झारखंड में सीट 81 लेकिन इन 20 पर खास नजर, ये दो मुद्दे हुए हावी
झारखंड की सियासी तस्वीर पर फैसला 23 नवंबर को आने वाला है। इन सबके बीच आदिवासी अस्मिता और ट्रिपल जिहाद का मुद्दा छाया हुआ है।
Jharkhand Assembly Elections 2024: सियासत में कुछ मुद्दे सदाबहार और कुछ गढ़े जाते हैं। जैसे बिजली, सड़क, पानी पर सभी दल एक दूसरे की घेरेबंदी करते हैं। लेकिन इन मुद्दो से इतर भी कुछ है जो झारखंड की फिजा में सुर्खियों में है। इस दफा एक तरफ ट्रिपल जिहाद(Triple Jihad) की बात हो रही है तो दूसरी तरफ आदिवासी समाज का मुद्दा जिसे सरना कोड(Sarna Code) कहा जाता है। सरना कोड इस वजह से भी दिलचस्प है क्योंकि किसी दल को ऐतराज भी नहीं है। लेकिन पिछले 24 साल में अलग अलग दलों की सरकारों के होते हुए भी इस पर फैसला नहीं हो सका।
जर जमीन जंगल वाले झारखंड से आवाज उठी तो सभी दलों ने माना कि यह जरूरी है। लेकिन सवाल यह है क्या इंडिया ब्लॉक ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के धार को कुंद करने के लिए इसे मुद्दा बना दिया। क्योंकि बीजेपी(bjp) लगातार इस आवाज को बुलंद कर रही है कि किस तरह से बांग्लादेशी घुसपैठिये राज्य की जर, जमीन, जंगल पर कब्जा करते जा रहे हैं। बीजेपी के इस आक्रामक तेवर के बाद इंडिया गठबंधन(India Alliance) के नेताओं को बैकफुट पर आना पड़ा।
2019 की चुनावी तस्वीर
यह 20 सीटें क्यों अहम हैं उससे पहले आप 2019 के चुनावी नतीजों को देखें। झारखंड में किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन को सरकार बनाने और बचाए रखने के लिए 41 विधायकों की जरूरत होती है। यानी जीत का आंकड़ा 41 का है। 2019 में जेएमएम को 30, बीजेपी तो 25, कांग्रेस को 3, जेवीएम को 3, एजेएसयूपी तो 2 और अन्य को 5 सीट मिली थी। यानी कि किसी भी दल के पास अपने दम पर सरकार बनाने के लिए आंकड़ा नहीं था। जेएमएम सबसे बड़े दल के तौर पर सामने आया और उसने कांग्रेस के साथ मिलकर झारखंड की बागडोर अपने हाथ में ली।
पहले चरण में जिन 43 सीटों पर मतदान हो रहा है उनमें से 20 सीटों पर आने वाले नतीजे ये तय कर देंगे कि इस चरण में कौन से मुद्दे हावी रहे। मसलन 43 में से 20 सीटों पर इंडिया गठबंधन ने जहां आदिवासी अस्मिता की बात की, वहीं बीजेपी का जोर लैंड, लव और वोट जिहाद पर था। अगर बात बीजेपी की करें तो 2019 के विधानसभा और आम चुनाव 2024 में आदिवासी बहुल इलाके में झटका खाना पड़ा था। ऐसे में इस दफा ट्रिपल जिहाज यानी लैंड,लव और वोट जिहाद का मुद्दा उठाया है।
बीजेपी के नेता बार बार इस बात पर बल दे रहे हैं कि किस तरह से मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों को आदिवासी इलाकों में बसने में मदद कर रही है जिनका मकसद नेक नहीं है। वो सिर्फ किसी तरह से जमीनों पर कब्जा, बेटियों पर कब्जा करना चाहते हैं। इसके लिए बीजेपी ने साफ किया है सत्ता में आई तो ना सिर्फ एनआरसी को लागू करेगी बल्कि मुसलमानों से शादी करने वाली आदिवासी महिला के बच्चों को एसटी का दर्जा नहीं देगी।