हार कर भी जम्मू-कश्मीर में सिकंदर बनी बीजेपी, आखिर यह कैसे हुआ
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हार कर भी जम्मू-कश्मीर में सिकंदर बनी बीजेपी, आखिर यह कैसे हुआ

जम्मू-कश्मीर की चुनावी जंग नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन के नाम रही है। लेकिन वोट शेयर के मामले में बीजेपी ने बाजी मार ली है।


हार तो वैसे हार ही होती है। लेकिन कुछ असफलता चर्चा की विषय बनती है। हरियाणा के साथ जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव हुआ था। नतीजों में नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन ने बाजी मार ली। वैसे तो बीजेपी जीत के दावे कर रही थी। लेकिन उसे और इंतजार करना होगा। 29 सीट के साथ वो मजबूत विपक्ष के तौर पर उभरी है। सबसे बड़ी बात यह कि 90 में बीजेपी को भले ही 29 सीट मिली हो लेकिन वोट प्रतिशत के मामले में उसने नेशनल कांफ्रेंस को भी पीछे छोड़ दिया है। अगर वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी के पक्ष में 25.64 फीसद मत और नेशनल कांफ्रेंस के पक्ष में 23.43 है। यहां यह भी समझना जरूरी है कि बीजेपी को कश्मीर घाटी में निराशा का सामना करना पड़ा है। बीजेपी की सभी सीट जम्मू रीजन से है। कश्मीर घाटी में जहां 47 सीटें हैं वहीं जम्मू में 43 सीट। अब बीजेपी ने यह करिश्मा कैसे कर दिखाया।

जम्मू-कश्मीर में पीएम मोदी की कुल चार जनसभा हुई थी। पहली जनसभा 14 सितंबर को डोडा में, दूसरी 19 सितंबर को श्रीनगर और कटरा में और 28 सितंबर को जम्मू जिले में की थी। सियासी जानकारों का कहना है कि वोट प्रतिशत से एक बात साफ है कि जम्मू-कश्मीर खासतौर से जम्मू रीजन में मोदी की लोकप्रियता है। लोगों ने कहीं न कहीं केंद्र सरकार के फैसले को ना सिर्फ सराहा है बल्कि वोटों में तब्दील हुआ। ऐसे में सवाल यह है कि जम्मू में बीजेपी और बेहतर प्रदर्शन क्योें नहीं कर सकी। इस सवाल के जवाब में जानकार कहते हैं कि स्थानीय स्तर पर गुटबाजी का असर दिखाई दिया है। लेकिन 2014 की तुलना में सीट संख्या में इजाफा हुआ है।


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