मराठी नेताओं का हाइटेक अवतार, स्लोगन की जगह हैशटैग का बोलबाला
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मराठी नेताओं का हाइटेक अवतार, स्लोगन की जगह हैशटैग का बोलबाला

महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को एक चरण में चुनाव होगा और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। महायुति और महाविकास अघाड़ी में सीधा मुकाबला है।


Maharashtra Assembly Elections 2024: आज से करीब तीस साल पहले तक चुनावी प्रचार के दौरान झंडे डंडों और नारों की गुंज सुनाई पड़ती थी। ऐसा नहीं है कि प्रचार के ये पुराने तरीके गायब हो चुके हैं। इन सबके बीच अब करीब करीब हर हाथ में स्मार्ट फोन नजर आते हैं। यही नहीं सस्ते डेटा के जरिए अब लोगों की मुट्ठी में दुनिया कैद है। यानी कि जो बात कहने के लिए नेताओं के अपने विधानसभाओं में दौरा करना पड़ता था अब वो इस आधुनिक व्यवस्था का फायदा उठा रहे हैं। अगर बात महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार की करें तो इस समय सभी दलों के नेता हैशटैग अभियान के जरिए अपने वोटर्स और समर्थकों तक पहुंच बना रहे हैं। इस कवायद में कोई एक दल या कोई खास नेता नहीं शामिल है बल्कि इसका इस्तेमाल सभी दल कह रहे हैं आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि यहां पर किसी तरह की राजनीतिक विभेद नहीं है।

विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, जो पिछले चुनावों से कोलाबा में अपने काम को बताने के लिए #paanchsaalbemisaal का इस्तेमाल कर रहे हैं। मुलुंड विधायक मिहिर कोटेचा #Mihir4Mulund और भिवंडी विधायक रईस शेख के #Risewithrais तक, हर नारा अभियान के सार को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। मुंबादेवी विधायक अमीन पटेल #AwaamKiAwaazऔर #AwaamOfMumbadevi के साथ अल्पसंख्यक बहुल निर्वाचन क्षेत्र में स्थानीय भावनाओं को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी प्रतिद्वंद्वी, शिवसेना की शाइना एनसी #ShainaNC4MumbaDevi का इस्तेमाल कर रही हैं। फिर बांद्रा पश्चिम के मौजूदा विधायक आशीष शेलार हैं, जो #ApnaAshishHaiNa चला रहे हैं, और मालाबार हिल के विधायक एमपी लोढ़ा #HameshaAapkeSaath।

कुछ उम्मीदवारों के एक्स पर पोस्ट उनके समूह की बैठकों, उसिंग सोसाइटी के दौरे और उनके निर्वाचन क्षेत्रों के विभिन्न कोनों में यात्राओं के बारे में अपडेट देते हैं। सोशल मीडिया पर नागरिक समूहों के मुताबिक ये हैशटैग मतदाताओं से जुड़ने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है, लेकिन उन्हें एक चेतावनी भी देनी होगी। नागरिक कल्याण मंच-मुंबई उत्तर मध्य जिला मंच के संस्थापक अधिवक्ता त्रिवेंद्रकुमार करनानी, जो एक्स पर नागरिकों के मुद्दों को उठाते है। सोशल मीडिया पर कीवर्ड पर पहले से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कब्जा है इसलिए उनका प्रभाव कम है और वे बहुत कम उद्देश्य पूरा करते हैं।

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