हरियाणा चुनाव में कैसे भाजपा ने बदला जातीय समीकरण, जाट भी साधे और गैर जाट भी
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हरियाणा चुनाव में कैसे भाजपा ने बदला जातीय समीकरण, जाट भी साधे और गैर जाट भी

हरियाणा चुनावों में हुडा ओ कांग्रेस का चेहरा दर्शाने पर भाजपा ने फायदा उठाया. जनता के बीच जाट और गैर जाट का माहौल बनाया. इतना ही नहीं जाट भी साधे और गैर जाट भी. एससी वोटरों में भी गैर जाटव वोटरों को अपने पक्ष में किया.


Haryana Elections Results 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम लगभग आ चुके हैं. भाजपा तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. भाजपा को जनता ने पूर्ण बहुमत दिया है और इस बार की जीत भाजपा के लिए एतिहासिक है क्यूंकि 2014 में जहाँ भाजपा को 47 सीट मिली थीं तो वहीँ 10 साल बाद 2024 में 48 सीटें आई हैं. भाजपा की इस जीत में जातीय समीकरण भी काफी रहा है. जिसमें सबसे अहम रहा जाट बनाम अन्य के अलावा अनुसूचित जाति के वोटों में भी बंटवारा हुआ. अनुसूचित जाति की बात करें तो प्रदेश में लगभग 40 प्रतिशत जाटव है और 60 प्रतिशत अन्य. ऐसा बताया जा रहा है कि अनुसूचित जाति का जो 60 प्रतिशत वर्ग है वो भाजपा की तरफ गया. इस मामले में एक ख़ास बात ये भी रही कि इस चुनाव में कांग्रेस का संविधान खतरे वाला अजेंडा काम नहीं कर पाया.

बात करते हैं जातिय समीकरण की तो ये कहना गलत होगा कि भाजपा को किसी जाति का वोट नहीं मिला या सीधे बात करें तो जाटों ने भाजपा को वोट नहीं दिया ये कहना सही नहीं है, क्योंकि प्रदेश में 33 सीटें ऐसी हैं, जिन पर जाटों का वर्चस्व माना जाता है लेकिन इन 33 में से 15 सीटों पर भाजपा को जीत मिली है तो कांग्रेस को 16. लेकिन जो बात सबसे ज्यादा असरदार रही वो ये कि भूपिंदर सिंह हूडा के मुख्यमंत्री का चेहरा बनने पर पूरे प्रदेश में भाजपा की तरफ से इस बात का प्रचार प्रसार कर दिया गया कि हूडा के आते ही प्रदेश में सिर्फ एक जाति का दबदबा देखने को मिलेगा. सिर्फ एक इसी बात ने प्रदेश की जनता पर ऐसा असर डाला कि कहीं न कहीं गैर जाट बिरादरी लाम बंद हो गयीं और इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला.

अनुसूचित जाति ने भी किया भाजपा का रुख

हरियाणा के नतीजे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि प्रदेश में एससी वोटरों ने भाजपा को वोट किया है, उसमें भी गैर जाटव वोट सबसे ज्यादा भाजपा को मिले. हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र सैनी का कहना है कि अभी नतीजे आये ही हैं, अभी हर एंगल पर विश्लेषण करना जल्दबाजी होगा लेकिन एक बात ये है कि ओबीसी और एससी वोट बीजेपी को अच्छी संख्या में मिले हैं. इसके पीछे की एक कहानी ये रही कि चुनाव घोषित होने से पहले भाजपा ने एससी आरक्षण में एक और बी कैटेगरी बनाने का वायदा किया जिसने गैर-जाटव वोटों को चुनाव में भाजपा के पक्ष में एकजुट करने का काम किया जबकि लोकसभा चुनाव में यह वर्ग कांग्रेस के साथ गया था। वहीं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमार शैलजा के खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणियों का असर भी जाटव मतदाताओं को देखने का मिल रहा है। इसी वजह से कांग्रेस को जाटव व गैर जाटव दोनों ही वर्गों के वोट उम्मीद से कम मिलने की बात निकल कर सामने आ रही है।

भाजपा को मिला साइलेंट वोट

पत्रकार रविन्द्र सैनी का कहना है कि भाजपा का वोटर साइलेंट रहा और उसने शोर न मचाते हुए वोट देने का काम किया. अभी आंकड़े आ रहे हैं, जिसके बाद ही सही तरह से विश्लेषण करना ज्यादा सटीक रहेगा. प्रदेश में भाजपा के पक्ष में जो चीजें रहीं वो पिछडे वर्ग की जातियों यादव, सैनी व गुर्जर के साथ-साथ पंजाबी वोटों का ध्रुवीकरण रही। इनके अलावा भाजपा को वैश्य व राजपूत समाज के भी अच्छे खासे वोट मिलने की बात निकल कर सामने आ रही है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का अति उत्साह में आना इसके लिए नुकसानदेह साबित हुआ।



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