जम्मू-कश्मीर में थर्ड फेज में 66 फीसद वोटिंग, किस तरफ कर रहे इशारा
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जम्मू-कश्मीर में थर्ड फेज में 66 फीसद वोटिंग, किस तरफ कर रहे इशारा

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान हरियाणा के साथ ही 8 अक्टूबर को होगा। यहां पर कुल तीन चरणों में मतदान कराए गए थे।


Jammu Kashmir Assembly Polls: धरती के स्वर्ग यानी जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव संपन्न हो चुका है। यह चुनाव दो मायनों में खास है, पहला तो ये कि 2014 के बाद पहली बार लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इस दफा यह चुनाव परिसीमन के बाद कराया गया था। दूसरा ये कि 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए को जब हटाया गया तो घाटी के नेता नफरती बोल बोला करते थे। लेकिन चुनावी प्रक्रिया में जिस तरह से लोग अपने घरों से बाहर निकले वो कई तरह के संदेश दे रहे हैं। 18 सितंबर को पहले चरण के चुनाव में करीब 61 फीसद, 25 सितंबर को दूसरे चरण में 57 फीसद(इस फेज में वो इलाके थे जहां पर कभी अलगाववादियों का बोलबाला था) और तीसरे चरण में 66 फीसद मतदान हुआ। इतनी बड़ी संख्या में लोगों का मतदान केंद्रों तक आना मोटे तौर पर इशारा करता है कि वो जनभागीदारी वाली सरकार चाहते हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की नफरती योजनाओं पर भी पानी फेरने का काम किया है।

8 अक्टूबर को आएंगे नतीजे
अब जम्मू-कश्मीर की अगुवाई कौन करेगा उसके लिए 8 अक्टूबर का इंतजार करना होगा। वैसे तो एनसी-कांग्रेस को यकीन है कि जनता ने उनके उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाने का काम किया। वहीं बीजेपी और पीडीपी को उम्मीद है कि नतीजा कुछ और ही रहने वाला है। इन सबके बीच जम्मू-कश्मीर में एक और चर्चा चल पड़ी है कि क्या इस केंद्रशासित प्रदेश को हिंदू चेहरा सीएम के तौर पर मिलेगा। दरअसल इसके पीछे लोग जम्मू और कश्मीर में सीटों की संख्या को वजह बता रहे हैं। लेकिन क्या यह संभव हो सकता है। इस सवाल के जवाब में जानकार कहते हैं कि परिसीमन के बाद अब जम्मू और कश्मीर रीजन की सीटें करीब करीब बराबर हैं। अगर आप एनसी, पीडीपी, की बात करें तो इनका प्रभाव क्षेत्र कश्मीर घाटी में अधिक है। लिहाजा घाटी में किसी एक के पक्ष में ज्यादा सीटें आएंगी उसकी संभावना नगण्य है।

तीसरे फेज की वोटिंग का मतलब
अब बात करते हैं जम्मू की। तीसरे चरण में जम्मू की 26 सीटों पर चुनाव हुआ। इस दफा गुज्जर, बकरवाल, अनुसूचित जाति समाज के उन तबकों को वोट देने का मौका मिला जिन्हें 2019 के पहले हक नहीं था। अनुच्छेद 370 और 35ए के खात्मे के बाद कई बड़े बदलाव हुआ। जमीनी स्तर पर बदलाव और इन समाज के लोगों के वोटिग राइट का श्रेय बीजेपी लेती है। जम्मू में जमीनी स्तर पर भी लोग कहते हैं कि यह तो जमीनी हकीकत है। ऐसे में तीसरे फेज में 66 फीसद वोटिंग का मतलब है वोटर्स ने किसी न किसी पक्ष में जोरदार मतदान किया है। अगर 2014 के चुनावी नतीजों की बात करें तो बीजेपी को इस रीजन से 25 सीटें मिली थीं और पीडीपी के बाद दूसरी बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी। सियासी पंडित कहते हैं कि अब माहौल बदला हुआ है ऐसे में आप 8 अक्टूबर को अप्रत्याशित नतीजों के भी गवाह बन सकते हैं।

बीजेपी की कितनी संभावना

इस दफा कुल 90 सीटों पर चुनाव हुए हैं। जम्मू रीजन में 43 और कश्मीर रीजन में 47 सीटें हैं। उपराज्यपाल अपने कोटे से पांच विधायकों की नियुक्ति कर सकते हैं। अगर 2014 के नतीजों को देखें तो 25 सीटों के साथ बीजेपी बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। बीजेपी की संख्या में जम्मू इलाके का बोलबाला था। इस बार हालात बदले हुए हैं। जम्मू रीजन में अगर बीजेपी 35 सीट जीतने में कामयाब होती है तो जाहिर सी बात है कि नियुक्त विधायकों का भी समर्थन हासिल करने में कामयाब होगी। हालांकि इस सूरत में भी उसके पास बहुमत के आंकड़े से 6 सीटें कम होंगी। लिहाजा उसे पोस्ट पोल गठबंधन की संभावना को बनाए रखा है। आपने ध्यान भी दिया गया होगा कि कैसे एनसी- कांग्रेस और पीडीपी के नेता बार बार यह कहा करते थे कि निर्दलीय उम्मीदवार कोई और नहीं बल्कि बीजेपी की शह पर किस्मत आजमा रहे हैं।

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