जानें किन कारणों से कमजोर हुई बीजेपी? पक्ष और विपक्ष के क्या रहे कारण?
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जानें किन कारणों से कमजोर हुई बीजेपी? पक्ष और विपक्ष के क्या रहे कारण?

मतगणना के बीच जैसे-जैसे रुझान सामने आ रहे हैं. उससे एक बात तो साफ हो गई है कि भाजपा का '400 पार' का मिशन फेल हो गया है.


Lok Sabha Poll Campaign: मतगणना के बीच जैसे-जैसे रुझान सामने आ रहे हैं. उससे एक बात तो साफ हो गई है कि भाजपा का '400 पार' का मिशन फेल हो गया है. अब तो पार्टी बहुमत के आंकड़े को पार करने के लिए भी संघर्ष कर रही है. इस बार आक्रामक चुनाव प्रचार, धार्मिक ध्रुवीकरण, अग्निवीर जैसी योजनाएं, उच्च बेरोजगारी और महंगाई ने बीजेपी के खिलाफ काम किया.

पार्टियों का प्रदर्शन

भाजपा 242 सीटों पर आगे चल रही है और एनडीए 297 पर है. जबकि इंडिया ब्लॉक ने 227 का प्रभावशाली स्कोर बनाया है. वहीं, अन्य 19 सीटों पर आगे चल रहे हैं. हालांकि, भाजपा के लिए सहयोगी जेडीयू और टीडीपी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. जेडीयू 15 और टीडीपी 16 सीटों पर आगे चल रही हैं. वहीं, अगर ये दोनों दल एनडीए से बाहर आने का फैसला करते हैं तो फिर बीजेपी को विपक्ष में बैठना पड़ेगा.

यूपी

वहीं, लोकसभा चुनाव में यूपी हमेशा से गेम चेंजर साबित होता रहा है. यहां लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीट हैं. साल 2014 और 2019 में भाजपा ने यहां सबसे अधिक 71 सीटें जीती थीं और दो सीटें उसके सहयोगी अपना दल ने जीती थीं. वहीं, साल 2019 में भाजपा ने 62 सीटें जीती थीं और अपना दल ने अपनी दो सीटें बरकरार रखी थीं.

एनडीए आगे

लेकिन साल 2024 में परिदृश्य पूरी तरह बदल गया और सपा यहां 34 सीटों पर आगे चल रही हैं. वहीं, कांग्रेस- जिसने साल 2019 में केवल रायबरेली सीट जीती थी- वह आठ सीटों पर आगे चल रही है. आजाद समाज पार्टी- जिसके इंडिया गठबंधन के साथ जाने की संभावना है, एक सीट पर आगे चल रही है. वहीं, भाजपा 34 सीटों पर सिमट गई है. जबकि सहयोगी आरएलडी दो सीटों पर आगे है.

शरद पवार-उद्धव ठाकरे की तरफ झुकाव

महाराष्ट्र में भाजपा और उसके दो सहयोगियों को मतदाताओं ने नकार दिया है और उनका झुकाव शरद पवार और उद्धव ठाकरे की तरफ दिख रहा है. भाजपा के अन्य सहयोगी दल जेडीयू, टीडीपी और जेडीएस ने अच्छा प्रदर्शन किया है. कर्नाटक में जेडीएस ने तीन सीटों पर बढ़त बना ली है. ऐसे में नीतीश कुमार और एन चंद्रबाबू नायडू किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं.

नकारात्मक असर

उच्च बेरोजगारी और महंगाई ने भाजपा की संभावनाओं पर बुरा असर डाला है. अग्निवीर योजना ने भी इसके खिलाफ काम किया है. जिसका असर राजस्थान और हरियाणा में भाजपा के प्रदर्शन पर पड़ा है. इन दोनों राज्यों से बड़ी संख्या में युवा रक्षा बलों में शामिल होते हैं. मुफ्त खाद्यान्न योजना उच्च बेरोजगारी के कारण हार गई. विपक्ष ने अपने सकारात्मक अभियान के माध्यम से लाभ उठाया. उसने मासिक भत्ते और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का वादा किया. रोजगार सृजन और अग्निवीर योजना को खत्म करने के वादे कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के पक्ष में गए.

आक्रामक अभियान

वहीं, बीजेपी का आक्रामक चुनाव अभियान भी बीजेपी को बहुमत से दूर करने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखा. पीएम मोदी ने विपक्ष के खिलाफ कई अप्रिय टिप्पणियां कीं. मंगलसूत्र, मटन, मुस्लिम आरक्षण और यह आरोप कि अगर राहुल गांधी अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो पाकिस्तान खुश होगा. विपक्ष जाकर "मुजरा" कर सकता है. मोदी ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर व्यक्तिगत हमले भी किए और उन्हें शहजादे कहा और शरद पवार पर भी हमला किया. इसका बीजेपी के प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ा.

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