तो क्या NCP-BJP सरकार की संभावना थी, अजित पवार तो कुछ ऐसा ही कह रहे
पांच साल पहले क्या एनसीपी और बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बनाने की संभावना पर विचार कर रहे थे। इस बारे में अजित पवार ने सनसनीखेज जानकारी दी है।
Ajit Pawar News: महाराष्ट्र विधानसभा की सभी 288 सीटों के लिए मतदान 20 नवंबर को होगा। 23 नवंबर को नतीजों के ऐलान के साथ ही यह पता चलेगा कि महाराष्ट्र की जनता ने किस धड़े को पसंद किया है। सत्ता की लड़ाई में महाविकास अघाड़ी और महायुति एक दूसरे के आमने सामने हैं। इन सबके बीच महायुति में हिस्सेदार अजित पवार ने कहा कि पांच साल पहले एनसीपी और बीजेपी सरकार बनाने के लिये बातचीत कर रहे थे। यानी कि पांच साल पहले अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के साथ एनसीपी में थे। पांच साल पहले की एक तस्वीर आपको याद होगी जब सुबह सुबह राजभवन में देवेंद्र फणनवीस(DevendraFadnavis) और अजित पवार ने शपथ ली थी। उस शपथ के बाद हड़कंप मचा। इस तरह की खबरें चलने लगीं कि शरद पवार(Sharad Pawar) के खिलाफ अजित पवार ने बगावत कर दी। हालांकि फणनवीस और अजित पवार की जोड़ी लंबे समय तक नहीं चली। शरद पवार अपने भतीजे को मनाने में कामयाब हो गए थे। लेकिन पांच साल बाद वाली तस्वीर पूरी तरह बदली हुई है।
अजित पवार के खुलासे
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अजित पवार ने कहा कि उद्योगपति गौतम अडानी पांच साल पहले भाजपा और अविभाजित शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी(NCP) के बीच राजनीतिक बातचीत का हिस्सा थे,। 2019 में देवेंद्र फडणवीस को सीएम और खुद को डिप्टी सीएम बनाकर एक अल्पकालिक सरकार बनाने से ठीक पहले हुई थीं। अमित शाह, गौतम अडानी, प्रफुल्ल पटेल, फडणवीस और पवार साहब ... सभी वहां थे । एनसीपी और बीजेपी के बीच वैचारिक असंगति और इसके बावजूद उनके बीजेपी के साथ जाने पर कहा कि एनसीपी द्वारा बाहर से समर्थन देने की घोषणा के बाद बीजेपी ने 2014 में महाराष्ट्र में सरकार बनाई थी। "जब 2014 के विधानसभा चुनावों के परिणाम आए, तो एनसीपी प्रवक्ता प्रफुल्ल पटेल ने घोषणा की कि हम बीजेपी को बाहर से समर्थन देंगे।
उस बैठक में थे कई दिग्गज
अजित पवार ने कहा कि 2014 के विधानसभा चुनावों(Maharashtra Assembly Elections 2014) के बाद एनसीपी प्रवक्ता प्रफुल्ल पटेल ने बीजेपी को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी। बाद में एनसीपी ने कहा कि यह समर्थन स्थायी नहीं है, बल्कि केवल सरकार बनाने के लिए है, जिसके बाद बीजेपी और शिवसेना फिर से एक साथ आ गए। इस विषय पर आगे पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हम वही करते हैं जो हमारे वरिष्ठ पदाधिकारी हमें बताते हैं" और सुबह-सुबह शपथ ग्रहण से पहले फडणवीस के साथ हुई 'बैठक' का जिक्र किया। "पांच साल हो गए हैं, सबको पता है कि बैठक कहां हुई थी, यह दिल्ली में एक व्यापारी के घर पर हुई थी, सबको पता है। हां, पांच बैठकें हुई थीं अमित शाह वहां थे, गौतम अडानी वहां थे, प्रफुल्ल पटेल वहां थे, देवेंद्र फडणवीस वहां थे, पवार साहब वहां थे सभी वहां थे सब कुछ तय हो गया था। लेकिन इसका दोष उन पर आया है, और उन्होंने स्वीकार कर लिया है। दोष स्वीकार कर लिया और दूसरों को सुरक्षित कर दिया।
यह पूछे जाने पर कि बाद में सीनियर पवार यानी शरद पवार ने ने क्यों हिचकिचाहट दिखाई और बीजेपी के साथ नहीं गए। अजित ने कहा कि उन्हें इसका कारण नहीं पता। पवार साहब एक ऐसे नेता हैं जिनका मन दुनिया में कोई नहीं पढ़ सकता। हमारी आंटी यानी शरद पवार की पत्नी प्रतिभा या हमारी सुप्रिया सुले भी नहीं। शरद पवार ने 2019 में बीजेपी के साथ सत्ता-साझाकरण वार्ता में किसी भी तरह की भागीदारी से लगातार इनकार किया है। भाजपा के देवेंद्र फड़नवीस ने पिछले साल आरोप लगाया था कि पवार ने 2017 और 2019 के बीच भाजपा के साथ कई बैठकें की थीं। एनसीपी में विभाजन के बारे में पूछे जाने पर, अजित ने कहा कि विभाजन का कोई सवाल ही नहीं है और "जिसके पास बहुमत है वह पार्टी को नियंत्रित करता है।" यह पूछे जाने पर कि क्या पवार परिवार फिर से एक साथ आ सकता है, उन्होंने कहा, "मैंने अभी इसके बारे में नहीं सोचा है। अभी मेरा ध्यान चुनावों और महायुति(Mahayuti) को 175 सीटें जीतने पर है।
महाराष्ट्र में अब विचारधार का कोई मतलब नहीं
विचारधारा के मामले में अजित पवार ने कहा कि शिवसेना ने एमवीए शासन के दौरान 2.5 साल तक कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कैसे किया था। जब हमें उनके साथ काम करने के लिए कहा गया, तो हमने किया। उन्होंने बाद में कहा कि विचारधारा के बारे में मत पूछो। महाराष्ट्र की राजनीति बदल गई है। हर कोई सत्ता चाहता है और विचारधारा को अलग रख दिया है उन्होंने कहा कि आरोप 2009 में लगाए गए थे और मैं 2023 में भाजपा के साथ चला गया। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें मामलों में बरी कर दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर वो दोषी होते तो उनके खिलाफ कार्रवाई होती। 2019 में शपथ ग्रहण के बाद अजित, शरद पवार के पास वापस चले गए क्योंकि उन्हें केवल कुछ एनसीपी विधायकों का समर्थन मिल सका जबकि पार्टी के अधिकांश विधायक पवार सीनियर के साथ रहे। 2023 में जब वे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में शामिल हुए तो उन्होंने पार्टी के अधिकांश विधायकों को अपने साथ ले लिया।