CM योगी के नारे 'बटेंगे तो कटेंगे' पर महायुति में टकराव, अजित ने बताया 'गलत' तो फडणवीस कहा- 'सही'
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे 'बटेंगे तो कटेंगे' को लेकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच मतभेद उभरकर सामने आए हैं.
Yogi Adityanath slogan Batenge to Katenge: 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे 'बटेंगे तो कटेंगे' को लेकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच मतभेद उभरकर सामने आए हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजित पवार ने कहा कि वह इस नारे का समर्थन नहीं करते हैं. वहीं, महायुति गठबंधन में उनके सहयोगी भाजपा नेता फडणवीस ने कहा कि नारे में कुछ भी गलत नहीं है.
फडणवीस ने शुक्रवार को 'बटेंगे तो कटेंगे' नारे पर अजित पवार की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पवार को जनता की भावना को समझने में समय लगेगा. एक इंटरव्यू में फडणवीस ने कहा कि हिंदुत्व का विरोध करने वाले समूहों के साथ पवार की पृष्ठभूमि ने धर्मनिरपेक्षता का दावा करते हुए उनके दृष्टिकोण को प्रभावित किया होगा. दशकों तक अजित पवार ऐसी विचारधाराओं के साथ रहे, जो धर्मनिरपेक्ष और हिंदू विरोधी हैं. खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वालों में कोई वास्तविक धर्मनिरपेक्षता नहीं है. वह ऐसे लोगों के साथ रहे हैं, जिनके लिए हिंदुत्व का विरोध करना ही धर्मनिरपेक्षता है. उन्हें जनता के मूड को समझने में कुछ समय लगेगा.
उन्होंने कहा कि ये लोग या तो जनता की भावना को नहीं समझ पाए या इस बयान का मतलब नहीं समझ पाए या बोलते समय शायद कुछ और कहना चाहते थे. फडणवीस ने साफ किया कि 'बटेंगे तो कटेंगे' का मतलब है कि सभी को एक साथ रहना होगा. मुस्लिम विरोधी पूर्वाग्रह के आरोपों को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि लाडली बहन योजना सहित सरकारी कार्यक्रम सभी समुदायों की समान रूप से सेवा करते हैं.
वहीं, फडणवीस ने नारे का बचाव करते हुए कहा कि मुझे योगी जी के नारों में कुछ भी गलत नहीं लगता. इस देश का इतिहास देखें. जब-जब बटे हैं, तब गुलाम बने हैं. जब भी यह देश जाति, राज्य, समुदायों में विभाजित हुआ, हम गुलाम बन गए.
बता दें कि महायुति के साथी और एनसीपी प्रमुख अजीत पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र में 'बटेंगे तो कटेंगे' स्वीकार नहीं है. एक इंटरव्यू में पवार ने कहा कि मैंने एक सार्वजनिक रैली और मीडिया इंटरव्यू में इस पर अपनी असहमति जताई है. कुछ भाजपा नेताओं ने भी यही व्यक्त किया है. 'सबका साथ, सबका विकास' का मतलब है कि सबके साथ, सबका विकास...अब, 'एक हैं तो सुरक्षित हैं...मैं इसे इस नजरिए से देखता हूं.' मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कई रैलियों में इस्तेमाल किए गए इस नारे की विपक्षी नेताओं ने व्यापक रूप से निंदा की है.
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने नारे में औचित्य की कमी बताते हुए असहमति जताई. चव्हाण ने कहा कि इस (नारे) की कोई प्रासंगिकता नहीं है. नारे चुनाव के समय दिए जाते हैं. यह विशेष नारा अच्छा नहीं है और मुझे नहीं लगता कि लोग इसकी सराहना करेंगे. व्यक्तिगत रूप से कहूं तो मैं ऐसे नारों के पक्ष में नहीं हूं. भाजपा नेता पंकजा मुंडे ने भी खुद को इससे अलग करते हुए विकासोन्मुखी राजनीति पर अपना ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया.