5वें फेज में विरासत-सियासत बचाने की चुनौती, वोटर्स के हाथ में बटन
आम चुनाव 2024 को सात चरणों में कराया जा रहा है. 20 मई को पांचवें फेज का चुनाव है. इस फेज में सबसे कम 49 सीटों पर मतदान होना है. लेकिन यह कई मायनों में खास है.
Loksabha Election 2024 News: आम चुनाव 2024 अब अपने अंतिम चरणों की तरफ बढ़ चुका है. 20 मई को पांचवें फेज का चुनाव होना है.इस फेज में कुल 49 सीटों पर चुनाव होना है. इस फेज की तुलना अगर 2019 से करें तो सबसे अधिक साख एनडीए की दांव पर है. 2019 के चुनाव में एनडीए को 40 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इस चरण में यूपी की 14, महाराष्ट्र की 13, पश्चिम बंगाल की सात, बिहार की पांच, झारखंड की पांच और जम्मू-कश्मीर की एक सीट के साथ लद्दाख में भी एक सीट पर चुनाव होना है. इस फेज में सबसे कम 49 सीटों के लिए मत डाले जाएंगे.
सबसे कम 49 सीटों पर चुनाव
इन नेताओं की किस्मत दांव पर
- लखनऊ से राजनाथ सिंह (केंद्रीय मंत्री)
- रायबरेली से राहुल गांधी
- अमेठी से स्मृति ईरानी (केंद्रीय मंत्री)
- सारण से लालू की बेटी रोहिणी आचार्य
- बारामुला से उमर अब्दुल्ला
- मुंबई उत्तर से पीयूष गोयल
- यूपी के फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति (केंद्रीय मंत्री)
- बनगांव से केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर (केंद्रीय मंत्री)
- हाजीपुर से चिराग पासवान
- कल्याण से श्रीकांत शिंदे
- सारण से राजीव प्रताप रुडी
ये मुद्दे छाए रहे
- तुष्टिकरण
- वंशवादी राजनीति
- राम मंदिर
- नागरिकता,
- रामलला को तंबू में भेजना
- मंदिर पर बुलडोजर
- जम्मू-कश्मीर में 370 की वापसी
क्या कहते हैं जानकार
अगर इस फेज की बात करें तो जानकार दो तरह के खास तर्क देते हैं कि पहला तो तर्क यह है कि इस चरण में गांधी परिवार के सामने दो तरह की चुनौती है. जहां एक तरफ अमेठी की सीट बीजेपी के हाथ से छिनने की चुनौती तो दूसरी तरफ रायबरेली में प्रदर्शन को बनाए रखना है. बता दें कि रायबरेली सीट से सोनिया गांधी 2004 से चुनाव जीतते आई हैं. 17 मई को रायबरेली में एक सभा में सोनिया गांधी ने जब कहा कि वो अपने बेटे को यहां के लोगों के हवाले कर रही हैं तो आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस किसी तरह से रिस्क नहीं लेना चाहती है. अगर आप 2019 के नतीजे को देखें तो अमेठी बीजेपी की झोली में है और बीजेपी के नेता इस बात को कहते भी है कि गांधी परिवार जिस अमेठी को अपनी खानदानी सीट समझा करता था उसका क्या हुआ. ऐसी सूरत में अगर रायबरेली की सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ता है तो बात सिर्फ एक सीट पर मिली हार या जीत की नहीं होगी. कांग्रेस की हार की सूरत में बीजेपी बुलंद आवाज में बोलेगी कि अब रायबरेली भी साथ नहीं है. जबकि राहुल गांधी की जीत का मतलब यह होगा कि कांग्रेस कम से कम यह सकेगी कि पार्टी अप्रासंगिक नहीं है.