यूपी की इन सीटों पर सबकी नजर, हाई-प्रोफाइल उम्मीदवारों का होना है फैसला
लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण का चुनाव सात मई को हो चुका है. इसमें यूपी की दस सीटों के लिए भी वोट डाले गए थे.
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण का चुनाव सात मई को हो चुका है. इसमें यूपी की दस सीटों के लिए भी वोट डाले गए थे. इनमें एटा, मैनपुरी, आगरा, बरेली, हाथरस, संभल, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, बदायूं और आंवला सीट शामिल है. इस चरण में अखिलेश यादव के परिवार की साख भी दांव पर लगी है. क्योंकि, डिंपल यादव, अक्षय यादव और आदित्य यादव की किस्मत का फैसला भी इसी चरण में होना है. इन दस में आठ सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. केवल संभल और मैनपुरी सीट ही सपा के पास है. एटा से बीजेपी प्रत्याशी और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह भी हैटट्रिक लगाने ताबड़-तोड़ चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. ऐसे में आइए इनमें से कुछ प्रमुख सीटों की सियासत को समझने की कोशिश करते हैं.
मैनपुरी
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव उपचुनाव में सांसद बनी थीं. यह सीट साल 1996 से सपा के पास है और बीजेपी यहां अब तक खाता भी नहीं खोल पाई है. हालांकि, साल 2019 के चुनाव में जब सपा-बसपा गठबंधन में साथ लड़ी थी, तब मुलायम सिंह यादव के जीत का अंतर एक लाख से नीचे आ गया था. लेकिन साल 2022 में हुए उपचुनाव में डिंपल यादव ने 2.88 लाख वोट से जीत हासिल की थी. इस बार बीजेपी ने डिंपल के खिलाफ योगी सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है.
बरेली
बरेली सीट बीजेपी से आठ बार सांसद रहे संतोष गंगवार का गढ़ मानी जाती है. यहां उनकी लोकप्रियता का आलम है कि वह लगातार यहां से सांसद का चुनाव जीतकर लोकसभा जा रहे हैं. हालांकि, इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया है और छत्रपाल गंगवार को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, सपा ने भगवतशरण गंगवार और बसपा ने छोटेलाल गंगवार को प्रत्याशी बनाया है.
बदायूं
यह सीट भी अखिलेश यादव परिवार के लिए काफी अहम है. यही कारण है कि सपा मुखिया ने पहले चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया था. बाद में चाचा शिवपाल यादव को टिकट दे दिया. क्योंकि अखिलेश इस सीट पर भी कोई रिस्क लेना नहीं चाहते हैं. इसलिए आखिर में शिवपाल यादव की जगह उनके बेटे आदित्य यादव इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली दफा इस सीट से बीजेपी की संघमित्रा मौर्य ने जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार बीजेपी ने उनकी जगह दुर्विजय शाक्य को उम्मीदवार बनाया है.
फिरोजाबाद
यह सीट अखिलेश यादव परिवार के लिए काफी अहम है. क्योंकि यहां से सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनाव लड़ रहे हैं. अक्षय यादव इस सीट से साल 2019 के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार से हार गए थे. हालांकि, उनके हार की वजह चाचा शिवपाल यादव द्वारा काटे गए वोट थे.