अब जनता को सिर्फ वादे पसंद नहीं, महाराष्ट्र-झारखंड के नतीजों ने किया इशारा
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अब जनता को सिर्फ वादे पसंद नहीं, महाराष्ट्र-झारखंड के नतीजों ने किया इशारा

अगर रुझानों को अंतिम आंकड़ा माना जाए तो महाराष्ट्र में सत्ता पक्ष और झारखंड में इंडिया गठबंधन में जनता ने फिर भरोसा जताया है। अब यह कैसे संभव हुआ उसे बताने की कोशिश करेंगे।


Maharashtra Jharkhand Election Result 2024: महाराष्ट्र विधानसभा की 288 और झारखंड़ विधानसभा की 81 सीटों के लिए मतगणना जारी है। इन सबके बीच जो रुझान सामने आए हैं उनमें महाराष्ट्र में महायुति और झारखंड में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। इसका मतलब यह है कि जनता ने महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे(Eknath Shinde) और झारखंड में हेमंत सोरेन (Hemant Soren)पर भरोसा जताया है। जो बढ़ा हुआ मत प्रतिशत था वो विरोध में नहीं बल्कि मौजूदा सरकारों के समर्थन में पड़े। लेकिन हम बात करेंगे कि महाराष्ट्र में महाविकास अधाड़ी (Maha Vikas Aghadi)के दल सीएम लाड़की योजना को क्यों नहीं भुना सके। झारखंड में बीजेपी की गोगो दीदी योजना क्यों नहीं काम कर सकी। क्या अब जनता इस बात पर भरोसा कर रही है सही मायने में कौन उनके हित की बात कर रहा है। या वजह कुछ और है।

महाविकास अघाड़ी से यहां हुई चूक

अगर आप महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री लाड़की योजना (CM Ladaki Yjna) को देखें तो चुनाव से महज चार महीने पहले इसे लांच किया गया। उस समय महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने विरोध किया। मामले को बांबे हाईकोर्ट तक लेकर गए। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि कल्याणकारी राज्य की संकल्पना के आधार पर कोई भी सरकार योजना ना सिर्फ बना सकती है बल्कि उसे अमल में भी ला सकती है। जब जमीनी स्तर पर यह योजना कारगर नजर आने लगी तो महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने इसमें दी जाने वाली रकम को बढ़ाने का वादा किया। उन्होंने गारंटी भी दी। लेकिन जनता को यह अहसास हो चला था कि विपक्ष मूल तौर पर नहीं चाहता कि समाज के कमजोर वर्ग को फायदा मिले। चुनाव के समय महाविकास अघाड़ी के इस दोहरेपन को महायुति ने जनका के सामने रखा और उसका फायदा सीटों की संख्या में नजर भी आ रहा है।
गोगो दीदी योजना सिर्फ वादा लगा
महाराष्ट्र की तरह अगर आप झारखंड के रुझानों को देखें तो इंडिया गठबंधन को 50 सीट मिलती नजर आ रही है। एनडीए के खाते में 29 सीट। अगर 2019 से तुलना करें तो दोनों दलों को 2 -2 सीटों का फायदा मिल रहा है। अब बात करेंगे कि सीएम हेमंत सोरेन का मइंया योजना भारी पड़ी और बीजेपी की गोगो दीदी योजना काम नहीं कर सकी। अगर आप रुझानों को देखें तो एक बात साफ है कि झारखंड की जनता ने मइंया योजना पर भरोसा जताया। वहीं गोगो दीदी योजना कुछ हद तक ही असर दिखाने में कामयाब रही है।
इसके बारे में सियासत के जानकार कहते हैं कि यह योजनाओं महिलाओं को केंद्रित करके बनाई गई हैं। महिलाओं के बारे में आम धारणा होती है कि वो पुख्ता चीजों पर भरोसा करती हैं भले ही कोई बड़े बड़े वादे क्यों ना करें। हालांकि झारखंड में मइंया योजना और गोगो दीदी योजना के अलावा हेमंत सोरेन का जेल का जवाब वोट से दो का नारा भी काम कर गया है। चुनाव प्रचार के दौरान खासतौर से महिलाओं से अपील कर रहे थे कि आपने देखा होगा कि आपके हित की बात करने वालों को जेल भेज दिया गया था।
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