कम वोटिंग के लिए गर्मी नहीं है कसूरवार, आंकड़े दे रहे हैं गवाही
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कम वोटिंग के लिए गर्मी नहीं है कसूरवार, आंकड़े दे रहे हैं गवाही

2024 का आम चुनाव सात चरणों में हो रहा है. अब तक तीन फेज के चुनाव संपन्न हो चुके हैं, पहले दो फेज में कम वोटिंग के लिए गर्मी को जिम्मेदार बताया जा रहा है.


Heat Impact on Voting Pattern: अब चारों चरण के मतदान प्रतिशत को चुनाव आयोग से सार्वजनिक कर दिया है. चौथे चरण में 67.5 फीसद के करीब मतदान हुआ है. अगर पहले के तीन चरणों की बात करें (19 अप्रैल और 26 अप्रैल, 7 मई को संपन्न हुए थे) में मतदान का अंतिम लेखा जोखा अब सामने है. इन तीनों चरणों में मतदान हालांकि 2019 की तुलना में कम है. पहले के दो चरणों के मतदान प्रतिशत में आई कमी के लिए गर्मी को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है. लेकिन क्या वास्तव में मतदान में कमी के लिए गर्मी जिम्मेदार है. इस सवाल के जवाब को आंकड़े के जरिए समझने की कोशिश करेंगे.

2004 से अप्रैल -मई में हो रहे हैं चुनाव

2004 से आम चुनाव अप्रैल-मई के महीने में कराए जा रहे हैं. 2014 और 2019 के मतदान प्रतिशत को देखें तो गर्मी के बावजूद उसमें बढ़ोतरी हुई. तो आखिर यह कैसे मुमकिन है कि सिर्फ गर्मी की वजह से अब तक के चरणों में मतदान में कमी आई. इन सबके बीच हीट इंपैक्ट क्या है उसे समझिए.

क्या होता है हीट इंपैक्ट

  • तापमान 42 डिग्री से अधिक हो और उसमें सामान्य अधिकतम तापमान से 5 डिग्री की बढ़ोतरी हो तो उसे एक्सट्रिमिली हाई कहते हैं.
  • तापमान 42 डिग्री से अधिक हो और उसमें 3.1 से 5 डिग्री की बढ़ोतरी हो तो उसे वेरी हाई कहा जाता है.
  • अधिकतम तापमान 40 हो और उसमें 3.1 से 5 डिग्री की बढ़ोतरी हो तो उसे हाई कहते हैं.
  • अगर अधिकतम औसत तापमान 40 हो और उसमें 1.6 से 3 डिग्री की बढ़ोतरी हो तो उसे मॉडरेट माना जाता है.
  • यदि तापमान 40 डिग्री से कम हो और उसमें 1.6 से लेकर 3 डिग्री की बढ़ोतरी हो तो उसे लो कहते हैं.

पहले फेज में हीट इंपैक्ट था लो

अब कम मतदान वाले कुछ राज्यों और हीट इंपैक्ट पर नजर डालते हैं. पहले चरण में उत्तराखंड की सभी सीटों के लिए मतदान हुआ था. लेकिन हीट इंपैक्ट लो था. इसी तरह यूपी में भी हीट इंपैक्ट लो था लेकिन मतदान सिर्फ 61 फीसद हुआ. अगर बंगाल की बात करें तो हीट इंपैक्ट लो होने के बाद वहां भी मतदान का प्रतिशत कम रहा जबकि 2024 में 81 फीसद जबकि 2019 में यह आंकड़ा 80 फीसद के पार था. बिहार की बात करें तो यहां भी हीट इंपैक्ट लो था लेकिन 2024 में मतदान का प्रतिशत 49 फीसद था जबकि 2019 में यह 53 फीसद था. तमिलनाडु में हीट इंपैक्ट लो से मॉडरेट था और यहां भी 2024 में मतदान प्रतिशत 69 जबकि 2019 में 72 फीसद था. इसी तरह मध्य प्रदेश में हीट इंपैक्ट मॉडरेट था. लेकिन 2024 में मतदान प्रतिशत 61 फीसद था जबकि 2019 में 75 फीसद था. महाराष्ट्र में हीट इंपैक्ट लो से मॉडरेट था हालांकि 2014 में वोटिंग परसेंट 61 फीसद था जबकि 2019 में 75 फीसद था.

दूसरा फेज भी पहले की तरह

इसी तरह से दूसरे फेज में भी राजस्थान में हीट इंपैक्ट लो था लेकिन मतदान प्रतिशत में गिरावट आई. महाराष्ट्र में हीट इंपैक्ट लो था लेकिन वोटिंग प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई. केरल की बात करें तो हीट इंपैक्ट मॉडरेट था लेकिन 2024 में मतदान प्रतिशत 71 फीसद जबकि 2019 में 77 फीसद था. यूपी में हीट इंपैक्ट लो था लेकिन मतदान प्रतिशत में कमी आई. हालांकि बिहार में मतदान में कमी के लिए हीट इंपैक्ट का हाई होना मान सकते हैं. बंगाल में भी हीट इंपैक्ट के हाई होने का असर दिखा, मध्य प्रदेश में हीट इंपैक्ट कम था, लेकिन मतदान में कमी दर्ज की गई.

इन आंकड़ों पर जानकार कहते हैं कि आप मतदान प्रतिशत में कमी के लिए सिर्फ और सिर्फ कसूरवार नहीं मान सकते हैं. इसके पीछे वोटर्स में उदासीनता भी हो सकती है.ऐसा भी होता है कि राजनीतिक दलों के पुराने राग मतदाताओं को नहीं लुभा पाते और वो वोटिंग सेंटर तक जाने से बचते हैं. मतदाताओं को लगता है कि राजनीतिक दल ठोस तौर पर कुछ नहीं कहते हैं तो मतदान केंद्र तक जाकर समय नष्ट क्यों करें

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