अमेठी से स्मृति ईरानी बनाम के एल शर्मा, क्यों 1999 की हो रही है बात ?
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अमेठी से स्मृति ईरानी बनाम के एल शर्मा, क्यों 1999 की हो रही है बात ?

रायबरेली के साथ साथ कांग्रेस ने अमेठी से उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है.यहां से गांधी परिवार के खास किशोरी लाल शर्मा, स्मृति ईरानी को चुनौती देंगे.


Smriti Irani Vs K L Sharma News: रायबरेली के साथ ही अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के नाम पर सस्पेंस खत्म हो चुका है. जहां रायबरेली से राहुल गांधी किस्मत आजमाएंगे वहीं कांग्रेस ने अमेठी ने गांधी परिवार से बाहर किशोरी लाल शर्मा पर भरोसा जताया. अब किशोरी लाल शर्मा, स्मृति ईरानी को टक्कर देंगे. अमेठी की जिक्र होते ही जेहन में गांधी परिवार की तस्वीर सामने आती है. इस सीट पर 1977 के चुनाव में संजय गांधी ने अपनी किस्मत आजमायी लेकिन उनके खाते में हार ने दस्तक दी. लेकिन तीन साल बाद 1980 के चुनाव में वो जीतने में कामयाब हुए. 1980 से लेकर अगर 2019 के नतीजों पर नजर डालें तो 1977, 1998 और 2019 में इस सीट पर गांधी परिवार का जादू नहीं चला.

कौन है किशोरी लाल शर्मा

अमेठी सीट को लेकर इस बात की चर्चा हो रही थी कि क्या राहुल गांधी, स्मृति ईरानी को टक्कर देंगे. लेकिन अब कांग्रेस के औपचारिक ऐलान के बाद साफ हो गया है कि यहां उम्मीदवार गांधी परिवार से तो नहीं लेकिन उनसे जुड़ा हुआ है. किशोरी लाल शर्मा, अमेठी में सोनिया गांधी के संसदीय प्रतिनिधि के तौर पर काम करते रहे हैं और उन्हें गांधी परिवार का बेहद करीबी भी बताया जाता है.

2019 में कैसा था जनता का फैसला

आम चुनाव 2019 के बारे में कहा जाता है कि स्मृति ईरानी के नाम के ऐलान के बाद कांग्रेस को राहुल गांधी के लिए सुरक्षित सीट की जरूरत महसूस हुई. कांग्रेस को यकीन हो चला था कि जमीनी हकीकत राहुल गांधी के खिलाफ है. लिहाजा उन्होंने केरल के वायनाड से पर्चा भरा, अगर आप 2019 के नतीजे को देखें तो स्मृति ईरानी को चार लाख 68 हजार के करीब मत मिले थे. जबकि राहुल गांधी को चार लाख 13 हजार मत, स्मृति ईरानी में कांग्रेस के पंजे को पस्त करते हुए अमेठी में कमल खिलाने में कामयाब हुईं.

अमेठी का जातीय समीकरण

इस लोकसभा में सबसे अधिक अन्य पिछड़ा समूह जिन्हें ओबीसी कहते हैं. इनकी आबादी 34 फीसद के करीब है. मुस्लिम समाज 20 और दलित समाज की तादाद 26 फीसद. इसके अलावा आठ फीसद ब्राह्मण, 12 फीसद ठाकुर हैं. 2019 में सपा बसपा का संयुक्त उम्मीदवार था, हालांकि इस दफा बीएसपी ने उम्मीदवार उतार मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.

ट्रेंड तोड़ने की लड़ाई

अमेठी से स्मृति ईरानी और के एल शर्मा दोनों के जीत हार के मायने हैं, 1998 के आम चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सतीश शर्मा को संजय सिंह (बीजेपी) ने हरा दिया जबकि 1996 में सतीश शर्मा तदकको जीत हासिल हुई थी. स्मृति ईरानी अगर 2024 में जीत दर्ज करती हैं तो 1998 का ट्रेंड टूट जाएगा. यानी कि वो अमेठी से दूसरी बार संसद पहुंचने वाली बीजेपी उम्मीदवार होंगी. इसी तरह कांग्रेस ने 2024 में अपने उम्मीदवार को बदल दिया जैसा कि पार्टी ने 1998 में किया था. 1998 में सतीश शर्मा की हार के बाद 1999 में सोनिया गांधी चुनावी अखाड़े में उतरी थीं.

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