7वें फेज में यूपी की 13 सीटों पर चुनावी परीक्षा, जानें- क्या है सीएम सिटी गोरखपुर का हाल
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7वें फेज में यूपी की 13 सीटों पर चुनावी परीक्षा, जानें- क्या है सीएम सिटी गोरखपुर का हाल

गोरखपुर के चुनावी मिजाज के बारे में कहा जाता है कि गोरखनाथ मंदिर का असर रहता है, लेकिन 2018 के चुनावी नतीजे कुछ और ही आए थे. इस समय क्या माहौल उसे समझने की कोशिश करते हैं.


Gorakhpur Loksabha Election News 2024: अगर आप गोरखपुर या उसके आस पास के जिलों के रहने वाले हैं तो गोरक्षनाथ पीठ के महत्व को समझते होंगे. अगर नहीं है तो बता दें कि नाथ संप्रदाय से जुड़ा गोरखनाथ मंदिर ना सिर्फ आध्यात्मिक केंद्र है. बल्कि सियासत की दशा और दिशा भी निर्धारित होती है. पीठ का सियासत से गहरा नाता है. योगी आदित्यनाथ वर्तमान में इस पीठ के महंत होने के साथ यूपी के सीएम हैं. जब उनसे संन्यासी और सियासत के बारे में सवाल होता है तो कहते हैं कि संन्यासी को आप सीमित मत करिए.इन सबके बीच यह समझने की कोशिश करेंगे कि आम चुनाव 2024 में गोरखपुर में माहौल क्या है. बता दें कि बीजेपी ने एक बार फिर रवि किशन पर भरोसा जताया है और वो यहां से सांसद भी हैं.

मंदिर का कितना असर

सियासी पंडितों के मुताबिक गोरखपुर में मंदिर का प्रभाव है. लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि जाति के असर को नकार नहीं सकते. 2018 के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने उस मिथक को तोड़ने का काम किया कि गोरखपुर में सिर्फ मंदिर ही प्रभावी है. उस वक्त समाजवादी पार्टी मुस्लिम, यादव और निषाद समाज को साधने में कामयाब हुई थी. इस समय इंडी गठबंधन की तरफ से काजल निषाद ताल ठोंक रही है. बीएसपी ने जावेद असरफ पर भरोसा जताया है. स्थानीय लोगों के अनुसार बीएसपी का प्रत्याशी जितना मजबूती से चुनाव लडेगा बीजेपी की राह आसान होगी. लेकिन मुस्लिम वोटर्स टैक्टिकल मतदान के लिए जाने जाते रहे हैं. यानी कि वो उस उम्मीदवार को वोट करते हैं जिसमें बीजेपी को हराने की क्षमता दिखती है.

गोरखपुर की जातीय गणित

अगर जातियों की बात करें तो इस संसदीय सीट पर भी पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक है. निषाद जाति का बोलबाला है. निषाद के बाद सैंथवार, यादव और दूसरी जातियां है. कुल पांच विधानसभा यानी गोरखपुर सदर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवां, कैंपियरगंज और पिपराइच का मंदिर से जुड़ाव भी है. आप मंदिर के असर को चुनावी नतीजों में देख भी सकते हैं. हालांकि इंडी ब्लॉक के नेताओं को यकीन है कि जातीय गणित के जरिए वो इस दफा बीजेपी को मात दे पाने में कामयाब हो जाएंगे.

क्या है वोटर्स का मिजाज

गोरखपुर शहर में रहने वाले सुशील सिंह कहते हैं कि अगर आप विकास की बात करें तो 24 घंटे बिजली, एम्स, फोरलेन सड़क, ओवरब्रिज और रामगढ़ ताल के विकास को झुठला नहीं सकते. लेकिन वहीं पर श्याम सुंदर यादव ने कहा कि इससे क्या होगा. अस्पतालों में दवाओं की कमी है, रोजगार है नहीं, महंगाई की वजह से गरीबों का हाल बुरा है. हालांकि कुछ महिला मतदाताओं ने कहा कि विरोध की बात अलग है. आप इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ सकते कि काम नहीं हुआ है. समाज के उन वर्गों को उज्ज्वला के तहत गैस, आयुष्मान कार्ड, राशन और घर मिले हैं जिसके बारे में शायद वो कभी सोच नहीं सकती थीं. यह बात सच है कि जाति के आधार पर लोग वोट दे रहे हैं. लेकिन अब लोगों के मन मिजाज में बदलाव भी आया है जो मतदान केंद्रों पर ईवीएम पर बटन दबाने से पता चल जाता है.

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