सत्ता के सिंघासन से अस्तित्व की लडाई तक चौटाला परिवार
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सत्ता के सिंघासन से अस्तित्व की लडाई तक चौटाला परिवार

हरियाणा की राजनीती में कभी चौटाला परिवार का वो दबदबा था कि सत्ता की चाबी और सत्ता दोनों इस परिवार के इर्द गिर्द घुमती थी लेकिन अब ये अलाम है कि परिवार में फूट पड़ चुकी है, पार्टी दो हिस्सों में बंट चुकी है. सत्ता तो बहुत दूर की बात अस्तित्व बचाना बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है.


Haryana Assembly Elections 2024: वक्त बड़ा बलवान होता है. एक समय ऐसा था जब हरियाणा की राजनीती में चौटाला परिवार की तूती बोलती थी. हरियाणा की सत्ता से चौटाला परिवार का सीधा रफ्ता होता था और हर चुनाव में चौटाला परिवार या फिर कांग्रेस की टक्कर होती थी, लेकिन समय का पहिया कुछ ऐसा घुमा कि पिछले 24 सालों से सत्ता से बाहर ये परिवार अब अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ रहा है. इंडियन नेशनल लोकदल भी अब दो भागों में बंट चुकी है और चौटाला परिवार भी. देखना ये है कि इस चुनाव में चौटाला परिवार अपना अस्तित्व बचा पाता है या फिर नहीं.


देश के पूर्व उपमुख्यमंत्री देवी लाल ने किया था गठन
इंडियन नेशनल लोकदल का गठन देवी लाल ने 1998 में किया था, जो हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके थे और देश के उप प्रधानमंत्री भी. जब वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने थे तो उनसे पहले देवी लाल को प्रधानमंत्री बनने की पेशकश दी गयी थी लेकिन उन्होंने ये ज़िम्मेदारी वीपी सिंह को सौंप दी. साथ ही हरियाणा की गद्दी अपने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को. ओम प्रकाश चौटाला की बात करें तो वो कुल 6 बार हरियाणा के मुख्मंत्री रह चुके हैं, उनका आखिरी कार्यकाल 1999 से 2005 तक रहा और उसके बाद से वो सत्ता से बाहर हैं.

चौटाला परिवार ने 6 बार दिया हरियाणा को मुख्यमंत्री
चौटाला परिवार की बात करें तो हरियाणा में अब तक 11 बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं, इनमें से 6 बार मुख्यमंत्री चौटाला परिवार से आये हैं. 2 बार देवी लाल और 4 बार ओम प्रकाश चौटाला.

जेल जाने के बाद परिवार में हुई फूट
टीचर भर्ती घोटाले के मामले में ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला को जेल जाना पड़ा. इसके बाद ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला को पार्टी की बागडोर संभालने का मौका मिला, लेकिन इसी बीच अजय चौटाला के बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को विदेश से बुला लिया गया. ये दोनों भी पार्टी का काम देखने लगे लेकिन इसी दौरान उनकी अपने चाचा अभय चौटाला के साथ अनबन शुरू हो गयी. नतीजा ये रहा कि ये अनबन परिवार में फूट का कारण बनी. नतीजा ये रहा कि अजय चौटाला और उनके बेटों ने आईएनएलडी से अपना नाता तोड़ लिया और जेजेपी ( जन नायक जनतांत्रिक पार्टी ) का गठन किया. 2019 के विधानसभा चुनाव में जेजेपी को इनेलो से बेहतर परिणाम मिले और 10 सीटें जीत कर जेजेपी किंगमेकर की भूमिका में आई. बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली जेजेपी के दुष्यंत चौटाला को हरियाणा का उपमुख्यमंत्री बनाया गया.

2024 में जेजेपी और इनेलो का हाल एक सा
पांच साल बाद की बात करें तो जेजेपी का हाल भी इनेलो की तरह ही हो चुका है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में जेजेपी और इनेलो एक भी सीट नहीं जीत पाई. वोट परसेंटेज की बात करें तो इनेलो ने सात सीटों पर चुनाव लड़कर 1.84 प्रतिशत वोट हासिल किए, जबकि जेजेपी ने सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़कर 0.87 प्रतिशत वोट हासिल किए.

दलित वोटरों पर नजर
विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दोनों ही पार्टियों की नजर दलित वोटों पर है. इनेलो ने बसपा से तो जेजेपी ने आज़ाद समाज पार्टी(एएसपी) से गठजोड़ किया है. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि अपने अस्तित्व की लड़ाई के बीच भी ये दोनों दल एक दुसरे से ही सीधी लड़ाई लड़ रहे हैं. जबकि प्रदेश के राजनितिक विश्लेषकों का ये मानना है कि लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. जेजेपी और इनेलो की प्रमुख टक्कर दो विधानसभा सीटों रानिया और डबवाली पर है, जहाँ दोनों ही दल एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं.


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