
एक दिन भी इंतजार नहीं 6 नाम का ऐलान, क्या यह राहुल को अखिलेश का है संदेश
Haryana में कांग्रेस की हार के ठीक एक दिन बाद समाजवादी पार्टी ने बड़ा ऐलान किया। UP में 10 Assembly By poll के लिए 6 कैंडिडेट के नाम जारी किए।
Haryana Election Result Impact: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि हरियाणा का चुनाव बहुत कुछ संदेश देने वाला है। 8 अक्टूबर को मतगणना के बीच में ही शिवसेना यूबीटी ग्रुप की तरफ से बयान भी आया। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा था कि आखिर क्या बात है कि सीधी लड़ाई में कांग्रेस हार जाती है। अब इस बयान के कई मतलब थे। बीजेपी(BJP Reaction on Haryana Result) जब इस बयान पर आक्रामक हुई तो शिवसेना की तरफ से गोलमोल जवाब भी आ गया। लेकिन नतीजों के ठीक एक दिन बाद यूपी विधानसभा उप चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने 6 उम्मीदवारों की सूची जारी की। यह सूची कम से कम दो मायनों में खास है पहला ये कि विधानसभा उप चुनाव (UP Assembly By Poll)के लिए तारीख की घोषणा नहीं हुई है और दूसरा ये कि इन 6 सीटों में मझवा और फूलपुर ऐसी सीट है जिसे कांग्रेस खुद के लिए चाहती थी। यहीं से सवाल उठता है कि क्या यह हरियाणा में कांग्रेस की हार का नतीजा है या एक भी सीट नहीं मिलने का बदला। इस विषय को यहां पर हम विस्तार से बताएंगे।
अगर समाजवादी पार्टी की लिस्ट को देखें तो इसे आप पीडीए का फैमिली वर्जन कह सकते हैं। उदाहरण के लिए मिल्कीपुर से जिस अजीत प्रसाद को टिकट मिला है उनके पिता अवधेश प्रसाद फैजाबाद से सांसद हैं। इन छह सीटों में चर्चा के केंद्र में जो सीटें मझवां और फूलपुर हैं। ऐसा कहा जा रहा है इन दोनों सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार को उतारना चाहती थी। लेकिन अखिलेश यादव की पार्टी का तर्क है कि यहां पर हमने पिछले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था। लेकिन सवाल तो टाइमिंग का है। सियासी जानकार कहते हैं कि इसे थोड़ा आपको पीछे चलना होगा।
मध्य प्रदेश में जब विधानसभा चुनाव हो रहे थे और समाजवादी पार्टी के लोग कुछ सीट चाहते थे उस वक्त कमलनाथ का व्यवहार रुखा था। उन्होंने अखिलेश वखिलेश तक कह दिया। इसी तरह हरियाणा के चुनाव में समाजवादी पार्टी 2 से तीन सीट चाहती थी। लेकिन दीपेंद्र हुड्डा ने साफ कहा कि यहां इस दल का कोई जनाधार नहीं है। जाहिर सी बात है कि गठबंधन के सहयोगी के लिए यह किसी अपमान से कम नहीं था। इस तरह के व्यवहार पर समाजवादी पार्टी की तरफ से सधा बयान आया कि बड़े उद्देश्य को हासिल करने के लिए हम त्याग करने के लिए तैयार हैं।
समाजवादी पार्टी ने जब 6 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया तो विपक्ष को निशाना साधने का मौका मिला। बीजेपी ने कहा कि यह जो कुछ आप लोग देख रहे हैं वो तो हरियाणा में कांग्रेस की हार का नतीजा है। इस विषय पर वरिष्ठ समाजवादी नेताओं ने कहा कि बीजेपी को खुश होने की जरूरत नहीं है, हमारा गठबंधन पहले की तरह मजबूत और कायम है। इसी मामले में यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कि देखिए हम पांच सीटों पर लड़ने की योजना बना रहे हैं। आलाकमान को जानकारी दी गई है अंतिम फैसला उनके यहां से होना है और वही अंतिम फैसला होगा। यानी कि दबाव की बात दोनों तरफ से की जा रही है। सियासत के जानकार कहते हैं कि दरअसल अगर हरियाणा में कांग्रेस की पराजय नहीं हुई होती तो इस तरह की बात नहीं होती। बात यहां 10 सीट की भी नहीं है। हरियाणा चुनाव के नतीजों के जरिए समाजवादी पार्टी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि अगर हरियाणा में इतना मजबूत होने के बाद नतीजा निराशाजनक रहा है तो यूपी में आपका आधार पहले से ही कमजोर है।