जम्मू-कश्मीर चुनाव: दशकों में पहली बार कश्मीरी पंडित महिला उम्मीदवार
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जम्मू-कश्मीर चुनाव: दशकों में पहली बार कश्मीरी पंडित महिला उम्मीदवार

डेजी रैना पुलवामा के राजपोरा से चुनाव लड़ रही हैं और इस बार चुनाव लड़ रही नौ महिलाओं में से एक हैं


Jammu Kashmir Elections:

जम्मू और कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनाव में दशकों बाद पहली बार ऐसा हो रहा है जब कोई कश्मीरी पंडित चुनाव मैदान में बतौर उम्मीदवार उतर रहा है, वो भी एक महिला. ये महिला हैं डेजी रैना. रैना को एनडीए की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया ( अठावले ) ने अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. डेज़ी रैना की बात करें तो वो दिल्ली में निजी क्षेत्र में जॉब कर चुकी हैं और फिलहाल पुलवामा के फ्रिसल गांव की सरपंच हैं. वो पुलवामा के राजपुरा से चुनाव लड़ेंगी और चुनाव लड़ने वाली नौ महिलाओं में से एक हैं.

'अभी सोचा नही है'
सरपंच के तौर पर काम करते हुए, वह नियमित रूप से युवाओं से मिलती रहीं, उनकी चिंताओं को सुनती रहीं और उनके संघर्षों को समझने की कोशिश करती रहीं. उनके अनुसार, जम्मू-कश्मीर के युवा, खास तौर पर 1990 के दशक में जन्मे युवाओं ने मासूम होने के बावजूद बहुत तकलीफें झेली हैं, जीवन भर हिंसा देखी है. जब उनसे पूछा गया कि क्या रामदास अठावले की हालिया यात्रा, जिसमें उन्होंने राज्य का दर्जा बहाल करने की वकालत की थी, ने उनके चुनाव लड़ने के फैसले को प्रभावित किया है, तो उन्होंने इससे इनकार किया और कहा कि उन्होंने शुरू में चुनाव लड़ने की योजना नहीं बनाई थी. डेज़ी ने कहा कि अगर उन्हें एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनने का मौका मिले तो वह पुलवामा को ठीक कर सकती हैं.
2019 के सीआरपीएफ हमले सहित पुलवामा के अशांत अतीत के बावजूद, रैना इस क्षेत्र को नकारात्मक रूप से नहीं देखती हैं. उन्हें लगता है कि प्रगति हो रही है और सभी आवश्यक कार्य किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो भी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, वे लोगों द्वारा खुद ही पैदा की जाती हैं.

'कोई बड़ी समस्या नहीं'
रैना ने कहा कि भले ही वह एक अलग समुदाय से आती हैं, लेकिन उन्हें किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. वह बिना किसी सुरक्षा के पुलवामा में स्वतंत्र रूप से यात्रा करती थीं और उन्हें निजी सुरक्षा अधिकारियों की आवश्यकता महसूस नहीं हुई. पिछले कई सालों से उन्होंने स्थानीय विकास में योगदान दिया है, जिसमें मुसलमानों के अनुरोध पर पुलवामा में शिवलिंग का निर्माण करना भी शामिल है, इसके बाद उन्होंने मुसलमानों के लिए वज़ूखाना (स्नान तालाब) बनवाया था. वे चाहते थे कि वह हिंदू समुदाय के लिए भी कुछ करें ताकि संतुलन बना रहे. केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर में यह पहला चुनाव होगा, जिसमें 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक तीन चरणों में 90 सीटों के लिए मतदान होगा और 8 अक्टूबर को मतगणना होगी.


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