
Maharashtra : सिर्फ परिणाम ही नहीं बल्कि नतीजों के बाद CM पद की खींचतान भी है चिंता का विषय
इस बार राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के मुख्य रणनीतिकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह फडणवीस के लिए समर्थन जुटा रहे हैं.
Maharashtra Elections : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान में कुछ ही दिन शेष हैं और प्रचार के लिए अब बस दो ही दिन बचे हैं. ऐसे में चुनाव में हिस्सा ले रहे सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. फिलहाल इस 23 नवम्बर का इंतजार किया जा रहा है कि परिणाम आयेंगे तो कौन सरकार बनाएगा, लेकिन इतना काफी नहीं है. क्योंकि ये गहमागहमी परिणाम आने के बाद भी जारी रहने की उम्मीद है, इसके पीछे की वजह है मुख्यमंत्री के नाम का स्पष्ट न होना. महायुती हो या महा विकास अघाड़ी दोनों ने अभी तक मुख्यमंत्री के नाम पर पर्दा नहीं हटाया है.
सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन, जिसमें भाजपा, शिवसेना (शिंदे) और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल है, या विपक्षी एमवीए गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल हैं, के लिए मुख्यमंत्री के नाम का चयन करना कोई आसान फैसला नहीं होगा. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर चुनाव नतीजों के बाद राजनीतिक पुनर्गठन होता है तो उन्हें आश्चर्य नहीं होगा. उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, राजनीतिक दल अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों को आगे बढ़ाने में व्यस्त हैं.
महायुति में समीकरण
सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में शिंदे सेना समर्थक अपने नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उत्सुक हैं, जबकि भाजपा महायुति में "बड़े भाई" की भूमिका निभाने का इरादा रखती है, ताकि गठबंधन के सत्ता में आने की स्थिति में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की राज्य के शीर्ष पद पर वापसी सुनिश्चित हो सके.
इस गठबंधन में एक और पार्टी है NCP. हालाँकि इस पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है, लेकिन फिर भी अजित पवार ने इस बात को लेकर कोई संकोच नहीं किया है कि वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं. पिछले साल एनसीपी में फूट डालने वाले और महायुति सरकार में शामिल होने वाले पवार रिकॉर्ड पाँच बार राज्य के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. सितंबर में एक कार्यक्रम में अजित पवार ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री बनना चाहता हूँ, लेकिन मैं आगे नहीं बढ़ पा रहा हूँ. मुझे मौका नहीं मिल रहा है."
भाजपा जहां संकेत दे रही है, वहीं शिंदे सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि महायुति सत्ता में लौटती है तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शीर्ष पद पर बने रहेंगे. महायुति के सहयोगियों में भाजपा 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिंदे सेना 81 और अजित पवार की एनसीपी 56 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
शाह ने फडणवीस का समर्थन किया
इस बार राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के मुख्य रणनीतिकार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, फडणवीस के लिए समर्थन जुटा रहे हैं. पिछले हफ़्ते सांगली में एक सार्वजनिक रैली में उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र को मोदीजी और फडणवीसजी पर बहुत भरोसा है." एकनाथ शिंदे का कोई ज़िक्र नहीं हुआ.
मुंबई में भाजपा का घोषणापत्र जारी करते हुए शाह ने फिर इस मुद्दे को उठाया और कहा, "फिलहाल एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं, लेकिन चुनाव के बाद महायुति के तीनों घटक एक साथ बैठेंगे और अगला मुख्यमंत्री तय करेंगे."
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, भले ही फडणवीस शीर्ष पद के लिए सबसे आगे चल रहे हों, लेकिन भाजपा को अपने सहयोगियों पर अपनी पसंद का प्रभाव डालने के लिए महायुति के भीतर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरना होगा. उन्होंने कहा कि इससे कम होने पर अजित पवार और शिंदे अपनी ताकत दिखाएंगे.
इस बीच, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने हाल ही में यह कहकर अनिश्चितता को और बढ़ा दिया कि महाराष्ट्र में भाजपा का सीएम उम्मीदवार कोई नया चेहरा हो सकता है. "राजस्थान और मध्य प्रदेश में किए गए प्रयोग को यहां भी लागू किया जा सकता है. फिर भी, कई जगहों पर उन्हीं उम्मीदवारों को फिर से मौका दिया गया है." अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि चुनाव के बाद पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे, राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले और खुद तावड़े जैसे संभावित चौंकाने वाले उम्मीदवार सामने आ सकते हैं.
MVA के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य
अगर गठबंधन सत्ता में आता है तो एमवीए के लिए अपना सीएम उम्मीदवार चुनना भी कम चुनौतीपूर्ण काम नहीं होगा. जबकि शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बार-बार मांग की है कि गठबंधन के सीएम चेहरे की घोषणा पहले ही कर दी जाए, एमवीए के अन्य दो सहयोगी - कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) इस विचार के लिए बहुत उत्सुक नहीं हैं.
एनसीपी (सपा) सुप्रीमो शरद पवार पहले ही गठबंधन के सीएम चेहरे की घोषणा पर अपनी आपत्ति जता चुके हैं. उन्होंने कहा, "इस मुद्दे पर अभी विचार-विमर्श करने की कोई जरूरत नहीं है. पहले भी कई बार गठबंधन सहयोगियों के विधायकों की संख्या के आधार पर नेतृत्व पर फैसला लिया गया है."
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी कहा है कि यह एक "पुरानी परंपरा" है कि गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने वाली पार्टी ही मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करती है.
उन्होंने कहा, "यह एक पुरानी परंपरा है कि सबसे बड़ी पार्टी (चुनाव के बाद) सीएम का नाम तय करती है. मुझे नहीं लगता कि इस बार इसमें कुछ अलग होना चाहिए. लेकिन इस बार अगर तीनों पार्टियां मिलकर फॉर्मूला बदलना चाहती हैं तो वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं. नेता जो चाहें कर सकते हैं."
ठाकरे एक महत्वपूर्ण व्यक्ति
ठाकरे ने शुरू में कांग्रेस आलाकमान से इस बात के लिए काफी पैरवी की कि उन्हें एमवीए का सीएम चेहरा घोषित किया जाए, लेकिन उनकी कोशिशें रंग नहीं लाईं. इसके बाद, उन्होंने अपना रुख बदला और कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) से अपने सीएम उम्मीदवार घोषित करने को कहा, और उन्हें अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया.
हालांकि, ठाकरे अभी भी MVA में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने हुए हैं, एक गठबंधन जो उन्होंने 2019 में भाजपा से अलग होने के बाद अन्य दो सहयोगियों के साथ बनाया था. ठाकरे ने लगभग ढाई साल तक मुख्यमंत्री का पद संभाला, इससे पहले कि 2022 में शिवसेना में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद उनकी सरकार गिर जाए.
इस बीच, एनसीपी के शरद पवार गुट की ओर से बारामती की सांसद सुप्रिया सुले और राज्य प्रमुख जयंत पाटिल के नाम पर भी चर्चा चल रही है. कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण और राज्य इकाई के प्रमुख नाना पटोले के नाम पर भी चर्चा चल रही है.
तमाम अटकलों के बीच, पूरी संभावना है कि एमवीए में फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि तीनों पार्टियों में से कौन सबसे ज़्यादा सीटें जीतती है. एमवीए के सहयोगियों में कांग्रेस ने 101 उम्मीदवार उतारे हैं, उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना (यूबीटी) ने 95 उम्मीदवार और एनसीपी (एसपी) ने 86 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.
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