाल परिवार, बीजेपी अलग अलग

अब एक बार फिर बात करते हैं डॉ मंगल सेन की। 1970 के दशक में बीजेपी को जनसंघ के नाम से जाना जाता था। 1977 में जब देवी लाल सीएम बने तो उन्होंने मंगल सेन को डिप्टी सीएम बनाया था। देवी लाल पहले जनसंघ और बाद में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़े। आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब जब जरूरत पड़ी देवी लाल और बीजेपी एक साथ खड़े रहे। ना सिर्फ देवी लाल बल्कि उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला को भी साथ मिला। 2019 में तो देवी लाल के प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। यह बात अलग है कि आम चुनाव 2024 से यह गठबंधन टूट गया। हालांकि अब तस्वीर बदल चुकी है। सैनी सरकार में मंत्री रहे रणजीत चौटाला को जब रनियां से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने अपना अलग रास्ता तय किया। अब निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं। इसी तरह आदित्य चौटाला भी इनेलो के टिकट पर ताल ठोंक रहे हैं। यानी कि 2024 के चुनाव में देवी लाल परिवार और बीजेपी का रास्ता पूरी तरह अलग हो चुका है।

1982 में देवी लाल की पार्टी लोकदल और बीजेपी ने 31 और 6 सीट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन 1987 के चुनाव में दोनों को प्रचंड जीत हासिल हुई। लोकदल को 60 सीट और बीजेपी को 16 सीट मिली थी। देवी लाल सीएम बने। इस तरह से दोनों के बीच मजबूत गठबंधन बना। 1991 में बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ा लेकिन 1996 में बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के साथ समझौता किया। हालांकि 1999 में तस्वीर बदली हुई थी। देवी लाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला और बीजेपी एक साथ आए। जीत दर्ज कर सरकार बनाने में कामयाब रहे। सियासत के जानकार कहते हैं कि राजनीति बहते हुए जल की तरह है। आप बांध कर नहीं रख सकते। समय, काल परिस्थिति के हिसाब से निर्णय लिए जाते हैं।

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