अगर एग्जिट पोल ही औपचारिक नतीजा हो, हरियाणा ने बीजेपी को क्यों नकारा
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अगर एग्जिट पोल ही औपचारिक नतीजा हो, हरियाणा ने बीजेपी को क्यों नकारा

हरियाणा में बीजेपी का खर्ची-पर्ची का असर नजर नहीं आ रहा है। अगर एग्जिट पोल को औपचारिक नतीजा माना जाए तो यहां की जनता ने बीजेपी को नकार दिया है।


Haryana Exit Polls Results: हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों के लिए चुनाव पांच अक्टूबर को संपन्न हुआ। मतदाता फर्स्ट क्लास डिविजन से पास हुए। लेकिन अब बारी प्रत्याशियों की है कि फैसला उनके खिलाफ जाएगा या उनके मुकद्दर में चंडीगढ़ का सफर लिखा है। वैसे तो नतीजों का औपचारिक ऐलान 8 अक्टूबर को होगा। लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल के आंकड़े सामने हैं। अगर उन नतीजों को औपचारिक नतीजों में तब्दील होते हुए देखा जाए तो बीजेपी 10 साल बाद सत्ता से बाहर हो चुकी है। बीजेपी पूरी तरह से कमल खिलाने में कामयाब नजर नहीं आ रही है, वहीं हरियाणा की जनता ने कांग्रेस के हाथ को साथ दिया है।

खर्ची-पर्ची का जोर रहा कम
एग्जिट पोल के नतीजों को अगर गौर से देखें तो हरियाणा के हर हिस्से में नुकसान होता नजर आ रहा है। यहां सवाल यह है कि बीजेपी का सीएम बदलने वाला फॉर्मूला काम करता हुआ नहीं नजर आ रहा है। या यूं कहें कि केंद्र सरकार की नीतियों का खामियाजा बीजेपी को राज्य में उठा पड़ रहा है। अगर आप आम चुनाव 2024 के नतीजों को देखें तो हरियाणा की जनता ने इशारा कर दिया था कि बीजेपी के लिए किस तरह की तस्वीर रहने वाली थी। वैसे हरियाणा बीजेपी की तरफ से कई चुनावी वादे किये गए। लेकिन वोटर्स ने उन वादों को सिर्फ छलावा माना। हरियाणा के युवा वोटर्स ने कहा कि यह बात सच है कि खर्ची-पर्ची पर लगाम लगा है। लेकिन सवाल यह है कि सरकार ने कितनी नौकरी दी है। चार लाख से ज्यादा पद खाली है, पिछले 10 साल से बीजेपी की सरकार है। कांग्रेस की तरफ से जब 2 लाख भर्ती का वादा किया गया उसके बाद बीजेपी ने वादा किया। इसका अर्थ यह हुआ कि बीजेपी को दबाव में यह बात कहनी पड़ी।

किसान आंदोलन और एमएसपी

हरियाणा के लोगों में किसान आंदोलन के दौर की ज्यादती, गम और गुस्सा अभी भी कायम है। यहां के लोगों को लगता है कि शंभू बॉर्डर को बेवजह बंद किया गया है। किसानों ने अपनी मांग के लिए दिल्ली जाने की कोशिश की। लेकिन जीटी रोड पर चाहे करनाल हो, कुरुक्षेत्र हो या पानीपत हो क्या हुआ। इस सरकार ने कहा कि वो २४ और फसलों को एमएसपी के दायरे में लाए हैं। लेकिन हकीकत यह है कि वो सभी फसलें हरियाणा के किसान नहीं उगाते हैं। ऐसे में इस तरह के ऐलान का क्या फायदा। वहीं कांग्रेस कह रही है कि वो एमएसपी को कानूनी दर्जा दिलाएगी जो निश्चित तौर पर हमारी जरूरतों को पूरी करता है।

महिला खिलाड़ियों का मुद्दा

हरियाणा में बीजेपी के खिलाफ लोगों का यह भावना कर गई कि महिला पहलवानों का अपमान हो रहा है। खासतौर से दिल्ली के जंतर मंतर पर जिस तरह से विनेश फोगाट समेत दूसरी महिला खिलाड़ियों के साथ बर्ताव किया गया वो यहां के लोगों को पसंद नहीं आया। हरियाणा में यह भावना काम कर गई कि केंद्र सरकार हर संभव तरीके से खेल और खेल संघों में हरियाणा के दबदबे को तोड़ने की फिराक में है। ब्रजभूषण शरण सिंह का मुद्दा यहां छाया रहा है। यही नहीं हाल ही में ओलंपिक में सिर्फ १०० ग्राम की वजह से बाहर हुईं विनेश फोगाट का मुद्दा छाया रहा।

जाट बनाम गैर जाट

हरियाणा की राजनीति में जाट बनाम गैर जाट का मुद्दा हमेशा से सुर्खियों में रहा है। अगर बीजेपी की राजनीति को देखें तो प्रदेश स्तर के जाट नेताओं की कमी रही है। जाट वोटों में कांग्रेस और आईएनएलडी का दबदबा रहा है। इस लिहाज से बीजेपी की तरफ से गैर जाट की राजनीति शुरू हुई। इसे आप मनोहर लाल खट्टर, नायब सिंह सैनी के तौर पर देख सकते हैं। लिहाजा जाट आबादी को लगता है कि उसका हित बीजेपी के साथ सुरक्षित नहीं है। इसके अलावा बीजेपी के रणनीतिकारों को यह लगता रहा है कि जाट मतदाता कांग्रेस, आईएनएलडी और जेजेपी में बंटेंगे। लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे कुछ और ही इशारा कर रहे हैं। इस चुनाव में आईएनएलडी और जेजेपी दोनों जमीन पर नजर नहीं आ रहे हैं।

10 साल का सत्ता विरोधी लहर

सियासत में और सियासी जानकार सत्ता विरोधी लहर का बात अक्सर करते हैं। इसके पीछे वजह भी होती है। सियासी जानकार कहते हैं कि सत्ता में आने के लिए राजनीतिक दल लोकलुभावन करने से पीछे नहीं रहते। लेकिन सत्ता पर काबिज होने के बाद जब वो वास्तविकता से रूबरू होते हैं तो अलग तरह की मुश्किल खड़ी होती है। इसके साथ ही स्थानीय स्तर अलग अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। बीजेपी की राजनीति के बारे में आम धारणा यह भी है कि यह पार्टी व्यवहारिक पक्ष के बारे में कम सोचती है। यह बात सच है कि देश का आर्थिक विकास होना चाहिए। लेकिन उसका फायदा आम जन को भी मिलना चाहिए। यही वो विषय है जिस पर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने घेरने की कोशिश की जिसका फायदा उन्हें मिलता नजर आ रहा है।

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