महाराष्ट्र में MVA के सामने मौका और चुनौती, सीटों की गणित पर माथापच्ची
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महाराष्ट्र में MVA के सामने मौका और चुनौती, सीटों की गणित पर माथापच्ची

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव महा विकास अघाड़ी के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। घटक दलों के सामने सीट बंटवारे के साथ एकजुट होकर बने रहने की चुनौती है।


Maharashtra Assembly Elections: क्या महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी बाजी मार सकती है। इस सवाल का जवाब अघाड़ी के घटक दल कुछ इस तरह देते हैं। उनके मुताबिक आम चुनाव में हमने जनता भरोसा जीता है और विधानसभा में भी जनता हम लोगों में भरोसा जताएगी। लेकिन किसी चुनाव में जीत सिर्फ बड़े बड़े बयानों से नहीं होती है। उसके लिए कार्यकर्तओं से सीधा संवाद, सीटों की रणनीति,बूथ प्रबंधन भी होना चाहिए। महाराष्ट्र की राजनीति में दो बड़े बदलाव ये हैं कि पहले शिवसेना और एनसीपी दोनों एक हुआ करते थे। लेकिन अब तस्वीर उस तरह की नहीं है। जैसे शिवसेना के दो गुट उद्धव और शिंदे तो एनसीपी में शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार वाला गुट। महाराष्ट्र की सियासत में जितने धड़े हैं उन सबकी अपनी महत्वाकांक्षा है।

जब पवार ने लगा दिया था वीटो
हाल ही में आपने सुना होगा कि सीएम के मुद्दे पर शरद पवार ने एक तरह से वीटो लगा कर शिवसेना उद्धव गुट की बोलती बंद कर दी। जमीनी हकीकत या सियासी मजबूरी कहें कि शिवसेना प्रवक्ता को यह कहना पड़ा क सीएम का पद कोई विशेष मुद्दा नहीं है, लेकिन यहां पर सवाल उठा कि अगर बात महत्वपूर्ण नहीं थी तो उद्धव गुट दबाव क्यों बना रहा था। इसके बारे में सियासत से जुड़े लोग सधे अंदाज में कहते हैं कि इस गुट को पता है कि आम चुनाव में उसका प्रदर्शन कैसा था, अगर वो इस तरह की बात नहीं करते तो उनके लिए कार्यकर्ताओं के बीच जोश को बनाए रखना संभव नहीं होता। लेकिन अब जब पवार ने अपना वीटो लगा दिया तब कार्यकर्ताओं का जोश कम नहीं होगा। इसके बारे में राय ये है कि उद्धव गुट को पता है कि उनके सामने शिंदे गुट और बीजेपी है जिसके खिलाफ लड़ाई लंबी चलने वाली है। ऐसे में वो पीछे जाना बेहतर समझे। ऐसे में महा विकास अघाड़ी के नेता चाहते हैं कि किसी भी मुद्दे पर मतभेद भले ही हो लेकिन आगे बढ़ना है, और सीटों को लेकर किसी तरह की अड़चन नहीं आनी चाहिए। लेकिन सीटों के मुद्दे को सुलझाना इतना आसान नहीं है।
सीटों की गणित
ऐसी सूरत में एमवीए के नेता दो सूत्रों पर काम करने पर विचार कर रहे हैं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमवीए अब सीट बंटवारे के लिए दो फॉर्मूले पर विचार-विमर्श कर रहा है। पहले फॉर्मूले के मुताबिक, तीन पार्टियों - अविभाजित शिवसेना, अविभाजित एनसीपी और कांग्रेस - द्वारा जीती गई 154 विधानसभा सीटों पर शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (एसपी) और कांग्रेस चुनाव लड़ेंगी।
2019 में, संयुक्त शिवसेना ने 56, संयुक्त एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। यह फॉर्मूला आधे से ज़्यादा विधानसभा क्षेत्रों को कवर कर सकता है और बाकी 134 सीटों का बंटवारा चर्चा के बाद हो सकता है। इन बची हुई 134 सीटों में से भाजपा ने 105 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस और संयुक्त एनसीपी दूसरे नंबर पर थीं।
दूसरे फॉर्मूले के मुताबिक, तीनों पार्टियां उन विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जिन पर उन्होंने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बढ़त हासिल की थी। हालांकि, जिन सीटों पर सत्तारूढ़ गठबंधन आगे था, उन पर चर्चा की जाएगी और उन्हें तीनों पार्टियों के बीच बांटा जाएगा।इस परिदृश्य में, कांग्रेस और एनसीपी (सपा) बातचीत में ऊपरी हाथ रखेंगे क्योंकि इन दो एमवीए सहयोगियों ने लोकसभा चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) से बेहतर प्रदर्शन किया था। एमवीए ने आम चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया और महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 30 पर जीत हासिल की।
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