रुझानों में आप की टैली 0/90, हरियाणा में अरविंद केजरीवाल हुए नाकाम
हरियाणा विधानसभा की सभी सीटों के लिए काउंटिंग जारी है। रुझानों में बीजेपी आगे और कांग्रेस पीछे है। लेकिन आम आदमी पार्टी की क्या तस्वीर है उसे बताएंगे।
Haryana Election Result 2024: हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों के लिए काउंटिंग जारी है और अब तक जो रुझान सामने आए हैं उसमें बीजेपी की सरकार बनती नजर आ रही है। एग्जिट पोल के आंकड़े एक बार फिर गलत साबित हो रहे हैं। इस चुनाव में तीन दल बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ साथ दो गठबंधन आईएनएलडी-बीएसपी, जेजेपी-आसपा आमने सामने थे। अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन हुआ होता तो क्या तस्वीर अलग होती। हालांकि अब जब दोनों दल एक साथ चुनाव नहीं लड़े तो तस्वीर किस तरह से नजर आ रही है।
हरियाणा में केजरीवाल का नहीं चला जादू
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी हरियाणा में कोई भी पैठ बनाने में विफल रही है। कांग्रेस के साथ गठबंधन न कर पाने के बाद अकेले हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने वाली आप राज्य विधानसभा में कोई भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सकी। आप के लिए एकमात्र सांत्वना यह है कि पार्टी का वोटशेयर 2019 के विधानसभा चुनावों में 0.48% से बढ़कर इस चुनाव में लगभग 1.59% हो गया है। आप और कांग्रेस ने INDIA के बैनर तले लोकसभा चुनाव लड़ा था।
अंत तक भ्रम की बनी रही तस्वीर
हालांकि दोनों दल चुनावों के लिए सीट बंटवारे पर सहमत नहीं हो सके और एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जमानत मिलने के बाद आप के अभियान को काफी बढ़ावा मिला था। उन्होंने पार्टी के अभियान का नेतृत्व किया और दावा भी किया कि अगली सरकार पार्टी के समर्थन के बिना नहीं बनेगी। लेकिन रुझानों से पता चलता है कि आम आदमी पार्टी अपनी छाप छोड़ने में विफल रही और राज्य में अपना खाता भी खोलती नजर नहीं आ रही है।
अब सवाल यह है कि आम आदमी पार्टी का झाड़ू क्यों नहीं चला। इसके पीछे जानकार बताते हैं कि देखिए कोई भी नेता या स्टार प्रचारक कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम करता है। मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करता है। लेकिन सवाल संगठन का भी होता है। अगर आपका संगठन बेहतर ना हो तो मेहनत बेकार जाती है। इससे भी बड़ी बात यह है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की बातचीत चल रही थी। लेकिन अंतिम समय में नाकाम हो गई और उसका असर यह हुआ कि जनता और खुद आम आदमी पार्टी के कैडर में भी भ्रम की स्थिति बनी रही।