अमित शाह ने एनसी के साथ गठबंधन पर कांग्रेस को घेरा, राहुल से पूछे 10 सवाल
गृह मंत्री ने राहुल गांधी से पूछा कि क्या वो आतंकवाद और अलगाववाद की वापसी और जम्मू-कश्मीर में आरक्षण की समाप्ति से सहमत हैं?
Kashmir Politics: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (23 अगस्त) को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन करने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि कांग्रेस सत्ता के लालच में देश की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है.
शाह ने 'X' पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, "कांग्रेस पार्टी, जिसने सत्ता के अपने लालच को शांत करने के लिए बार-बार देश की एकता और सुरक्षा को खतरे में डाला है, ने एक बार फिर जम्मू और कश्मीर चुनावों में अब्दुल्ला परिवार की 'नेशनल कॉन्फ्रेंस' के साथ गठबंधन करके अपने गुप्त इरादों को उजागर किया है."
शाह के राहुल से 10 सवाल
शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के चुनाव घोषणापत्र में किए गए वादों पर 10 सवाल पूछते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी से इन आश्वासनों पर उनके रुख के बारे में पूछा.
शाह ने पूछा, "क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर के लिए अलग झंडे के नेशनल कॉन्फ्रेंस के वादे का समर्थन करती है? क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने और इस तरह जम्मू-कश्मीर को अशांति और आतंकवाद के युग में धकेलने के जेकेएनसी के फैसले का समर्थन करते हैं?"
फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली पार्टी का पूरा नाम जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) है.
'क्या कांग्रेस अलगाववाद, आतंकवाद का समर्थन करती है?'
गृह मंत्री ने पूछा कि क्या कांग्रेस कश्मीर के युवाओं के बजाय पाकिस्तान के साथ बातचीत करके फिर से अलगाववाद को बढ़ावा देने का समर्थन करती है और क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर व्यापार शुरू करने का निर्णय लिया है, जिससे सीमा पार आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिल रहा है.
कांग्रेस और राहुल से पूछे गए अन्य प्रश्नों में ये सवाल भी शामिल था कि क्या पार्टी आतंकवाद और पत्थरबाजी में शामिल लोगों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में बहाल करने का समर्थन करती है, जिससे "आतंकवाद, उग्रवाद और हमलों का युग वापस आ जाएगा".
क्या कांग्रेस आरक्षण खत्म करने से खुश है? शाह ने राहुल से पूछा
अपने पोस्ट में शाह ने आरोप लगाया कि गठबंधन ने कांग्रेस के “आरक्षण विरोधी रुख” को भी उजागर कर दिया है. शाह ने पूछा, "क्या कांग्रेस दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण समाप्त करने के जेकेएनसी के वादे का समर्थन करती है, जिससे उनके साथ अन्याय होगा? क्या कांग्रेस चाहती है कि 'शंकराचार्य हिल' को 'तख्त-ए-सुलेमान' और 'हरि हिल' को 'कोह-ए-मारन' के नाम से जाना जाए?"
'भ्रष्टाचार, भेदभाव की नीति'
शाह ने ये भी जानना चाहा कि क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भ्रष्टाचार में धकेलने और इसे चुनिंदा पाकिस्तान समर्थित परिवारों को सौंपने की राजनीति का समर्थन करती है और क्या वो जम्मू और घाटी के बीच "भेदभाव" की एनसी की राजनीति का समर्थन करती है. अमित शाह ने सवाल किया कि "क्या कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी कश्मीर को स्वायत्तता देने की जेकेएनसी की विभाजनकारी राजनीति का समर्थन करते हैं?"
राहुल को गठबंधन की आरक्षण नीति स्पष्ट करनी चाहिए: शाह
'X' पर एक अन्य पोस्ट में शाह ने एनसी द्वारा किए गए वादों की एक सूची साझा करते हुए दावा किया कि मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के बाद दलितों, जनजातियों, पहाड़ी और पिछड़े समुदायों को आरक्षण देकर उनके खिलाफ वर्षों से चले आ रहे भेदभाव को समाप्त कर दिया है.
उन्होंने कहा, "क्या राहुल गांधी जेकेएनसी के घोषणापत्र का समर्थन करते हैं, जिसमें दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ियों के लिए आरक्षण समाप्त करने की बात कही गई है? नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन करने के बाद अब उन्हें आरक्षण नीति पर कांग्रेस पार्टी का रुख स्पष्ट करना चाहिए."
एनसी घोषणापत्र क्या कहता है?
अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली के साथ-साथ 2000 में तत्कालीन विधानसभा द्वारा पारित स्वायत्तता प्रस्ताव का कार्यान्वयन, आगामी चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणापत्र में घोषित 12 गारंटियों में शामिल हैं. केंद्र शासित प्रदेश की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए 18 और 25 सितंबर तथा एक अक्टूबर को तीन चरणों में मतदान हो रहा है। मतों की गिनती चार अक्टूबर को होगी.
(एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के साथ)
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