किसकी जीत में हाथरस की हींग का लगेगा तड़का, मामला है त्रिकोणीय
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किसकी जीत में हाथरस की हींग का लगेगा तड़का, मामला है त्रिकोणीय

2014- 2019 में हाथरस लोकसभा सीट पर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही. इस दफा मामला त्रिकोणीय बताया जा रहा है. 2019 के चुनाव में सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे.


Hathras Loksabha Election News: हींग का उपयोग हाजमे को दुरुस्त रखने के लिए किया जाता है. सवाल यह है कि सियासत में इसके इस्तेमाल का क्या मतलब है. दरअसल हम यहां बात उत्तर प्रदेश की हाथरस लोकसभा सीट की करने जा रहे हैं जहां हींग और काका हाथरसी दोनों मशहूर हैं.काका हाथरसी एक मशहूर व्यंग्यकार थे जो करीब करीब सभी विषयों पर अपने नजरिए से देख तंज कसते थे. सियासत को वो कुछ इस तरह से देखते थे. जैसे एक बार इन पंक्तियों मन मैला, तन उजरा, भाषण लच्छेदार, ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार. आप उनकी इन पंक्तियों के कई शब्दों का इस्तेमाल राजनीतिक दलों के नेताओं के जरिए सुनते भी होंगे, इन सबके बीच यहां पर चर्चा करते हैं कि हाथरस के दिल में क्या हैं.

आप उनकी इन पंक्तियों के कई शब्दों का इस्तेमाल राजनीतिक दलों के नेताओं के जरिए सुनते भी होंगे, इन सबके बीच यहां पर चर्चा करते हैं कि हाथरस के दिल में क्या हैं. बता दें कि यहां के मौजूदा बीजेपी सांसद राजवीर सिंह दिलेर का निधन हो चुका है. बताया जाता है कि टिकट कटने की वजह से वो काफी निराश थे.यहां से बीजेपी में अनूप प्रधान वाल्मीकि को मौका दिया है. उनके खिलाफ सपा से जसवीर वाल्मीकि और बीएसपी से हेमबाबू चुनावी मैदान में हैं.

हाथरस में मतदाताओं की संख्या

सबसे पहले आपको बताएंगे कि हाथरस में कुल कितने मतदाता है. इस लोकसभा में कुल 19 लाख वोटर्स हैं जिनमें पुरुष और महिला दोनों की संख्या करीब करीब बराबर है. अगर 2014 और 2019 के नतीजों पर नजर डालें तो बीजेपी का ही कब्जा रहा है. 2014 में राजेश दिवाकर और 2019 में राजवीर सिंह दिलेर जीत हासिल करने में कामयाब रहे. इस दफा बीजेपी को हैट्रिक लगाने का मौका है. अगर आप हाथरस जाएंगे को स्वागत उभरता- संवरता हाथरस के तौर पर होता है. यह बात अलग है कि पूरे शहर को घूमने के बाद आपको अहसाल होगा कि यहां बहुत कुछ करने की जरूरत है.

क्या है मुद्दा

जनता के बीच तीनों प्रत्याशियों का बाहरी होना है. सड़कों पर अतिक्रमण, अस्पताल का अभाव, बेहतल स्कूलों की कमी. बड़े उद्योगों की कमी.

किन वोटर्स पर टिकी नजर

अनूप प्रधान वाल्मीकि, अलीगढ़ के खैर विधानसभा से विधायक और योगी सरकार में राज्य मंत्री हैं तो सपा के जसबीर सिंह वाल्मीकि सहारनपुर के हैं, वहीं बीएसपी के हेमबाबू धनगर, आगरा के रहने वाले हैं. अनूप प्रधान को उम्मीद है कि वाल्मीकि और सवर्ण समाज पूरी तरह से उनके साथ रहेगा. दरअसल वो 2019 के नतीजों से इस बात की उम्मीद जता रहे हैं. अगर बात सपा उम्मीदवार की करें तो वो वाल्मीकि मतों में सेंधमारी के साथ यादव और मुस्लिम मतों पर नजर गड़ाए हुए हैं. वहीं बीएसपी प्रत्याशी की बात करें तो उनकी निगाह चार लाख से अधिक दलित वोटरों पर है जिनमें करीब ढाई लाख जादव हैं जो बीएसपी के कोर वोटर्स माने जाते हैं.

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