लालू आज भी सियासत के जादूगर, मुस्लिम आरक्षण पर बयान सोची समझी रणनीति
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लालू आज भी सियासत के जादूगर, मुस्लिम आरक्षण पर बयान सोची समझी रणनीति

सत्ता हासिल करने की लड़ाई में एक एक सीट अहम हो जाती है. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का मुस्लिम आरक्षण पर दिया गया बयान उनमें से एक है.


Lalu Yadav on Muslim Reservation: लालू आज भी सियासत के जादूगर, मुस्लिम आरक्षण पर बयान सोची समझी रणनीतिआम चुनाव 2024 के तीन चरणों का मतदान समाप्त हो चुका है. इस तरह से कुल 283 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. अब चार चरणों के मतदान का इंतजार है. चुनावी फिजा में सत्ता और विपक्ष दोनों धड़े संविधान बचाने, आरक्षण बचाने की बात कर रहे हैं, सत्ता पक्ष यानी एनडीए के नेता कह रहे हैं कि इंडी ब्लॉक मुस्लिम तुष्टीकरण की हद पार कर चुकी है तभी तो ओबीसी आरक्षण पर नजर टिकी है. ये बात अलग है कि 7 मई को तीसरे चरण में लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिम आरक्षण पर दो बयान दिए.

बयानों की टाइमिंग देखिये

लालू यादव का पहला बयान मतदान शुरू होने के तुरंत बाद आया जिसमें उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण होना चाहिए. उसके बाद दूसरा बयान मतदान समाप्त होने के बाद आया. शाम को उन्होंने कहा कि आरक्षण का आधार धर्म नहीं हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि सच तो यह है कि बीजेपी वाले बरगलाने का काम कर रहे हैं. अब यहीं सवाल भी है कि राजनीति के चतुर खिलाड़ी लालू प्रसाद यादव के इस बयान के पीछे की वजह क्या थी. उसे समझने से पहले इन आंकड़ों पर भी नजर डालना जरूरी है.

बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं..

13 लोकसभा में मुस्लिम मतदाता 12 से 67 फीसद के बीच

9 लोकसभा में मुस्लिम वोटर्स 20 फीसद से अधिक

बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 17 फीसद

किशनगंज में सबसे अधिक 67 फीसद, कटिहार में 38, अररिया में 32 में मधुबनी में 24, दरभंगा में 22 फीसद

बिहार में यादवों मतदाता की संख्या 14 फीसद

फेज 3 में बिहार में कुल पांच सीटों पर मतदान हुआ था जिनमें 4 सीटों पर एनडीए मजबूत है.

सधा बयान, मकसद साफ

लालू यादव का बयान सधा था. उन्होंने जब धर्म के आधार पर आरक्षण की बात की तो इशारा साफ था कि उनकी पार्टी ही मुस्लिम समाज की हितैषी है. आंकड़ों में आप देख रहे होंगे कि बिहार की सभी सीटों पर मुस्लिम आबादी निर्णायक भूमिका में हैं. दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी जिस तरह कांग्रेस और आरजेडी पर निशाना साधते हैं उसकी काट के लिए इस तरह का बयान उनके लिए जरूरी बना. यही नहीं मुस्लिम ध्रुवीकरण और यादव मतदाता एक साथ आए तो एनडीए को शिकस्त देना आसान होता. वो एक तरह से राजनीति जरूरत को ध्यान में रखकर मुस्लिम आरक्षण की मांग बुलंद की. लालू यादव की रणनीति यह भी थी कि इस तरह के बयान पर बीजेपी के नेता हमलावर होकर बयान देंगे और उसका फायदा उनके दल को मिलेगा.

लालू के लिए ओवैसी भी बड़ा फैक्टर

सियासत के जानकार कहते हैं कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था नहीं है. लालू प्रसाद यादव भी उस तथ्य को जानते समझते हैं. उनके कहने का आशय सिर्फ इतना था कि मुस्लिम मतों में किसी तरह से बिखराव ना हो. मुस्लिम मतों में बिखराव का मतलब साफ है कि बीजेपी और जेडीयू को फायदा मिलता. राष्ट्रीय जनता दल को राजनीति में बने रहने के लिए यह जरूरी है कि लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर में भी भागीदारी बनी रहे. लिहाजा उनकी पूरी कवायद मुस्लिम- यादव वोटर्स को साधने की रही. आरजेडी के रणनीतिकारों को मानना है कि 2024 या उससे आगे की लड़ाई में उसे ना सिर्फ बीजेपी का सामना करना है बल्कि एआईएमआईएम का भी मुकाबला करना है. एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं कि आरजेडी या कांग्रेस मुस्लिम समाज से दरी उठवाने के लिए क्या किया है. इस तरह की बात मुस्लिम समाज के युवाओं को अपील करती है भले ही सियासी तौर पर फायदा अभी ना मिल पा रहा हो.

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